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मप्र लोक सेवा आयोग (पीएससी) द्वारा 2025 के लिए जारी नोटिफिकेशन के बाद पदों को लेकर विवाद बढ़ गया है। वहीं आयोग ने प्री के कटऑफ नहीं बताने व अन्य नियमों में भी बदलाव किया है। इसके बाद युवा गुस्से में हैं। इसके लिए वह बुधवार को फिर से आंदोलन के लिए रणनीति बनाने वाले थे, जिस पर पुलिस ने पहले ही आंदोलनकारी और एनईवाईयू के कोर कमेटी के राधे जाट और रणजीत किसानवंशी को गिरफ्तार कर लिया। अब गुरुवार को उनकी जमानत भी खारिज होकर जेल भेजा गया।
क्यों भेजा जेल?
एसीपी जूनी इंदौर देवेंद्र सिंह धुर्वे की कोर्ट में गुरुवार को मेडिकल के बाद पुलिस ने जाट और किसानवंशी को पेश किया। दोनों के जमानतदार आ गए थे लेकिन एसपी ने उन्हें तकनीकी कारण से सक्षम जमानतदार नहीं माना और जेल भेजने के आदेश दे दिए।
ये धाराएं लगाई गई हैं
दोनों पर ही 107, 116 और 151 की प्रतिबंधात्मक धाराएं लगाई गई हैं। दोनों के वकील ने बताया कि फिर से जमानत लगाने का प्रयास किया जा रहा है और दूसरा जमानतदार पेश कर रहे हैं, जिससे वह जल्द बाहर आ सकें। वहीं एनईवाययू के सुरेंद्र व अन्य द्वारा इसे तानाशाही रवैया बताया जा रहा है। ताकि युवाओं के लिए कोई आंदोलन की बात नहीं कर सके।
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रात को दी परिजनों को जानकारी
जाट को बुधवार सुबह उनके तीन इमली स्थित घर से और फिर किसानवंशी को उनके मित्र के फ्लैट से गिरफ्तार किया गया। इसके बाद पुलिस ने किसी तरह की जानकारी ही नहीं दी। रात को जब मामला तूल पकड़ने लगा, कई लोग एसीपी दफ्तर, भवंरकुआं थाने पहुंचे और गुरुवार को सीपी के पास जाने की बात उठी। तब उनके परिजनों को देर रात बताया गया कि गिरफ्तार किया गया है और गुरुवार को एसीपी कोर्ट आ जाइए वहां पेश किया जाएगा।
31 दिसंबर की रात को यह हुआ था
31 दिसंबर की रात को 11.55 बजे जैसे ही पीएससी का राज्य सेवा परीक्षा 2025 का नोटिफिकेशन आया, इसके बाद युवाओं का सोशल मीडिया पर गुस्सा फूट पड़ा। रात को ही आंदोलनकारी राधे जाट और रणजीत के वीडियो मैसेज ग्रुप पर आ गए। इसके बाद रात दो बजे गूगल मीट हुई और इसमें भी करीब 150 युवा जुड़ गए। तय हुआ कि डीडी गार्डन भंवरकुआं पर दोपहर 12 बजे बुधवार को मीटिंग होगी और आंदोलन की रणनीति बनेगी। लेकिन इसके पहले ही दोनों को उठा लिया गया। दोस्तों और परिजनों का कहना है कि यह पुलिस ने किया है और पुलिस दोनों को ले गई है। दोनों ने वीडियो संदेश में कहा था कि हमारे साथ धोखा हुआ है 700 पद मांगे थे और 158 ही दिए हैं। यह धोखा है और इसके लिए फिर हम मैदान में उतरेंगे। अब हम पीछे नहीं हटेंगे और इसके लिए सरकार को भुगतना होगा। वहीं दोनों ने ट्वीट भी किए थे और कहा था कि सरकार को भुगतना होगा।
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सीएम ने भी दिया था आश्वासन
90 घंटे तक पीएससी के बाहर आंदोलन हुआ था। एनईवाययू के बैनर तले हुए इस आंदोलन से सरकार सकते में आ गई थी। आंदोलन को खत्म कराया गया और कई मांगों पर सहमति बनी। फिर अगली सुबह ही सीएम डॉ. मोहन यादव के साथ भोपाल में प्रतिनिधिमंडल की मुलाकात हुई और सीएम ने भी सकारात्मक संदेश दिए। इसके बाद आंदोलन समाप्त हो गया। उम्मीद थी कि 700 नहीं तो 300-400 तक ठीक-ठाक पोस्ट दी जाएंगी, लेकिन यह उम्मीद धरी रह गई। इसके बाद युवा गुस्से में आ गए।
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