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NEWS STRIKE : कहां हैं नेताजी में आज बात करते हैं ऐसे नेता की जो जरूरत पड़ने पर अपनी ही पार्टी को आइना दिखाने में पीछे नहीं रहता। भारी दल बदल के बाद जब बीजेपी में अपने ही नेताओं की अनदेखी होने लगी। तो सबसे पहले नाराजगी जताने वाले पुराने दिग्गजों में इस नेता का नाम शामिल था। शिवराज सरकार में मंत्री रहने वाले इस विधायक को पार्टी ने भले ही पिछली पंक्ति में पटक दिया हो लेकिन फिर भी ये नेता न पार्टी लाइन को भूला है न चार दिवारो में सिमटा है। और, आज भी जरूरत पड़ती है तो आला नेताओं को सच्चाई से रूबरू कराने में चूकता नहीं है। जिस नेता की बात हो रही है वो नेता हैं पाटन विधानसभा सीट से विधायक अजय विश्नोई...
सिंधिया समर्थकों को एडजस्ट करने के चक्कर में नहीं मिली जगह
अजय विश्नोई शिवराज कैबिनेट में मंत्री भी रह चुके हैं। लेकिन दल बदल के बाद जब साल 2020 में बीजेपी ने सत्ता में वापसी की, उसके बाद से विश्नोई दोबारा मंत्री नहीं बन सके। छात्र राजनीति से जुड़े रहे विश्नोई को हमेशा यही अहसास रहा कि वो पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में से एक हैं। शायद इसलिए दल बदलुओं के आने के बाद बीजेपी में हो रहे बदलाव और पुराने नेताओं की अनदेखी की वजह से उनके भीतर खासी नाराजगी है। खास बात ये है कि विश्नोई ने अपनी नाराजगी जाहिर करने में कभी कोई कसर नहीं छोड़ी। साल 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ बड़ी संख्या में आए विधायकों के बाद बीजेपी की सत्ता में वापसी हुई। चूंकि लॉकडाउन लग चुका था इसलिए हालात संभालने के लिए एक बार फिर बतौर सीएम शिवराज सिंह चौहान की ताजपोशी हो गई। करीब 26 या 27 दिन शिवराज सिंह ने अकेले ही सारा काम संभाला। फिर उनके मंत्रिमंडल में तुलसी राम सिलावट और दूसरे गोविंद सिंह राजपूत सदस्य बने। दोनों ही सिंधिया समर्थक थे। और, शायद ये मैसेज देना जरूरी रहा होगा कि सिंधिया और उनके समर्थकों की पार्टी में खूब पूछ परख है। इसलिए दो लोगों को मंत्री बना दिया गया। तब तक बीजेपी में सब ठीक ठाक था। लेकिन जब लॉक डाउन हटा और फिर मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ। तब नेताओं की नाराजगी छुपी नहीं रह सकी। सिंधिया समर्थकों को एडजस्ट करने के चक्कर में बहुत से दिग्गजों को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिल सकी थी। अजय विश्नोई भी उनमें से एक थे।
गलत देखकर चुप नहीं रहते विश्नोई
अगस्त 2021 में ऐसे नाराज नेताओं की बैठक भी हुई। और, इसके लिए जो जगह चुनी गई वो अजय विश्नोई का घर ही था। विश्नोई के घर पर चार पांच दिग्गज नेता इकट्ठे हुए। चर्चा का मुद्दा था कैबिनेट में बचे चार पद जिन पर नियुक्ति की गुंजाइश थी। तब उन्होंने सार्वजनिक तौर पर सिर्फ ये कहा कि उनके जैसे लोग साथ में बैठेंगे तो कुछ चर्चा तो होगी ही। इससे पहले भी विश्नोई ने मंत्रिमंडल को देखते हुए लिखा था कि सागर, शहडोल संभाग का हर तीसरा बीजेपी विधायक मंत्री है। ग्वालियर चंबल भोपाल से हर दूसरा विधायक मंत्री है। जबकि विंध्य और महाकौशल को कुछ नहीं मिला। ये अब फड़फड़ा सकते हैं। उड़ नहीं सकते। आपको याद होगा साल 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले भी शिवराज कैबिनेट का विस्तार हुआ था। तब भी अजय विश्नोई ने लिखा था कि सिर्फ डेढ़ माह पहले कैबिनेट का विस्तार करना ठीक नहीं है। 