मध्य प्रदेश के प्रदेशाध्यक्ष पद को लेकर बीजेपी बड़ा फैसला ले सकती है। ऐसा फैसला जो न सिर्फ आम लोग बल्कि बीजेपी के अपने सदस्यों को भी चौंका सकता है। इस फैसले के तीन बड़े कारण है। पहला केरल में हुई आरएसएस की बड़ी बैठक, दूसरा बीजेपी का सदस्यता अभियान और तीसरा कारण है दिल्ली में आतिशी का सीएम बनना। हालांकि अभी ऐसा कोई संकेत नहीं है कि वीडी शर्मा को प्रदेशाध्यक्ष पद से बदला जा सकता है, लेकिन बीजेपी के अंदरूनी हलकों में ही ये चर्चा तेज हो चुकी है कि जब भी वीडी शर्मा बदले जाएंगे। उसके बाद जो चेहरा उनकी जगह लेगा वो चौंकाने वाला होगा। वो चेहरा कौन कौन हो सकते हैं और कैसे ये फैसला हैरान करने वाला होगा। चलिए वो भी समझ लेते हैं...
महिलाओं को मिल सकता है मौका
अब सवाल ये है कि मध्यप्रदेश में बीजेपी का प्रदेशाध्यक्ष कौन बनेगा। बीजेपी अब जो भी फैसला लेगी वो बहुत चौंकाने वाला हो सकता है। साथ ही पार्टी के वो सारे दिग्गज नेता, जो इस पद पर काबिज होने की राह तक रहे हैं। उन सबका पत्ता कट जाए और कोई अलग ही चेहरा सामने आ जाए। बीजेपी जो भी फैसला लेती है अमूमन चौंकाने वाला ही होते हैं। प्रदेशाध्यक्ष से जुड़ा फैसला इसलिए चौंकाने वाला होगा क्योंकि बीजेपी इस बार किसी महिला नेता को ये मौका दे सकती है। इसका हिंट केरल में आरएसएस की बैठक से मिला है। इस बैठक में आरएसएस के सभी नेताओं ने राजनीति में 33 प्रतिशत महिला आरक्षण का समर्थन किया है। जिसके बाद ये माना जा सकता है कि बीजेपी ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को आगे बढ़ा सकती है।
महिला मतदाताओं की संख्या तेजी से बढ़ रही
वैसे भी बीजेपी ने ही मध्यप्रदेश को पहली और अब तक की एकमात्र महिला मुख्यमंत्री उमा भारती भी दी थी। अब प्रदेशाध्यक्ष पद की कमान सौंप कर बीजेपी महिला मतदाताओं के बीच बड़ा मैसेज दे सकती है। इसकी दूसरी वजह बीजेपी का सदस्यता अभियान भी है। इस सदस्यता अभियान में महिलाओं ने भी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया है। इसके साथ ही बीजेपी इस फेक्ट को भी नजरअंदाज नहीं करना चाहती कि प्रदेश में महिला मतदाताओं की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इस वजह से अगर महिला को प्रदेशाध्यक्ष पद पर मौका दिया जाता है और वो कुशल संगठक साबित होती हैं तो बीजेपी महिला वोटर्स के बीच एक अच्छा मैसेज पहुंचा सकती है। तीसरी वजह दिल्ली में आतिशी का मुख्यमंत्री बनना है। ये वजह भी थोड़ा चौंका सकती है लेकिन एक महिला नेता को ये कमान सौंप कर खुद आम आदमी पार्टी भी महिला हितैषी होने और महिला सशक्तिकरण का मैसेज देने की पूरी कोशिश कर रही है। बीजेपी भी इसी तर्ज पर आगे बढ़ सकती है। हालांकि इसमें भी कई पेंच हैं जो इस फैसले में रोड़ा बन सकते हैं।
वो कौन सी महिला नेता हैं जिन्हें बीजेपी मौका दे सकती है....
