MP News: अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में क्रीमीलेयर को लेकर केंद्र सरकार और मध्यप्रदेश शासन के बीच मानदंडों में स्पष्ट अंतर पाया गया है। 2015 से 2024 के बीच भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के लिए चुने गए 91 उम्मीदवारों को केंद्र ने इसलिए भर्ती नहीं किया क्योंकि वे क्रीमीलेयर श्रेणी में आते थे। वहीं, मध्यप्रदेश में क्रीमीलेयर से जुड़ी करीब 150 शिकायतें राज्य स्तरीय छानबीन समिति के पास लंबित हैं, जो इन मामलों पर उचित ध्यान नहीं दे रही।
मध्य प्रदेश में एक डीन की नियुक्ति रद्द हो चुकी है क्योंकि वे क्रीमीलेयर में आते थे। लेकिन राज्य में क्रीमीलेयर के मामलों पर जांच की प्रक्रिया और सख्ती केंद्र के मुकाबले कम देखी गई है।
मप्र में क्रीमीलेयर की स्थिति
मध्य प्रदेश में पिछड़ा वर्ग (OBC) आयुक्त सौरव कुमार सुमन के मुताबिक, ओबीसी जाति प्रमाण पत्र संदिग्ध होने के 40 मामले सक्रिय हैं जिनमें नोटिस जारी कर सुनवाई की जा रही है।
राज्यस्तरीय छानबीन समिति का तर्क
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हर तीन साल में आय सीमा (income limit) का पैमाना बदल जाता है, इसलिए जांच में दिक्कत आती है।
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क्रीमीलेयर के मामलों में जांच के लिए स्पष्ट क्राइटेरिया नहीं है, जिससे लंबित मामले बढ़ रहे हैं।
डीन की नियुक्ति रद्द
मध्य प्रदेश में ओबीसी क्रीमीलेयर का पहला बड़ा मामला डॉ शरद चौधरी का था। राजमाता सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय में डीन के पद पर नियुक्ति के बाद उनके क्रीमीलेयर होने की बात सामने आई। 14 मार्च 2022 को उनकी नियुक्ति रद्द कर दी गई, जिसे हाईकोर्ट ने भी सही ठहराया।
इंजीनियर अविनाश शिवरिया के खिलाफ कार्रवाई नहीं
अप्रैल 2011 में पीएससी से सहायक यंत्री बने अविनाश ने दो साल पुराने क्रीमीलेयर सर्टिफिकेट का इस्तेमाल किया, जबकि उनका वेतन उस समय क्रीमीलेयर सीमा से ऊपर था। इसके बावजूद उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई।
भर्ती पर लगी रोक
राज्यसभा में तीन सांसदों के सवाल पर केंद्रीय राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि 2015 से 2024 के बीच IAS के लिए चुने गए 91 उम्मीदवारों की भर्ती रोक दी गई क्योंकि वे क्रीमीलेयर श्रेणी में आते थे। सांसदों ने सरकारी नौकरियों में केवल ओबीसी के लिए क्रीमीलेयर प्रावधान की उचितता पर सवाल उठाए।
क्रीमीलेयर के लिए आय सीमा
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28 जुलाई 2006: क्रीमीलेयर की आय सीमा 2.5 लाख रुपए सालाना निर्धारित।
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14 अक्टूबर 2008: आय सीमा बढ़ाकर 4.5 लाख रुपए सालाना।
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वर्तमान में, केंद्र सरकार ने क्रीमीलेयर के लिए सालाना आय सीमा 8 लाख रुपए कर दी है।
मध्यप्रदेश में भी इस वित्तीय सीमा को लागू करने का निर्णय लिया गया है, लेकिन राज्य स्तर पर इसकी जांच प्रक्रिया में ढील बरती जा रही है।