इंदौर नहीं MP के ये तीन जिले हैं शराब ठेकेदारों की लड़ाई की वजह

इंदौर के सभी बड़े शराब ठेकेदारों की रुचि और लड़ाई का कारण इंदौर की दुकान नहीं बल्कि, गुजरात से लगे तीन बड़े जिले आलीराजपुर, धार और झाबुआ है। इन सभी ठेकेदारों का पड़ोसी जिले का मोह अभी नहीं गया है...

author-image
Jitendra Shrivastava
New Update
THESOOTR
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर के दो शराब ठेकेदारों के बीच तेज हुई गैंगवार की आशंका की वजह इंदौर के शराब ठेके बिल्कुल भी नहीं है। 'द सूत्र' ने गुजरात से लगे तीन जिलों के ठेकों की रिपोर्ट निकाली तो यही चौंकाने वाली बात आई कि इंदौर के सभी बड़े शराब ठेकेदारों की रुचि और लड़ाई का कारण इंदौर की दुकान नहीं बल्कि, गुजरात से लगे एमपी ( MP ) के तीन बड़े जिले आलीराजपुर, धार और झाबुआ है।

कौन शराब ठेकेदार किस जिले में ले गया ठेके...

रिंकू भाटियाः 

(इनकी कंपनी खालसा एंड कंपनी ने आलीराजपुर का करीब सौ करोड़ का शराब ठेका उठाया है)

इंदौर के साथ ही अन्य जिलों में पहले इनका सबसे बड़ा काम था जो अब अन्य ठेकेदारों के आने से सिमटने लगा है। लेकिन पड़ोसी जिले का मोह अभी नहीं गया है। यह दो साल पहले आईएएस एसडीएम के अपहरण, शराब तस्करी मामले में जेल जा चुके हैं, बाद में जमानत पर आए। कई थानों में अवैध शराब परिवहन के केस बन चुके हैं। अभी आलीराजपुर जिले के करीब सौ करोड़ के शराब ठेके इन्हीं की कंपनी खालसा एंड कंपनी ने लिए हैं। इंदौर में भी कुछ ठेके हैं। यह गुरूसिंघ सभा इंदौर के प्रधान भी है। इनका अन्य किसी से तालमेल नहीं है, यह खुद अकेले मैनेजमेंट देखते हैं। गुजरात में अवैध शराब लाइन चलाने में इनके नाम कई बार उछल चुके हैं। 

एके सिंह, अल्केश बाकलिया, पिंटू भाटिया गुटः

(इनके ग्रुप गुरूकृपा बायोफ्यूल ने झाबुआ का करीब सवा दो सौ करोड़ का ठेका उठाया है, कंपनी कागज पर संदीप जुनेजा, नीरज कुमार और ओम पुरोहित के नाम पर है)

एके सिंह पुराना शराब कारोबारी है। यह इंदौर के ग्रामीण जिले की विधायक के बहुत करीबी है। वहीं, अल्केश बाकलिया मुख्य तौर पर गुजरात में अवैध लाइन परिवहन का काम संभालता है और इसी गुट का सदस्य है। वह कई बार जेल जा चुका है और कई केस दर्ज है। वहीं पिंटू भाटिया उर्फ हरमिंदर सिंह पर्दे के पीछे का सबसे बड़ा किरदार है। जो इस गुट को चलाता है। धार जिले की डिस्टलरी में भी यह शामिल है। शराब ठेके उठाने के लिए 150 करोड़ की बैंक गारंटी घोटाले में भी मुख्य आरोपी है जिसकी जांच ईओडब्ल्यू में चल रही है। इनके दफ्तर में सीसीआई (काम्पटीशन कमीशन आफ इंडिया) भी छापा मार चुका है। 

सूरज रजक, रमेश राय, नन्हे सिंह और लल्ले शिवहरे गुटः

(इस गुट की कंपनी महाकाल वाइन शॉप जो कागजों पर मनु राय और निधि प्रसाद के है, लेकिन पर्दे के पीछे यह गुट है, उन्होंने धार जिले का पूरा ठेका 300 करोड़ से ज्यादा में उठाया है)