4 को खुश करने के लिए 14 को नाराज नहीं किया जाना चाहिए। उस समय ये अटकलें लगी थीं कि शायद विश्नोई भी शिवराज कैबिनेट का हिस्सा हो सकते थे। लेकिन अपने तीखे तेवरों की वजह से वो खुद ही इस पद से दूर हो गए हैं। इतना बोलने का नफा हुआ हो या नुकसान हुआ हो। ये तय है कि विश्नोई कभी भी कुछ भी गलत देखकर चुप नहीं रहे। न शिवराज सिंह चौहान के जमाने में। और, न ही मोहन यादव के दौर में। वो मोहन यादव के दौर में भी उतना ही खुलकर नाराजगी जता चुके हैं।
पार्टी के सदस्यता अभियान पर भी सवाल
मोहन यादव की सरकार में विश्नोई को फिर मंत्रिमंडल में मौका नहीं मिला है। इस बार उनके तेवर थोड़े बदले दिखे। उन्होंने कहा कि मंत्री नहीं बनाने से कोई फर्क नहीं पड़ता बस महाकौशल का विकास होते रहना चाहिए। नए मुखिया के नेतृत्व में वो कुछ दिन तो खामोश रहे। लेकिन पिछले दिनों उनका गुस्सा फिर फुटा। मामला विधायक प्रदीप पटेल के एक वीडियो से शुरू हुआ। जिसमें वो रीवा के एएसपी अनुराग पांडे के सामने हाथ जोड़ कर खड़े हैं और कहते दिखे कि मुझे मरवा दीजिए क्योंकि पूरा मऊगंज अब नशे की चपेट में आ चुका है। विधायक की व्यथा तो खैर थी ही। विश्नोई ने भी इस मौके पर सरकार को घेरने में देर नहीं की। उन्होंने लिखा कि प्रदीप जी ने सही मुद्दा उठाया है। पर क्या करें, पूरी सरकार ही शराब ठेकेदारों के आगे दंडवत है। अजय विश्नोई ने इससे कुछ दिन पहले अपनी ही पार्टी के सदस्यता अभियान पर भी सवाल खड़े किए थे। उन्होंने ट्विटर पर एक पोस्ट में लिखा था कि एक प्राइवेट कंपनी ने फोन कर उन्हें कहा कि वो सदस्यता का ठेका दे सकते हैं। इस पोस्ट में अजय विश्नोई ने उस नंबर को भी शेयर कर दिया जिससे उन्हें इस आशय का फोन आया था।
इन दिनों सरकार की और से खामोश हैं विश्नोई
अजय विश्नोई की सरकार से लाख नाराजगी हो। लेकिन अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से लेकर अपने बयानों तक में उन्होंने कभी पीएम मोदी, शाह और नड्डा का नाम नहीं खींचा। बल्कि वो अपने ट्विटर हैंडल पर अक्सर पीएम मोदी की तारीफ ही करते रहे हैं। अपनी विधानसभा सीट में भी अजय विश्नोई खासे एक्टिव बताए जाते हैं। स्थानीय सूत्रों के मुताबिक इन दिनों वो स्कूलों के इंस्पेक्शन में ज्यादा समय बिता रहे हैं। साथ ही कृषि उपज मंडी की शिफ्टिंग को लेकर भी सक्रिय है। खो खो के राज्य स्तरीय आयोजन में भी उनकी आमद दिखाई देगी। वैसे विश्नोई खुद अपनी इन एक्टिविटीज की तस्वीरें सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हैं। लेकिन इन दिनों सरकार की और से खामोश हैं। पर, क्या ये किसी तूफान से पहले की खामोशी है या फिर से अपनी बात रखने के लिए सही वक्त का इंतजार हो रहा है।