आग से खिलवाड़ नहीं, MPPSC छात्रों के समर्थन में उतरे कमलनाथ और सिंघार

मध्य प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका अदा कर रहे उमंग सिंघार ने मुख्यमंत्री मोहन यादव को एक लेटर लिखा है जिसमें उन्होंने कहा है कि राधे जाट और रणजीत किसानवंशी को जल्द से जल्द रिहा किया जाए।

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Raj Singh
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मध्य प्रदेश में इन दिनों जबरदस्त बवाल मचा हुआ है। 31 दिसंबर की देर रात MPPSC ने साल 2025 के लिए नोटिफिकेशन जारी किया। जिसमें महज 158 ही पदों के लिए अधिसूचना जारी की गई। इसके बाद छात्रों ने एक बार फिर से आयोग को प्रदर्शन करने के लिए चुनौती दे रहे थे। इसी सिलसिले में पहली जनवरी को ही NEYU के दो सदस्य राधे जाट और रणजीत किसानवंशी को गिरफ्तार कर लिया गया। अब इसी सिलसिले में मध्य प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका अदा कर रहे उमंग सिंघार ने मुख्यमंत्री मोहन यादव को एक लेटर लिखा है जिसमें उन्होंने कहा है कि इन दोनों को जल्द से जल्द सरकार रिहा करे। 

आग से खिलवाड़ कर रही मोहन सरकार- सिंघार

उमंग सिंघार ने एक्स पर पत्र को शेयर करते हुए लिखा कि मुख्यमंत्री मोहन यादव जी मध्यप्रदेश में कई विभागों में पद खाली है। प्रदेश के छात्रों को कुछ पदों की रेवड़ी न दे। मध्य प्रदेश सरकार कुल कितने पद भर सकती है MPPSC के माध्यम से स्पष्ट करें। प्रदेश के होनहार युवाओ के भविष्य के साथ न खेले। 

वहीं एक अन्य पोस्ट में सिंघार ने आगे लिखा कि MPPSC छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहा है, युवाओं से खिलवाड़ मतलब आग से खिलवाड़!

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कमलनाथ ने भी बोला हमला

बता दें कि इस पूरे मामले पर कांग्रेस के दिग्गज नेता और प्रदेश के पूर्व सीएम कमलनाथ ने भी सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने अपने अधिकारिक एक्स हैंडल पर एक पोस्ट किया। इसमें उन्होंने लिखा कि छात्रों को इस तरह से गिरफ्तार कर जेल भेजना सरासर अन्याय है। अपने अधिकारों के लिए शांतिपूर्ण प्रदर्शन करना हर नागरिक अधिकार है। मैं छात्रों की तुरंत रिहाई की मांग करता हूं।

गिरफ्तारी पर क्या बोला NEYU

वहीं इस पूरे मामले पर NEYU यानी National Educated Youth Union ने कहा कि कल 1 जनवरी को मध्यप्रदेश पुलिस NEYU के राधे और रणजीत को घर से ले गई थी और आज उनको अनेक धाराओं में जेल भेज दिया गया हैI उनका यही जुर्म है कि MPPSC PROTEST का नेतृत्व करते हुए छात्रों के अधिकारों के लिए आवाज उठाई। यूनियन ने आगे लिखा कि मुख्यमंत्री जी ने खुद बुलाकर आंदोलन खत्म करने का बोलकर मांगें पूरी करने का आश्वासन दिया था। हालांकि, कुछ दिन बाद मांगें पूरी न करके सभी छात्रों के साथ धोखा दिया हमारे साथियों को जेल भेज दिया।

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'युवाओं के साथ अत्याचार'

छात्रों की इतनी सामान्य मांगें हैं कि किसी भी सरकार के संज्ञान में आएं तो तुरंत पूरी की जाती है। पर ये मांगें क्यों पूरी करेंगे इनको तो यह दिखाना है कि हम जो भीख में दें वह चुपचाप ले लो। जनता को मांग रखने का कोई अधिकार नहीं हैI  युवाओं के साथ यह अन्याय,तानाशाही, अत्याचार मध्यप्रदेश में ही नहीं बल्कि पूरे देश में हो रहा हैI 

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