मध्यप्रदेश के नर्सिंग काॅलेज में पढने वाले स्टूडेंट अब मनमाने तरीके से बंक नहीं मार सकेंगे। नर्सिंग काउंसिल काॅलेज से गायब रहने वाले छात्रों पर नकेल कसने जा रहा हैै। नर्सिंग काउंसिल अब जीपीएस लोकेशन ट्रेस कर अटेंडेंस लेने जा रहा है।
प्रदेश के नर्सिंग काॅलेजों में फर्जीवाड़ा उजागर होने के बाद से ही नर्सिंग काउंसिल ने इन कालेजों पर सख्ती करना प्रारंभ कर दिया था। इसी कड़ी में सालभर काॅलेज से गायब रहने वाले व केवल परीक्षा देने आने वाले छात्र-छात्राओं पर भी सख्ती की जा रही है। यह नई व्यवस्था प्रदेश के सभी नर्सिंग काॅलेजों में प्रारंभ की जाएगी।
फर्जी उपस्थिति दिखा रहे हैं नर्सिंग काॅलेज
प्रदेश में हुए नर्सिंग घोटाले को लेकर उच्च न्यायालय द्वारा तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया गया था, इस जांच समिति ने प्रदेशभर के निजी नर्सिंग कॉलेजों की गहन जांच की। इस जांच में यह तथ्य सामने आया कि कई नर्सिंग कालेज केवल फीस के लिए छात्रों को एडमिशन दे रहे हैं। ऐसे छात्र सालभर कॉलेज नहीं आते, केवल परीक्षा देने पहुंचते है। कई कालेजों में दो-दो सौ छात्रों के नाम रजिस्टर में होते हैं, लेकिन कॉलेज में दस छात्र तक दिखाई नहीं देते है।
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जीपीएस लोकेशन से ट्रेस हो सकेंगे छात्र
जांच समिति द्वारा छात्र संख्या में किए जा रहे फर्जीवाडे को रोकने के लिए सभी काॅलेजों में जीपीएस लोकेशन आधारित एटेंडेंस की व्यवस्था के बाद ऐसे छात्र जो काॅलेज नहीं आते है, ट्रेस किए जा सकेंगे। अभी प्रदेश के कई नर्सिंग काॅलेजों में बड़ी संख्या में उत्तरप्रदेश व बिहार के छात्र भी दाखिला लेते है, जो एडमीशन के बाद केवल परीक्षा देने काॅलेज आते है। इस नई व्यवस्था से तय न्यूनतम उपस्थिति नहीं होने पर छात्र परीक्षा से वंचित किए जा सकेंगे।
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फैकल्टी भी नहीं कर सकेंगे फर्जीवाड़ा
नर्सिंग काउंसिल फर्जी छात्रों के साथ नर्सिंग काॅलेजों में पढ़ाने वाली फैकल्टी पर भी सख्ती करने जा रहा है। अब तक एक ही शिक्षक दो से तीन काॅलेजों में पढ़ाने का काम कर रहे थे, लेकिन अब ऐसा नहीं हो सकेगा। फैकल्टी किसी एक ही काॅलेज में काम कर सकेंगे।
फैकल्टी की उपस्थिति के लिए आधार आधारित सत्यापन व्यवस्था प्रारंभ की जा रही है। इस व्यवस्था में ओटीपी के माध्यम से फैकल्टी का सत्यापन किया जाएगा। इससे एक फैकल्टी एक काॅलेज में सत्यापित होने के बाद दूसरे काॅलेज में वैरिफाई नहीं हो सकेगी।
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