NEYU के राधे, रणजीत को पुलिस ने 15 घंटे गाड़ी में घुमाया, एनकाउंटर की थी आशंका

मप्र पुलिस एक आंदोलन को रोकने के लिए किस हद तक जा सकती है इसका खुलासा NEYU (नेशनल एजुकेटेड यूथ यूनियन) के राधे जाट और रणजीत किसानवंशी की गिरफ्तारी के खेल से होता है।

author-image
Sanjay Gupta
New Update
ACP
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

मप्र पुलिस एक आंदोलन को रोकने के लिए किस हद तक जा सकती है इसका खुलासा NEYU (नेशनल एजुकेटेड यूथ यूनियन) के राधे जाट और रणजीत किसानवंशी की गिरफ्तारी के खेल से होता है। दोनों हाईकोर्ट की डबल बेंच द्वारा पुलिस को लगी फटकार के बाद बाहर आए हैं। यह केस ओपन है, यानी अभी और सुनवाई होगी। दोनों के बाहर आने के बाद द सूत्र ने दोनों से पूरे घटनाक्रम पर बात की तो पुलिस की कार्यशैली चौंकाने वाली है और यह बताता है कि पुलिस अधिकारी खासकर एसीपी देवेंद्र सिंह धुर्वे और टीआई राजकुमार यादव किस तरह झूठ बोल रहे हैं और अधिकारों का दुरुपयोग कर रहे हैं। मामला एनकाउंटर की आशंका तक पहुंच गया। 

यह हुआ पूरा कांड

31 दिसंबर की रात को जब पीएससी से केवल 158 पद आए, तो युवा नाराज हुए, और फिर रात को गूगल मीट हुई। इसमें 150 से ज्यादा युवा जुड़े और सभी ने राधे जाट और रणजीत को कहा कि एक जनवरी को मीटिंग बुलाएं और फिर से आंदोलन करेंगे। मीटिंग दोपहर 12 बजे होनी थी। इसके लिए दोनों ने वीडियो संदेश जारी किए। सुबह नौ बजे ही राधे जाट के घर पर तीन पुलिसकर्मी पहुंच गए, जो भंवरकुआं थाने से थे।

राधे जाट ने यह बताया

राधे जाट ने बताया कि पुलिसकर्मी इकराम अस्कल, संजय सोनी और कोई राजपूत थे। दो सिविल में थे। यह घर आएं और कहा कि चलो हमारे साथ, थाने चलना है। टीआई राजकुमार यादव ने बात की और कहा कि अभी आ जाओ थाने। जाट को वाहन में बैठाया और थाने ले जाने की जगह चोरल ओर ले गए। वहीं घुमाते रहे, जब राधे ने कहा कि थाने ले चलो। इस पर पुलिसकर्मी ने कहा कि मीटिंग का समय आपका 12 बजे का है वह निकल जाने दो फिर छोड़ देंगे। लेकिन दोपहर हो गई शाम हो गई वह वाहन में घुमाते रहे। खंडवा रोड घाट पर भी रहे। फिर एसआई धर्मवीर और कोई लक्ष्मण आए और कहा कि यही बयान दे दो। इस पर उन्होंने मना कर दिया। बीच में कई बार सुनसान गली में ले गए। इस दौरान लगा कि क्या मार देंगे मुझे एनकाउंटर तो नहीं कर देंगे। लेकिन पुलिस ने कुछ नहीं कहा और घुमाते रहे। रात साढ़े 12 बजे थाने ले गए। टीआई यादव से बात की तो वह बोले हमें ऐसे उठाने का अधिकार है। मैंने आपत्ति ली कि अंग्रेजों जैसा व्यवहार हो रहा है मेरा, फोन नहीं, परिजनों को नहीं बताया गया है, झूठ बोलकर ले आए और वकील भी नहीं है। हालांकि, हमें थाने में बैठा लिया, यहीं पर रणजीत भी मिला और तब पता चला कि उसे भी लाया गया है।

MPPSC Protest | Indore Police की पहली प्रतिक्रिया, BPSC जैसा आंदोलन करना चाहते थे | इसलिए भेजा जेल

रणजीत किसानवंशी ने क्या बताया?