यह गुट तीन साल पहले शराब कारोबार में उतरे और तेजी से आगे बढ़ रहे सूरज रजक ने बनाया है। इसमें शराब के एके सिंह की तरह पुराने खिलाड़ी रमेश राय शामिल है तो वहीं धार जिले और आसपास होल्ड रखने वाले लल्ले शिवहरे और नन्हे सिंह भी इसमें शामिल है। इस गुट ने इस बार धार जिला हथिया कर एके सिंह, पिंटू भाटिया को सबसे ज्यादा चोट पहुंचाई है। इसी के चलते इस बार दोनों गुटों के बीच गैंगवार की आशंका तेज हो गई है। रमेश राय 24 मार्च को ही आचार संहिता लगने के बाद कार से कैश 56 लाख रुपए धार ले इंदौर लाते हुए पकड़े गए थे। उन्होंने यह राशि कारोबार की होना बताई थी, लेकिन माना जाता है कि यह गुजरात भेजी जा रही अवैध शराब की कमाई ही थी। इस पर आयकर विभाग ने भी नोटिस जारी किया है।

रजक सिंह के घर गए, भाटिया भी निशाने पर

दो दिन पहले रजक ने एके सिंह के घर जाकर चर्चा की। रजक का कहना है कि मुलाकात नहीं हुई घर गए थे, लेकिन सिंह का कहना है कि मुलाकात हो गई थी। रजक का आरोप है कि जहां भी शराब पकड़ी जा रही है उसमें सिंह पुलिस से संबंधों का हवाला देकर मेरा नाम उलझाना चाहते हैं, इसलिए बात करने गया था। सिंह का कहना है कि मेरा इन मामलों से कोई लेना-देना नहीं है। दरअसल सिंह गुट का मुख्य किरदार पर्दे के पीछे पिंटू भाटिया ही है, लेकिन सिंह पर्दे के सामने रहता है इसलिए रजक और सिंह के बीच में तनाव आया, लेकिन भाटिया भी निशाने पर है। धार ठेका जाने से भाटिया को कारोबार में तगड़ा झटका लगा है। 

गुजरात अवैध शराब लाइन का रोज का धंधा 1 करोड़ का

अब असल कहानी देखिए, दरअसल गुजरात में शराब प्रतिबंधित होने के चलते वहां भारी डिमांड रहती है। इन पड़ोसी जिलों के ठेके लेकर शराब ठेकेदार माल गुजरात में खपाते हैं। हर दिन का रोज का परिवहन गिरी से गिरी हालत में एक करोड़ के मुनाफे का है। यानि इन जिलों के शराब ठेके केवल दिखाने के लिए हैं, असल कमाई गुजरात की अवैध शराब परिवहन लाइन से हैं और यह सभी पुलिस, आबकारी विभागीय अधिकारियों की जानकारी में हैं। लेकिन इससे होने वाली मोटी कमाई के चलते सभी आंख मूंदकर यह लाइन चलने देते हैं। आबकारी विभाग में निचले स्तर के अधिकारियों की हालत तो और खराब है, पूरा माल जिले के आबकारी के प्रमुख अधिकारी कूट रहे हैं, और निचले स्तर के अधिकारी उलझ कर रह गए हैं, न माल मिल रहा है और न ही कार्रवाई के अधिकार दिए गए हैं। 

सिंह का एक और खेल, समधी को बनवा दिया प्रभारी जिला आबकारी अधिकारी

शराब कारोबार के पुराने खिलाड़ी एके सिंह ने अपनी गुजरात लाइन के खेल के लिए एक और बड़ा कारनामा कर दिया, इसमें सरकार ने भी भरपूर साथ दिया। गुजरात से सटे आलीराजपुर जिला आबकारी अधिकारी को हटाते हुए दो महीने पहले ही नए आबकारी अधिकारी के तौर पर धर्मेंद्र भदौरिया को प्रभारी जिला आबकारी अधिकारी आलीराजपुर बना ददिया गया है। यह वहीं भदौरिया है जिन पर पहले भी कई आरोप लगे हैं और विभागीय जांच भी चल रही है। मूल पद इनका एडीईओ का है, लेकिन प्रभारी डीईओ का देकर आलीराजपुर जिले का प्रमुख बना दिया गया है, यानी सिंह के कारोबार में कोई रोक-टोक वाला ही नहीं बचा।

MP शराब ठेकेदारों