BHOPAL. मध्य प्रदेश में एडमिशन के नाम पर छात्रों से फीस और तगड़ी छात्रवृत्ति का लालच निजी नर्सिंग कॉलेज अब भी नहीं छोड़ पा रहे हैं। नर्सिंग कॉलेजों ( nursing colleges ) आसानी से हाथ आने वाले इन्हीं रुपयों के चक्कर में आरक्षित वर्ग के छात्रों पर ज्यादा फोकस करते हैं। इन्हें फीस बहुत कम बताई जाती है और विद्यार्थी इसी वजह से एडमिशन ले लेते हैं। उन्हें यह तो बाद में पता चलता है कि फीस से दो या तीन गुना रुपया छात्रवृत्ति के रूप में सरकार चुका रही है। मोटे कमीशन के लालच में इन कॉलेजों में एजेंट गांव- गांव तक सक्रिय रहते हैं। हायर सेकेण्डरी का रिजल्ट आते ही वे नर्सिंग, डीएमएलटी, बीपीटी जैसे कोर्स में छात्रों का एडमिशन कराने में जुट जाते हैं।
'द सूत्र' ने किया एक्सपोज
नर्सिंग कॉलेजों में एडमिशन के नाम पर सरकारी छात्रवृत्ति का लाखों रुपए डकारने के इस खेल को द सूत्र ने एक्सपोज किया है। पहली कड़ी में लाखों रुपए के कमीशन को लेकर नर्सिंग कॉलेज प्रबंधन और एजेंट के झगड़े का खुलासे के बाद अब द सूत्र इस खेल की एक-एक परत आपके सामने खोल रहा है। इस कड़ी में आपको बता रहे हैं छात्रवृत्ति पर कब्जा जमाने के लिए नर्सिंग कॉलेज प्रबंधन कैसे छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ करते हैं। वे एडमिशन के समय नियम विरुद्ध तरीके से छात्रों के ऑरिजनल दस्तावेज जमा करा लेते हैं। जब कॉलेज की अव्यवस्था और असलियत सामने आने पर छात्र एडमिशन छोड़ते हैं तो कॉलेज उन्हें अटका देते हैं। कई बार तो पूरा साल गुजर जाता है और कॉलेज छात्रों को उनकी मार्कशीट जैसे दस्तावेज नहीं लौटाते। इस कारण इन छात्रों का साल बर्बाद हो जाता है। वहीं कुछ छात्रों को पूरे कोर्स की फीस जमा कराने का दबाव भी बनाया जाता है।
नर्सिंग कॉलेजों के भ्रम में फंसे थे छात्र
एडमिशन के नाम पर नर्सिंग कॉलेजों द्वारा आरक्षित वर्ग के छात्रों को मिलने वाली छात्रवृत्ति हड़पने की इस कड़ी में ऐसे ही छात्रों की व्यथा हम आपको सुना रहे हैं। दरअसल इन छात्रों ने लुभावने वादों और चमक-दमक देखकर नर्सिंग कॉलेजों में अलग-अलग कोर्सेस में एडमिशन ले लिया था। लेकिन कुछ दिन बाद ही उनका भ्रम टूट गया। जब बार-बार कॉलेज जाने के बाद भी क्लास नहीं लगी तब कुछ छात्रों ने प्रबंधन से पूछताछ की। कई बार बात करने पर भी जब संतोषजनक जवाब नहीं मिला उन्होंने एडमिशन दिलाने वाले एजेंट पर दबाव बनाया और अब कोई तीन महीने से तो कोई दो माह से एडमिशन छोड़े बैठा है। वे किसी नए कोर्स में एडमिशन लेना चाहते हैं लेकिन दस्तावेज नहीं होने से ऐसा नहीं कर पा रहे हैं। चक्कर काटने के बाद भी जब दस्तावेज वापस नहीं मिले तो इन छात्रों ने पुलिस से कॉलेज प्रबंधन की शिकायत की है। प्रदेश की राजधानी भोपाल के अलावा ग्वालियर, जबलपुर, सागर जिलों में भी नर्सिंग, पैरामेडिकल और बीपीटी कोर्स के विद्यार्थी चक्कर काट रहे हैं। दो-दो महीनों से भटकाने के बाद भी उन्हें दस्तावेज नहीं दिए जा रहे हैं। ऐसे में वे दूसरे कोर्सेस में एडमिशन नहीं ले पा रहे और पूरा साल बर्बाद होने की आशंका से परेशान हैं।
क्या कहते हैं छात्र
छात्रा मुस्कान भुसारे, अजय वर्मा, राज और अन्य का कहना है उन्होंने एजेंट की बात और कॉलेज की बड़ी-ऊंची इमारतों को देखकर भरोसा कर लिया था। उन्हें फीस भी बहुत कम बताई गई थी इस कारण नर्सिंग और पैरामेडिकल कोर्स में एडमिशन ले लिया था। उन्हें तो यह भी पता नहीं था कि उन्हें फीस इसलिए कम बताई गई है क्योंकि सरकार से अच्छी खासी राशि छात्रवृत्ति के रूप में कॉलेज को मिलने वाली है। दरअसल उन्हें अब ये बताया जा रहा है कि छात्रवृत्ति के चक्कर में ही उन्हें एडमिशन दिया गया था। एडमिशन के लिए उन्हें कॉलेज लाने वाले एजेंट को कमीशन में भी रुपए देना पड़े थे। कोर्स छोड़ने से यह नुकसान छात्रों को उठाना पड़ेगा। कॉलेज प्रबंधन (college management ) छात्रों से कोर्स की अवधि के सालों का पूरा फीस भी मांग रहे हैं। पिछले दिनों इससे परेशान होकर टीआईटी नर्सिंग कॉलेज के करीब दो दर्जन छात्र-छात्राओं ने गोविंदपुरा, पिपलानी थाने और आनंदनगर चौकी में शिकायत की है। छात्रों का आरोप है उन्हें बेवजह चक्कर लगवाए जा रहे हैं। कॉलेज प्रबंधन उन पर रुपया जमा कराने का दबाव बना रहा है। कहा गया है पूरी फीस नहीं भरी तो वे मार्कशीट नहीं देंगे और दूसरी जगह एडमिशन न होने से साल बर्बाद हो जाएगा।
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