इस लिस्ट में सबसे पहला नाम उषा ठाकुर का आ रहा है। उषा ठाकुर शिवराज सरकार में तेज तर्रार मंत्री रही हैं और हिंदुत्व का चेहरा भी बनी हैं। अगर पार्टी इसी एजेंडे पर आगे बढ़ती है उषा ठाकुर इस छवि को मजबूत करने में मददगार हो सकती हैं।
दूसरा नाम अर्चना चिटनिस का माना जा सकता है। अर्चना चिटनिस उमा भारती और शिवराज दोनों की कैबिनेट में मंत्री रह चुकी हैं। मालवा का जाना माना नाम भी हैं। चिटनिस ने महिला मोर्चा की राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष और पार्टी प्रवक्ता भी रहीं हैं।
रीति पाठक का नाम भी इस फेहरिस्त में शामिल हैं। जो विंध्य अंचल से आने वाली एक बड़ी महिला नेता हैं और सीधी से सांसद रह चुकी हैं। इस बार पार्टी का आदेश मानते हुए विधानसभा चुनाव लड़ीं थीं। माना जा रहा है कि पार्टी उन्हें बड़ा पद सौंप सकती है।
एक नाम संपतिया उइके का भी इस लिस्ट में लिया जा सकता है। बीजेपी पिछले कुछ चुनाव से पूरा फोकस आदिवासी वोट बैंक पर कर रही हैं। इसी वोट बैंक से एक बड़े महिला चेहरे को ये कमान सौंप कर बीजेपी एक तीर से दो निशाने साध सकती है। एक तो महिला मतदाताओं में पैठ गहरी कर सकती है दूसरा आदिवासियों को भी मना सकती है।
चंबल की महिला नेता संध्या राय पर भी ये दांव खेल सकती है। संध्या राय बीजेपी का बड़ा चेहरा हैं और भिंड से सांसद भी हैं। प्रदेश संगठन में उन्हें उपाध्यक्ष का पद पहले ही मिला हुआ है।
जातिगत समीकरण का भी ध्यान रखना होगा
अगर बीजेपी ओबीसी चेहरे पर दांव खेलती है तो कविता पाटीदार को ये मौका मिल सकता है, जो प्रदेश संगठन में पहले से ही महामंत्री के पद पर काबिज हैं, लेकिन ये फैसला लेना आसान भी नहीं है। बीजेपी को जातिगत समीकरणों का भी पूरा ध्यान रखना होगा। अंचल की राजनीति को भी अनदेखा नहीं किया जा सकता है साथ ही वो चेहरें भी नकारे नहीं जा सकते जो इस रेस में हैं और कद्दावर नेता भी हैं। जिस तरह से बीजेपी ने वाकई महिलाओं को मौका दिया है और महिला नेताओं ने जबरदस्त परफोर्मेंस दिया है। उसके बाद उन्हें अनदेखा नहीं किया जा सकता है। प्रदेश से तीन महिला सांसद राज्यसभा में जा चुकी हैं। छह महिला सांसद लोकसभा में हैं। 21 महिला विधायक बन कर विधानसभा तक पहुंची हैं। ये परफॉर्मेंस सोचने पर मजबूर करता है कि महिला नेताओं को और भी बेहतर मौके दिए जा सकते हैं। वैसे बीजेपी ने संगठन में भी महिलाओं को खूब जगह दी है, जिसे देखते हुए लगता है कि आने वाले वक्त में बीजेपी ऐसा फैसला ले सकती है। आपको ये भी बता दें कि प्रदेश में किसी और पार्टी ने महिला नेता को संगठन में भले ही जगह दी हो लेकिन प्रदेशाध्यक्ष का पद किसी को नहीं सौंपा है। अगर बीजेपी ऐसा करती है तो ये फैसला प्रदेश की राजनीति में एक नई मिसाल हो सकता है।
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