संजय शर्मा, BHOPAL. एक ओर मध्य प्रदेश सरकारी योजना, निर्माण कार्य और भर्ती परीक्षाओं में गड़बड़ियों के चलते बदनामी झेल रहा है। वहीं दूसरी ओर अपने फायदे के लिए शीर्षस्थ अधिकारी घोटालों को अंजाम देने के लिए नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। साल 2017 से 2021 के बीच आजीविका मिशन में नियुक्तियों से जुड़े फर्जीवाड़े में सामने आए तथ्यों को 'द सूत्र' आपके सामने ला रहा है। यह घोटाला इसलिए बड़ा है, क्योंकि इसमें मुख्य सचिव स्तर के अधिकारी सीधे तौर पर शामिल हैं। अधिकारियों के इस ग्रुप ने विभाग के मंत्री के आदेश को नकार दिया और जांच रिपोर्ट से फर्जीवाड़ा उजागर होने से रोकने के लिए दबाए बैठे रहे। अब इस मामले में भोपाल की सीजेएम कोर्ट ने EOW यानी आर्थिक अपराध ब्यूरो से 28 मार्च तक स्टेटस रिपोर्ट तलब की है। यह मामला विधानसभा में भी उठा था, गड़बड़ी के लिए अधिकारियों की जिम्मेदार स्वीकार करने के बाद भी मंत्री प्रह्लाद पटेल कार्रवाई को लेकर जवाब नहीं दे पाए थे।
चार शीर्ष अधिकारियों ने मिलाकर किया घोटाला
साल 2023 में रिटायर हुए प्रशासनिक मुखिया इकबाल सिंह बैंस से जुड़ा ये मामला क्या है। क्यों इसमें उनका नाम आ रहा है, आइए आपको बताते हैं। आजीविका मिशन में मनमानी नियुक्तियों के इस घोटाले में बैस के साथ तीन और अधिकारी शामिल थे। जी हां, यह आरोप हम नहीं लगा रहे, बल्कि IAS अधिकारी नेहा माव्याल की उस रिपोर्ट की इबारत है, जिसे जांच के दौरान उन्होंने तैयार किया था। आपको बताते हैं फर्जीवाड़े के लिए कैसे की गई सिलसिलेवार साजिश। साल 2017 -18 में प्रदेश में आजीविका मिशन में राज्य परियोजना प्रबंधक थे ललित मोहन बेलवाल। इस पद पर यह उनकी संविदा नयुक्ति थी। 8 मार्च 2017 को बेलवाल ने 15 नए जिलों की स्थापना का जिक्र करते हुए मिशननकर्मियों की नियुक्ति की जरूरत का उल्लेख किया।
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शासन के अनुमोदन के बिना ही कर डालीं नियुक्ति
बेलवाल के प्रतिवेदन पर प्रशासनिक अनुमोदन नहीं मिला, लेकिन उन्होंने 8 मार्च को यह फाइल पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के तत्कालीन एसीएस इकबाल सिंह बैंस को भेज दी। उसके पेज 7 पर टीप दर्ज की गई " पूर्व में विषय पर आपसे चर्चा का स्मरण करें, रिक्त पदों के लिए विज्ञापन जारी करना प्रस्तावित है। " इसी फाइल पर विभाग के तत्कालीन सचिव अमित राठौर ने चयन प्रक्रिया में पांच सदस्यीय समिति गठित करना प्रस्तावित कर दिया था। इसे बैस ने न केवल खारिज कर दिया, बल्कि बेलवाल के जरिए इस पर मंत्री की ओर से टीप दर्ज करा दी कि मंत्रीजी से चर्चा की जा चुकी है। फिर बैस और बेलवाल ने दो अन्य अधिकारियों के साथ मिलकर आजीविका मिशन सैकड़ों नियुक्तियां कर करोड़ों रुपए बटोरे।
जांच में खुल गईं घोटाले की परतें तो रिपोर्ट दबा दी
आजीविका मिशन में मनमानी नियुक्तियों का यह खेल कैसे सामने आया, अब इसकी बात करते हैं। जब पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में बड़े स्तर पर नियुक्तियों की चर्चा हुई, तब शिकायतें शासन स्तर पर उछलीं, जिसकी जांच तत्कालीन OSD और आईएएस नेहा माव्याल द्वारा की गई। 8 जून 2022 को IAS माव्याल ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट लिखा कि ललित मोहन बेलवाल की गड़बड़ी की जानकारी के बाद भी तत्कालीन ACS इकबाल सिंह बैस और अन्य ने कार्रवाई नहीं की और मामला न उछले, इसके लिए ललित मोहन बेलवाल को परियोजना प्रबंधक के पद से इस्तीफा लेकर हटा दिया। जिलों में कर्मचारियों की मनमानी नियुक्तियों के फर्जीवाड़े की जांच में बेलवाल के साथ ही मुख्य सचिव बैस, ACS अशोक शाह और मनोज श्रीवास्तव भी साजिश के लिए जिम्मेदार पाए गए हैं। जब यह जांच रिपोर्ट शासन को सौंपी गई तो वहां बैस ने होने पद और पावर के सहारे कार्रवाई नहीं होने दी। वहीं लोकायुक्त और आर्थिक अपराध ब्यूरो में की गईं शिकायतों को भी दबा दिया गया।
मंत्री के आदेश को नकारा, फर्जी एचआर गाइड लाइन भी बना डाली
आजीविका मिशन में भर्ती के मामले में अधिकारियों द्वारा जमकर भ्रष्टाचार तो किया ही गया, सरकार की आंखों में भी धूल झौंकी गई। वो कैसे आइये हम इसके बारे में भी बताते हैं। जब गड़बड़ी की शिकायत पर 8 नवंबर 2017 को पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के तत्कालीन मंत्री ने फाइल पर " दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना अंतर्गत NRLM में भर्ती वन प्रबंधन संस्थान भोपाल के माध्यम से जिला और जनपद स्तर पर भर्ती प्रक्रिया से मुझे अवगत कराया गया है। इस प्रकार की भर्ती के लिए पूर्व में भी कर्मचारी चयन का कार्य इस संस्था से नहीं कराया गया। चयन में पूर्ण गुणवत्ता और पारदर्शिता नितांत आवश्यक है, इस प्रक्रिया में किसी भी त्रुटि की गुंजाइश होने पर गंभीर स्थिति उत्पन्न हो सकती है। इसलिए पूर्व में लिए निर्णय पर पुनर्विचार कर भर्ती प्रक्रिया तत्काल निरस्त की जाए।" लिखकर टीप दर्ज कर दी तो इन अधिकारियों ने उसे भी दरकिनार कर दिया। मंत्री के उस लिखित आदेश, जिसमें भर्ती के लिए प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड को अधिकृत करने कहा गया थे, उसे भी नहीं माना। मिशन के ज्वॉइंट कमिश्नर राकेश शुक्ल के पत्र से भी बेलवाल द्वारा फर्जी ह्यूमन रिसोर्स गाइडलाइन बनाने और बैंस द्वारा मनमानी नियुक्ति के लिए उन्हें अधिकृत करने की पुष्टि भ्रष्टाचार को उजागर करती है।