शिक्षा विभाग एवं ट्राइबल वेलफेयर डिपार्टमेंट द्वारा की गई शिक्षकों की भर्ती मामले में यूनिवर्सिटी अभ्यर्थी को मिले परसेंटेज को दरकिनार कर यूनिवर्सिटी के द्वारा दिए गए ग्रेड के आधार पर भर्तियां करने का मामला सामने आया है। इस मामले में न्यायालय के द्वारा मध्य प्रदेश सरकार को हाई स्कूल शिक्षकों के रिकार्ड पेश करने के लिए चार हफ्ते का समय दिया गया है।
NCET के नियम विरुद्ध है 2018 शिक्षक भर्ती नियम
हाई स्कूल शिक्षक भर्ती मामले में अभ्यर्थियों के द्वारा याचिका दायर की गई थी। जिसमें मध्य प्रदेश सरकार के द्वारा 2018 में बनाये गए शिक्षक भर्ती नियम को भी चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने बताया की 2018 में बनाए गए शिक्षक भर्ती नियम में संबंधित विषय मे द्वितीय श्रेणी से स्नातकोत्तर और बी.एड शैक्षणिक योग्यता रखी गई है जबकि एनसीटी के नियम अनुसार यह योग्यता 55% अंक होनी चाहिए।
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अब अलग-अलग यूनिवर्सिटी में अलग-अलग ग्रेडिंग सिस्टम के कारण द्वितीय श्रेणी में आए उन अभ्यार्थियों को भी नियुक्ति दी गई है जिनके प्रतिशत तृतीय श्रेणी आए कुछ अभ्यर्थियों से कम थे। दरअसल अलग-अलग विश्वविद्यालयों का ग्रेडिंग सिस्टम अलग-अलग है जहां पर ग्वालियर यूनिवर्सिटी में 48% से 50% अंक को तृतीय श्रेणी दी जाती है। तो कुछ विश्वविद्यालय में 48% अंक में भी द्वितीय श्रेणी दी जाती है। इस तरह से जिन अभ्यर्थियों की मार्कशीट में द्वितीय श्रेणी उत्तीर्ण लिखा था पर उन्हें 48% अंक मिले थे उन्हें नियुक्ति मिली गई, पर वह विद्यार्थी जिन्हें 50% अंक मिले थे पर उनकी मार्कशीट में तृतीय श्रेणी लिखी थी वह इस भर्ती प्रक्रिया से वंचित रह गए।
हाई कोर्ट ने मंगाई हाई स्कूल शिक्षकों की जानकारी
हाई कोर्ट के द्वारा मध्य प्रदेश शासन को अब तक भर्ती किए गए हाई स्कूल शिक्षकों की जानकारी देने के लिए आदेशित किया गया है। जिसके लिए सरकार को चार हफ्ते का समय दिया गया है अब इस मामले की अगली सुनवाई 20 अगस्त को होनी है।
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