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NEET में पेपर लीक हुआ, यह सरकार सुप्रीम कोर्ट में मान चुकी है। अब इसे रद्द किया जाएगा या नहीं यह फैसला सुप्रीम कोर्ट 11 जुलाई को करेगा। इस पूरे मसले में NTA प्रमुख प्रदीप जोशी पर केंद्र और जांच एजेंसियों की सभी ओर चुप्पी है।
सरकार ने इस मामले में गली निकालते हुए एनटीए के महानिदेशक (डीजी) सुबोध कुमार सिंह पर गगरी फोड़ी और उन्हें हटा दिया। उनकी जगह प्रदीप सिंह खरोला को नया डीजी बनाया गया, लेकिन सबसे अहम फैसले लेने वाले चेयरपर्सन जोशी पर चुप्पी साध ली।
पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह बोले जोशी से हो सीबीआई पूछताछ
इस मामले में पूर्व सीएम दिग्वजिय सिंह ने मंगलवार को कहा कि नीट रद्द करने के सिवा कोई विकल्प नहीं है, अन्यथा यह उन योग्य छात्रों के साथ अन्याय होगा, जिनके पास पेपर खरीदने के पैसे नहीं थे। सीबीआई को इस मामले में एनटीए प्रमुख प्रदीप जोशी से भी पूछताछ करना चाहिए। परीक्षा रद्द होने से पहले सुप्रीम कोर्ट को कई सवालों के जवाब चाहिए।
परीक्षा एजेंसियों में चेयरपर्सन ही लेता है सभी फैसले
जो भी परीक्षा एजेंसी है, इसमें परीक्षा संबंधी सभी फैसले लेने का अधिकार चेयरपर्सन को ही होता है। बात चाहे यूपीएससी हो, पीएससी की हो या ईएसबी की या फिर एनटीए की। यहां चेयरपर्सन ही तय करता है कि परीक्षा का प्रारूप क्या होगा? पेपर की सुरक्षा किस तरह होगी व अन्य मुद्दे। लेकिन इस मामले में सीबीआई चेयरपर्सन से पूछताछ ही नहीं कर रही है।
हर बार रसूख के दम पर बचकर निकल जाते हैं जोशी
जोशी के साथ पहली बार ऐसा नहीं हुआ है, वह कई बार विवादों में आए और हर बार राजनीतिक रसूख के जरिए बचकर निकल गए।
राजनीतिक रसूख का नमूना मप्र लोक सेवा आयोग (पीएससी) के चेयरमैन बनते समय साल 2006 में वह दिखा चुके हैं, जब उनकी नोटशीट पर संघ के पदाधिकारी की चिट्ठी लगी और साथ ही सीएम के सचिव की नोटशीट में लिखा गया कि उनका पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी और बीजेपी नेता मुरली मनोहर जोशी से करीबी संबंध है।
एबीवीपी में भी रहे हैं। पीएससी मप्र के चेयरमैन रहते हुए उनके कार्यकाल में प्रोफेसर भर्ती कांड हुआ, जिसकी जांच में भी आ चुका है कि भर्ती संदिग्ध है। मामला दबा दिया गया। विवाद बढ़ते देख वह छत्तीसगढ़ पीएससी चेयरमैन हो गए, फिर इसी पहुंच के साथ वह यूपीएससी चेयरमैन हो गए। वहां से एनटीए में छलांग लगाई।