इकबाल सिंह बैंस और बेलवाल की मुश्किलें बढ़ीं! 858 करोड़ का खेल, कैग की रिपोर्ट ने हिलाया

मध्यप्रदेश में पोषण आहार योजना (टेक होम राशन) में हुई गड़बड़ी पर कैग रिपोर्ट में गंभीर खुलासे किए गए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, 858 करोड़ रुपए का टीएचआर काल्पनिक रूप से दर्शाया गया और वितरण में भारी अनियमितताएं पाई गईं।

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Sourabh Bhatnagar
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मध्यप्रदेश में पोषण आहार (टेक होम राशन) के वितरण में हुई गड़बड़ी को लेकर लोकायुक्त ने एक नई शिकायत दर्ज की है। यह शिकायत पूर्व मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस (iqbal singh bains) और पूर्व सीईओ ललित मोहन बेलवाल (Lalit Mohan Belwal) के खिलाफ है। इस मामले में कैग (कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल) की रिपोर्ट ने कई गंभीर खुलासे किए हैं, जो राज्य सरकार की पोषण आहार योजना की प्रभावशीलता और पारदर्शिता पर सवाल उठाते हैं।

कैग रिपोर्ट के चौंकाने वाले खुलासे

कैग की रिपोर्ट के अनुसार, मध्यप्रदेश में 858 करोड़ रुपए की टेक होम राशन (टीएचआर) का उत्पादन काल्पनिक रूप से दर्शाया गया है। रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि जिस मात्रा में कच्चे माल का उपयोग होना चाहिए था, उतना हुआ ही नहीं। साथ ही, पोषण आहार का वितरण जिन 8 जिलों में किया गया था, वहां जितने लाभार्थी दिखाए गए, उतने लाभार्थी उस क्षेत्र में मौजूद नहीं थे।

पूर्व विधायक पारस सकलेचा ने उठाया था मामला

इस पूरे मामले में मुख्य आरोपी मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस और पूर्व आजीविका मिशन के सीईओ ललित मोहन बेलवाल हैं। पूर्व विधायक पारस सकलेचा ने इस मामले में लोकायुक्त के पास शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद जांच शुरू की गई। लोकायुक्त अब इस गड़बड़ी के आरोपों की जांच करेगा।

कैग रिपोर्ट में और क्या कहा गया?

कैग की रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया कि राज्य सरकार ने केंद्रीय निर्देशों के बावजूद पोषण आहार योजना की खरीद और वितरण की जांच नहीं की। रिपोर्ट में यह आरोप लगाया गया कि यह सब दुर्भावनापूर्ण इरादे से किया गया था। इसके अलावा, मार्च 2025 में विधानसभा में पेश की गई रिपोर्ट में भी कई अन्य अनियमितताओं की ओर इशारा किया गया है।

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विभागीय लापरवाही और अनियमितताएं

कैग ने बताया कि मध्यप्रदेश के 8 जिलों में टेक होम राशन योजना की जांच की गई, जिनमें धार, रीवा, झाबुआ, सागर, छिंदवाड़ा, सतना, भोपाल और शिवपुरी जिले शामिल थे। रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि विभाग ने सर्वेक्षण नहीं कराया और टीएचआर की खरीद व वितरण की पूरी तरह से पड़ताल नहीं की। यह लापरवाही राज्य के अधिकारियों की ओर से की गई थी।

डेटा की हेराफेरी और पोषाहार की आपूर्ति

कैग ने स्कूल शिक्षा विभाग के आंकड़ों के साथ उपरोक्त डेटा की सघन जांच की और पाया कि शिक्षा विभाग के अनुसार सिर्फ 0.45 लाख पंजीकृत लाभार्थी थे। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया कि अगस्त 2018 में आयुक्त को डेटा में गंभीर हेरफेर का पता चल चुका था। इसके बावजूद, उन्होंने डेटा की वास्तविकता और लाभार्थियों की सही संख्या का सही आकलन किए बिना ही फर्मों को टीएचआर (टेक होम राशन) के वितरण के लिए आपूर्ति आदेश जारी कर दिए। यह कदम गंभीर अनियमितता और प्रशासनिक लापरवाही को दर्शाता है।

मार्च 2018 में प्रबंधन सूचना प्रणाली (एमआईएस) के अनुसार 36.08 लाख लाभार्थी पंजीकृत थे, लेकिन पोषण आहार की आपूर्ति केवल 5.5 लाख लाभार्थियों के लिए की गई। यह एक बड़ी अनियमितता है क्योंकि जब इतने सारे लाभार्थी पंजीकृत थे, तो आयुक्त ने केवल 5.5 लाख लाभार्थियों को क्यों माना, इसका कोई ठोस कारण नहीं है।

गड़बड़ी की मुख्य वजहें

कैग ने कुछ प्रमुख गड़बड़ियों की पहचान की है:

  1. 2018-21 के दौरान 6 संयंत्रों ने क्षमता से ज्यादा टीएचआर का उत्पादन दिखाया।

  2. कई बार बिजली की खपत जरूरत से कम रही, और पोषाहार के वितरण में भारी गड़बड़ी पाई गई।

  3. टीएचआर की आपूर्ति बिना स्टॉक के की गई, और कई ट्रक तो अस्तित्व में ही नहीं थे, जिनसे पोषाहार भेजा गया।

  4. कई संयंत्रों में प्रोटीन और सूक्ष्म पोषक तत्वों की भारी कमी पाई गई, फिर भी पोषाहार बांटा गया।

  5. गोदामों में भारी अनियमितताएं पाई गईं, जैसे कि पैकेटों की खराब गुणवत्ता और कीड़ों से संक्रमित होना।

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क्या है टेक होम राशन (टीएचआर)?

टेक होम राशन (टीएचआर) एक पोषण कार्यक्रम है, जो 6 से 36 महीने के बच्चों और गर्भवती महिलाओं को घर पर उपयोग के लिए फोर्टिफाइड राशन प्रदान करता है। इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण और शहरी गरीब परिवारों के बच्चों और महिलाओं को पोषण संबंधी सहायता प्रदान करना है।

लोकायुक्त की जांच

लोकायुक्त अब इस मामले की गहराई से जांच करेगा। इन आरोपों की गंभीरता को देखते हुए लोकायुक्त की टीम को तत्काल कार्रवाई की उम्मीद है, ताकि जो भी दोषी पाए जाएं, उन पर कड़ी कार्रवाई की जा सके।

निष्कर्ष

यह रिपोर्ट राज्य सरकार और अधिकारियों के लिए एक गंभीर चेतावनी है। इससे यह साफ होता है कि पोषण आहार योजना के वितरण में भारी अनियमितताएं हुई हैं। अगर समय रहते इन गड़बड़ियों की जांच नहीं की जाती है, तो यह राज्य के विकास और गरीबों की मदद करने वाले ऐसे महत्वपूर्ण कार्यक्रमों की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा कर सकता है।

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