News Strike : मध्यप्रदेश के एग्जिट पोल बीजेपी के पक्ष में हैं। इसके बावजूद बीजेपी खेमे में खुशी नहीं है। वैसे तो मध्यप्रदेश के एग्जिट पोल बीजेपी के लिए खुशी का पैगाम लेकर आए हैं। कुछेक एग्जिट पोल होंगे जो मनमुताबिक नतीजे जाहिर नहीं कर रहे। बाकी तो अधिकांश एग्जिट पोल ऐसे ही हैं जो या तो बीजेपी को बढ़त बता रहे हैं या ये दावा कर रहे हैं कि बीजेपी को कोई नुकसान नहीं होगा, लेकिन बीजेपी की एक इंटरनल रिपोर्ट ऐसी है जो खुशी की इस खबर में खलल डाल रही है और बीजेपी को सता रही है। इस रिपोर्ट ने प्रदेश के पदाधिकारियों समेत बीजेपी आलाकमान के माथे पर बल डाल दिए हैं।
एग्जिट पोल्स दावा कर रहे हैं कि आएगा तो मोदी ही
वो कौन सी रिपोर्ट है जो बीजेपी की खुशियों में खलल डाल रही है। वो बताने से पहले एक बार फटाफट नजर डाल लेते हैं एग्जिट पोल्स पर। वैसे तो देशभर के एग्जिट पोल्स आप देख ही चुके होंगे, जो चीख चीख कर ये दावा कर रहे हैं कि आएगा तो मोदी ही। किसका एक्जिट पोल कितना सही है और कितना गलत। इसका फैसला भी चंद घंटे में हो ही जाएगा। फिलहाल हम पूरे देश की बात करते हैं। लोकसभा की 543 सीटों को लेकर 9 एग्जिट पोल ने 542 सीटों में से बीजेपी के खाते में 348 सीटें आने के आसार जाहिर किए हैं, जबकि कांग्रेस के पाले में 136 सीटें आ सकती है। इसके अलावा अन्य को 50 सीटें मिलने की उम्मीद जताई गई है। यदि गठबंधन के लिहाज से देखें तो बीजेपी के नेतृत्व वाला एनडीए गठबंधन 348 सीटों को समेटते हुए नजर आ रहा है। इसके अलावा विपक्षी दलों के इंडिया गठबंधन में 148 सीटों आने की संभावना है।
अब बात करते हैं मप्र की। थोड़े विस्तार से बताते हैं कि एमपी के कौन से एग्जिट पोल ने प्रदेश के लिए क्या भविष्यवाणी की है।
- न्यूज 24- टुडेज चाणक्य ने बीजेपी को 29 सीटें और कांग्रेस को 0 सीट दी हैं।
- इंडिया टीवी के एग्जिट पोल ने बीजेपी को 28-29 सीटें और कांग्रेस को बमुश्किल एक या जीरो सीट मिलने की भविष्यवाणी दी है।
- ABP सी वोटर के एग्जिट पोल ने बीजेपी को 26-28 सीटें और कांग्रेस को 1-3 सीटें दी हैं।
- इंडिया टुडे-एक्सिस माय इंडिया ने बीजेपी को 28-29 सीटें और कांग्रेस को 0-1 सीट दी है।
- टाइम्स नाऊ ने तो बीजेपी को पूरी 29 सीटें और कांग्रेस को एक भी सीट न मिलने का दावा किया है।
कुल मिलाकर हर एग्जिट पोल की भविष्यवाणी यही है कि बीजेपी प्रदेश की सभी सीटों पर काबिज हो रही है। अगर घाटा होगा तो भी हालात वही हो सकते हैं जो पिछले लोकसभा चुनाव यानी 2019 में थे। इस हिसाब से 29 में से 28 सीटें बीजेपी की होंगी और एक सीट कांग्रेस की झोली में जा सकती है। इसके बावजूद भी क्या वजह है कि बीजेपी खेमा खुश नहीं हो पा रहा। ये वजह है एक रिपोर्ट। अब उस रिपोर्ट के बारे में विस्तार से बात करते हैं। बीजेपी के विस्तारकों ने अपनी रिपोर्ट तैयार की है। इस रिपोर्ट में पार्टी को जो फीडबैक मिला है। वो चौंकाने वाला है और ये जाहिर करने वाला है कि पार्टी की जड़ें खोखली करने की कोशिश शुरू हो चुकी है। सूत्रों के मुताबिक विस्तारकों की रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रदेश की कई लोकसभा सीटों पर बीजेपी के अपने नेताओं ने ही भितरघात किया है।
दूसरे प्रदेश के विस्तारक चार माह से एमपी में जमे हैं