इसी तरह रणजीत ने बताया कि मैं अपने दोस्त के फ्लैट पर रुका था, मीटिंग की तैयारी कर रहा था, तभी पुलिस वाले आए और कहा थाने चलना है और गाड़ी में बैठा लिया। लेकिन थाने ले जाने की जगह मुझे मानपुर के जंगलों की ओर घुमाते रहे। दिन भर गाड़ी में घुमाया और फिर रात साढ़े 12 बजे थाने ले गए और यहां पर राधे भी मिला। रणजीत ने पुलिस वालों से भी पूछा क्यों घुमा रहे हो, मारोगे क्या? इस पर पुलिस वालों ने कहा चिंत मत करो अन्ना हजारे को भी इस तरह पुलिस ने घुमाया था, ऐसा करते हैं।

लेटर

सुबह चार बजे मेडिकल के लिए ले गए

गिरफ्तारी के बाद दो जनवरी की सुबह चार बजे ही मेडिकल के लिए जिला अस्पताल ले गए। लेकिन वहां इतनी सुबह मना कर दिया गया फिर सुबह 6 बजे मेडिकल कराया और फिर एसीपी कोर्ट ले गए, जहां हमारी जमानत आवेदन रद्द किया गया। मजे की बात है कि टीआई राजकुमार यादव रात 12 बजे तक परिजनों से झूठ बोलते रहे कि हमने कोई गिरफ्तारी नहीं की है। वहीं एसीपी धुर्वे ने द सूत्र के सवाल पर साफ कहा कि हमने कोई गिरफ्तारी नहीं की, मुझे इसकी जानकारी नहीं है। 

आग से खिलवाड़ नहीं, MPPSC छात्रों के समर्थन में उतरे कमलनाथ और सिंघार

एसीपी कोर्ट ने दो बार जमानत रद्द की

इस मामले में एसीपी कोर्ट में दो जनवरी को अरविंद जाट ने जमानत आवेदन दिया लेकिन उस पर पुराने केस होने से एसीपी ने आवेदन खारिज कर जेल भेज दिया। फिर तीन जनवरी को जमानत आवेदन पेश हुआ, लेकिन एसीपी ने श्याम जाट द्वारा जमानत दिए जाने के आवेदन को ना खारिज किया और ना मंजूर किया। 

RADHE

फिर हाईकोर्ट में लगी हैबियस कॉर्पस रिट

इसके बाद चार जनवरी को दोनों की ओर से सीधे हाईकोर्ट डबल बैंच में हैबियस कॉर्पस याचिका दायर की गई। इसमें जस्टिस विवेक रूसिया और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की स्पेशल बेंच बनी और चार जनवरी को इसमे सुनवाई हुई। इसमें एसीएस होम, डीजीपी, सीपी, एसीपी और टीआई सभी को पार्टी बनाया गया। इसमें हाईकोर्ट ने पुलिस की कार्यशैली पर जमकर फटकार लगाई और सीधे आदेश दिया कि एसीपी कोर्ट तत्काल श्याम जाट के जमानत गारंटी को स्वीकार करे, आज ही इन्हें रिलीज करें। इसके बाद एसीपी कोर्ट ने जमानत मंजूर की ओर दोनों को रिहा किया।

MPPSC ने 120 पदों पर निकाली नई भर्ती, जानिए आवेदन कब से ?

लेकिन केस अभी खत्म नहीं हुआ है...

हालांकि, हाईकोर्ट में पुलिस की कार्यशैली को लेकर जमकर सवाल उठे हैं। इसमें सामान्य प्रतिबंधात्मक धाराओं में जिस तरह से इन्हें उठाया गया और फिर जमानत को पहले रद्द किया। फिर आवेदन को अटका कर रखा, उस पर हाईकोर्ट ने तीखी नाराजगी जाहिर की है। साथ ही लिखित आदेश में है कि इस याचिका में जो अन्य मुद्दे उठे हैं, वह आगे जाकर यथासमय डिसाइड किए जाएंगे, अभी तो इन्हें तत्काल जमानत लेकर छोड़ा जाए। 

पुलिस ने केवल यह प्रतिक्रिया दी थी

इस मामले में पुलिस की ओर से केवल एडिशनल डीसीपी क्राइम राजेश दंडोतिया ने प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने कहा था कि दोनों पीएससी के छात्र नहीं है और फिर से शांति भंग करने की आशंका थी। बिहार जैसे आंदोलन तरह जुटने के लिए भड़का रहे थे और न्यू ईयर भी था इसलिए शांति व्यवस्था के लिए दोनों को गिरफ्तार किया गया था।

thesootr links

द सूत्र की खबरें आपको कैसी लगती हैं? Google my Business पर हमें कमेंट के साथ रिव्यू दें। कमेंट करने के लिए इसी लिंक पर क्लिक करें

मध्य प्रदेश MP News इंदौर MP रणजीत किसानवंशी क्राइम ब्रांच राजेश दंडोतिया इंदौर न्यूज NEYU एनईवाययू के संयोजक राधे जाट एमपी न्यूज MPPSC इंदौर समाचार मध्य प्रदेश समाचार ACP Devendra Singh Dhurve