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News Strike BJP MLAs Pritam Lodhi Photograph: (the sootr)
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NEWS STRIKE : कहां हैं नेताजी में आज बात करेंगे ऐसे नेता की जो बीजेपी के लिए मजबूरी भी हैं और जरूरी भी हैं। दो साल से नेताजी अपने काम से ज्यादा अपने विवादों की वजह से सुर्खियां बटोर रहे हैं। कभी अपने बयान की वजह से कंट्रोवर्सी का हिस्सा बन जाते हैं तो कभी अपने बेटे की वजह से विवादों में घिर जाते हैं। पिछले विधानसभा चुनाव से पहले ये नेता इस कदर विवादों में थे कि टिकट मिलना भी मुश्किल ही नजर आ रहा था। लेकिन हालात कुछ यूं बने कि टिकट भी मिला और जीत भी गए। जिस नेता के बारे में बात हो रही है उस नेता का नाम प्रीतम लोधी है।
कंट्रोवर्सी की दुनिया में लोधी का नाम
Pritam Lodhi का नाम सत्ता और सियासत के मायनों में जितना कम सुनाई देता है। उतना ही ज्यादा कंट्रोवर्सी की दुनिया में सुनाई देता है। Pritam Lodhi शिवपुरी के पिछोर से विधायक हैं। साल 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने उन्हें साल 2013 और 2018 में भी टिकट दिया था। लेकिन वो कांग्रेस नेता केपी सिंह कक्काजू से चुनाव हारते रहे। साल 2023 में उनकी सियासी तकदीर पलटी या फिर पंडित धीरेंद्र शास्त्री से हुए विवादों का उन्हें फायदा मिला। प्रीतम लोधी बहुत आसानी से चुनाव जीत गए। इससे पहले कभी बीजेपी से निकाले गए तो कभी ससम्मान वापस भी लाए गए। ये सारे सिलसिले बेहद दिलचस्प तरीके से आगे बढ़ते रहें। धीरेंद्र शास्त्री से हुए विवाद पर ही चर्चा कर लेते हैं। क्योंकि यही वो विवाद था जो धीरेंद्र शास्त्री और लोधी दोनों के लिए अपनी अपनी फील्ड का टर्निंग प्वाइंट भी साबित हुआ।
सात माह में ही प्रीतम लोधी की सजा खत्म
बीजेपी में उमा भारती के करीबी माने जाने वाले लोधी ने 17 अगस्त 2022 को ब्रह्माणों के खिलाफ एक बयान दिया था। इस बयान में उन्होंने कहा था कि किसान के घर अच्छी फसल होगी तो ब्राह्मण भागवत कथा कराने के लिए कहेगा। इस बहाने नौ दिन पागल बनाएगा फिर रफूचक्कर हो जाएगा। इस बीच महिलाएं भी घी, शक्कर, गेहूं चावल उनके चरणों में रख देंगी। इसके बाद उन्होंने कुछ आपत्तिजनक बयान भी दिया था। इस बयान के बाद धीरेंद्र शास्त्री ने अपनी एक सभा में कहा था कि वो अगर कहीं मिल गए तो उन्हें मसल कर रख देंगे। खैर ये बयानबाजी सियासत से इतर थी। पर, शुरुआत में इसका खामियाजा प्रीतम लोधी को सियासी तौर पर ही भुगतना पड़ा। बीजेपी ने ब्राह्मण वोट की फिक्र करते हुए उन्हें छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया था। लेकिन सियासी रुख भांपते ही पार्टी ने सिर्फ सात माह में ही Pritam Lodhi की सजा खत्म कर दी और उन्हें पूरे सम्मान के साथ पार्टी में फिर शामिल किया। इसकी एक वजह उमा भारती की नाराजगी थी। जो प्रीतम लोधी पर हुई कार्रवाई से खासी नाराज थीं। न सिर्फ उमा भारती बल्कि लोधी वोट बैंक भी इस कार्रवाई के बाद काफी नाराज बताया जा रहा था। इस कंट्रोवर्सी का फायदा ये हुआ कि लोधी रातोंरात यूपी से सटे बुंदेलखंड के हिस्से में हीरो बन गए। बसपा भी लोधी पर डोरे डालने लगी और तीसरा मोर्चा भी एक्टिव हो गया था। ये सारे हालात साफ इशारा कर रहे थे कि बीजेपी को लोधी के निष्कासन से फायदा कम नुकसान ज्यादा है। जिन इलाकों में लोधी का प्रभाव था वहां ब्राह्मणों से ज्यादा लोधी वर्ग की नाराजगी बीजेपी पर भारी पड़ सकती थी। शायद इसलिए लोधी की वापसी हुई और विधानसभा चुनाव की पहली ही लिस्ट में बीजेपी ने उन्हें टिकट देने का ऐलान भी कर दिया।
लोधी सियासत से जुड़े मुद्दों को लेकर सुर्खियों से दूर
असल में पिछोर सीट पर कांग्रेस और बीजेपी में हार जीत का फासला भी कम होता जा रहा था। साल 2018 के चुनाव में लोधी सिर्फ 2675 मतों से हारे थे। उन्हें इस सीट से करीब 88 हजार 788 वोट मिले थे। साल 2013 में हार जीत का अंतर महज 7113 मतों का ही था। पिछोर सीट पर लोधी वोटर्स भी काफी दमदार बताए जाते हैं। इस सीट पर लोधी मतदाताओं की संख्या 35 हजार के करीब रही है। इसके अलावा यादव, पाल और आदिवासी भी पिछोर सीट के चुनावों के प्रभावित करते हैं। यही वजह रही की बीजेपी ने चाहे या अनचाहे प्रीतम लोधी को ही टिकट देना ठीक समझा। इस सीट पर बीजेपी ने बूथ लेवल पर भी कसावट लाने का काम किया। नतीजा ये हुआ कि Pritam Lodhi करीब 21 हजार 882 मतों से चुनाव जीत गए। हालांकि जीत के बाद Pritam Lodhi सियासत से जुड़े मुद्दों को लेकर सुर्खियों से दूर हैं। अलबत्ता साल की शुरुआत से ही ऐसी खबरों में जरूर बने हुए हैं जिनका नाता दूर दूर तक राजनीति से तो नहीं है।
राजनीति से ज्यादा विवादों में घिरे लोधी
साल 2024 की शुरुआत में ही ये खबर आई कि उनके बेटे पर संगीन मामला दर्ज हुआ है। जिसके जवाब में खुद प्रीतम लोधी ये कहने को मजबूर हुए कि बेटे ने गलत किया है तो उसे कड़ी से कड़ी सजा दी जाए। खुद अपना बचाव करते हुए प्रीतम लोधी ने ये भी कहा कि उन्होंने खुद एसपी से बात की है और कहा है कि बेटे पर सख्त धाराएं लगाई जाएं। वो अत्याचार विरोधी और गरीबों के सेवक हैं और हमेशा ही रहेंगे। कुछ ही महीनों पहले सोशल मीडिया पर प्रीतम लोधी को अपशब्द कहे गए। जिसके बाद पुलिस ने उस सोशल मीडिया हैंडल के खिलाफ मामला दर्ज किया था। यानी ये कहना गलत नहीं होगा कि विधायक बनने के बाद भी प्रीतम लोधी राजनीति से ज्यादा विवादों में घिरे हुए हैं।