बीजेपी के प्रत्याशी को हार तो नहीं मिलती दिख रही, लेकिन हार और जीत का अंतर काफी कम हो सकता है। जिसका असर भले ही अभी न दिखाई दे, लेकिन आने वाले चुनावों पर साफ नजर आएगा। विस्तारकों ने भी इस स्थिति को बीजेपी के लिए खतरनाक बताया है। आपको बता दूं कि ये विस्तारक दूसरे प्रदेश से एमपी में आए और करीब चार महीने से प्रदेश में जमे हुए हैं। जो हर सीट पर नजर बनाए हुए थे। जिनकी पिछले दिनों एक बैठक बीजेपी ऑफिस में ही हुई। बैठक में बीजेपी के राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिव प्रकाश, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा ने उनके फील्ड में रहने के दौरान किए गए कामों की समीक्षा की और रिपोर्ट भी ली।
विस्तारकों की रिपोर्ट पर भितरघातियों पर नकेल कसेंगे
बैठक के दौरान उत्तर प्रदेश के विधान परिषद सदस्य विजय बहादुर पाठक, प्रदेश बीजेपी के प्रशिक्षण प्रभारी विजय दुबे समेत अन्य नेताओं की मौजूदगी में विस्तारकों को सौंपे गए दायित्वों और उन पर अमल की चर्चा की गई। यहां आपको एक बात और बता देना जरूरी है। बीजेपी जो माइक्रोलेवल की प्लानिंग की बात करती है वो प्लानिंग इन्हीं विस्तारकों की रिपोर्ट पर तैयार की गई है। विधानसभा चुनाव से पहले भी बीजेपी ने यही पैटर्न फॉलो किया था और अब लोकसभा में भी विस्तारकों की रिपोर्ट के आधार पर स्ट्रैटजी प्लान की गई। पहले तो उनकी रिपोर्ट पर जमीनी रणनीति तैयार की गई और अब उनकी रिपोर्ट पर भीतरघातियों पर नकेल कसी जाएगी। खबर है कि विस्तारकों की रिपोर्ट को खुद शिव प्रकाश दिल्ली में आलाकमान की सौपेंगे। रिपोर्ट में बीजेपी के संगठनों के अलावा दूसरे सहयोगी संगठनों से भी मदद मिलने की बात कही गई है। जो कांटे की टक्कर वाली सीटों पर भी बीजेपी की जीत का आधार बन सकते हैं।
बीजेपी की चिंता है जीत का अंतर भी कम न हो जाए
इसी रिपोर्ट में एक बिंदू ये भी शामिल किया गया था कि वरिष्ठ नेता, मंत्री, विधायकों ने अपने प्रभार या प्रभाव वाले क्षेत्र में कितना काम किया। इस रिपोर्ट के नतीजे बीजेपी को सबसे ज्यादा चौंका रहे हैं। इस रिपोर्ट में कुछ क्षेत्रों में भितरघात का डर जताया गया है। हालांकि वो कौन से क्षेत्र हैं इसके नाम का कोई खुलासा प्रदेश में नहीं हुआ है। नेताओं का ये कच्चा चिट्ठा सीधे आलाकमान के सामने ही खुलने के आसार हैं। बीजेपी की चिंता इस बात की है कि वोट प्रतिशत कम होने से प्रत्याशी की जीत का अंतर भी प्रभावित होगा। एक मोटे अनुमान के मुताबिक ग्वालियर क्षेत्र में इस तरह के भितरघात के मामले ज्यादा हैं। इसके अलावा सतना, मंडला, दमोह समेत कुछ अन्य क्षेत्रों में भी भितरघात की जानकारी संगठन को मिली है। विस्तारकों ने संगठन नेताओं को यह भी बताया कि कई क्षेत्रों में कांग्रेस के नेताओं के बीजेपी में आने से पार्टी का मूल कार्यकर्ता खुश नहीं है। इन नेताओं ने चुनाव में भी नाममात्र के लिए ही काम किया। विस्तारकों ने कई नेताओं के नाम लेकर कहा कि इनके बीजेपी में आने से जिला संगठन के नेता नाराज है। इसके चलते वोट प्रतिशत पर असर पड़ा है।
इस रिपोर्ट के बाद उम्मीद जताई जा रही है कि आने वाले चुनाव से पहले बीजेपी ऐसे भितरघातियों पर नकेल जरूर कसेगी। हालांकि, अब अगले जो भी चुनाव होने हैं वो करीब साढ़े तीन साल बाद ही होने हैं। ये समय पर्याप्त है बीजेपी के लिए हालात पर काबू पाने के लिए। अपने पुराने नेता तो ठीक हैं, लेकिन क्या दलबदलू कार्यकर्ताओं के वर्किंग पैटर्न को बदलने में भी बीजेपी कामयाब हो सकेगी।