मेडिकल कॉलेज, एम्स में प्रवेश के लिए होने वाली NEET के विवादित होने के बाद इसमें चयनित बच्चे परेशान है कि उनका भविष्य क्या होगा? क्या फिर से परीक्षा देना होगी? इसी चिंता से परेशान नीट में इंदौर से नामी डॉक्टर के चयनित बच्चों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। इसमें मांग की गई है कि केवल गुनेहगार को ही दंडित किया जाए, पूरी परीक्षा रद्द कर देने से मेहनत से इसमें पास हुए उम्मीदवार भी बेवजह सजा भुगतेंगे।
इन बच्चों ने लगाई याचिका, उनके यह नंबर आए
याचिका लगाने वालों में इंदौर के डॉक्टर अजीत सिंह देवरा के बेटे कनिषराज सिंह देवरा (639 अंक), डॉ. रजनीश मेहता के बेटे अवनीश मेहता (705 अंक), डॉ. विनीत पांडे के बेटे आर्णव पांडे (705 अंक), डॉ. निर्भय मेहता के बेटे यश मेहता (700 अंक), डॉ. जीवन अग्रवाल की बेटी गौरी अग्रवाल ( 677 अंक), है। इसके साथ ही याचिका में विदिशा के डॉक्टर सुमत प्रकाश जैन की बेटी शुभी जैन (692 अंक), सागर के डॉ. अखिलेश जैन की बेटी कार्तिका जैन (669 अंक) और पुणे के डॉ. हितेश लाड के बेटे डहेरिया लाड (695 अंक) भी शामिल है।
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याचिका में कहा गया फैसला रिजल्ट के पहले होना था
याचिका में कहा गया है कि रिजल्ट जारी करने के पहले NTA को इस संबंध में शंका थी तो उन्हें कायदे से रिजल्ट जारी करने के पहले परीक्षा को रद्द करना था। एनटीए पहले खुद कह चुका है कि पेपर लीक नहीं हुआ है, उन्होंने ही प्रेस नोट जारी कर बताया था कि ग्रेस अंक क्यों दिए गए और पेपर लीक पर भी इंकार किया था, लेकिन बाद में वह इस मामले में अपनी बातों से मुकरते दिख रहे हैं। इससे बच्चे मानसिक रूप से परेशान है।
चिन्हित लोगों ने ही की गड़बड़ी
याचिका में कहा गया है कि 67 को एक जैसे टॉप अंक 720 आए, इसमें 8 एक ही सेंटर के थे। जिन्होंने परीक्षा में गड़बड़ी की वह चिन्हित हो चुके हैं, तो फिर उन्हें ही दंडित किया जाए। हमारी मांग है कि 23 जून को जिन 1563 की ग्रेस अंक वालों की परीक्षा हुई है, उनके साथ मेरिट जारी कर दी जाए और इनकी काउंसलिंग कराकर प्रवेश दिया जाए।
8 जुलाई को होना है सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने 21 जून को दो सप्ताह में एनटीए को जवाब देने के लिए कहा था, यह खत्म हो रहा है और 8 जुलाई को यह लिस्टेड है। ऐसे में हमारी मांग भी ध्यान में रखा जाए और पूरी परीक्षा रद्द नहीं करते हुए केवल गुनेहगार को दंडित कर उन्हें बाहर किया जाए।