MP में खुलने जा रहा है ओंकारेश्वर अभयारण्य, जानें पर्यटकों के लिए क्या है खास

मध्य प्रदेश के खंडवा और देवास जिलों में एक नया अभयारण्य बन रहा है, जिसे ओंकारेश्वर अभयारण्य कहा जाएगा। यहां पर्यटक दो ज्योतिर्लिंगों के दर्शन के साथ-साथ जंगल सफारी का रोमांच भी अनुभव करेंगे।

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Raj Singh
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मध्य प्रदेश के खंडवा और देवास जिले में एक नया अभयारण्य तैयार हो रहा है। इसका नाम ओंकारेश्वर अभयारण्य (Omkareshwar Sanctuary) होगा, जहां पर्यटकों को दो ज्योतिर्लिंगों का दर्शन और जंगल सफारी (Jungle Safari) का अनुभव मिलेगा। यह अभयारण्य राज्य की राजधानी भोपाल (Bhopal) और इंदौर (Indore) से नजदीक है। इसके अलावा, यह उज्जैन (Ujjain) से करीब 180 किलोमीटर दूर स्थित है। यहां महाकालेश्वर (Mahakaleshwar) और ओंकारेश्वर (Omkareshwar) के प्रमुख ज्योतिर्लिंगों का दर्शन भी किया जा सकेगा।

ओंकारेश्वर अभयारण्य का क्षेत्र और विकास योजना

ओंकारेश्वर अभयारण्य का कुल क्षेत्रफल 61 हजार 407.09 हेक्टेयर प्रस्तावित है। इसमें खंडवा जिले (Khandwa District) का 34 हजार 559.19 हेक्टेयर और देवास जिले (Dewas District) का 26 हजार 847.90 हेक्टेयर क्षेत्र शामिल होगा। वन विभाग ने वन समितियों (Forest Committees) और जनप्रतिनिधियों से सहमति प्राप्त कर ली है। अब इस प्रस्ताव को भोपाल भेजा गया है। देवास क्षेत्र में काम प्रगति पर है और जल्द ही वहां भी विकास कार्य शुरू होंगे।

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प्राकृतिक सुंदरता और पर्यटन स्थल

खंडवा के जंगलों (Khandwa Forest) में प्राकृतिक सुंदरता का भरपूर खजाना है। यहां पर्यटकों को जल, जंगल और टापू (Islands) देखने का मौका मिलेगा। खंडवा जिले के मूंदी क्षेत्र (Mundi Region) में 31 टापू और चांदगढ़ क्षेत्र (Chandgarh Region) में 21 टापू विकसित किए जाएंगे। बोरियामाल और जलचौकी धारीकोटला जैसे टापू पहले से ही पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन चुके हैं। इसके अलावा, अभयारण्य में इंदिरासागर बांध (Indira Sagar Dam) के आसपास का क्षेत्र भी पर्यटकों के लिए दिलचस्प होगा।

वाइल्डलाइफ और जैव विविधता का संरक्षण

ओंकारेश्वर अभयारण्य में जंगलों में अभी 110 तेंदुए (Leopards) सक्रिय हैं। पहले यहां 84 तेंदुए थे, लेकिन हाल ही में 26 और तेंदुए यहां छोड़े गए हैं। इसके अलावा, यहां बाघ (Tiger), रीछ (Bear), सियार (Jackal), लकड़बग्गा (Wolf), मोर (Peacock), चीतल (Chital), सांबर (Sambar) और चिंकारा (Chinkara) जैसे जानवर भी रहते हैं। यहां की लकड़ी में सागौन (Teak), सालई (Sal) और धावड़ा (Dhavda) जैसी प्रजातियां पाई जाती हैं। 2017 में यहां बाघ का भी मूवमेंट देखा गया था।

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आर्थिक संभावनाएं और रोजगार के अवसर

अभयारण्य बनने से पर्यटन उद्योग को नई दिशा मिलेगी। हालांकि, इस परियोजना की स्वीकृति का इंतजार अभी बाकी है, लेकिन होटल और रिजॉर्ट के लिए व्यापारी पहले ही जमीन की तलाश में जुट चुके हैं। इस परियोजना के पूरी तरह से विकसित होने के बाद होम स्टे कल्चर (Home Stay Culture) भी बढ़ेगा। इसके अलावा, यह अभयारण्य क्षेत्र में स्थानीय निवासियों के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा करेगा। वन विभाग के अधिकारी राकेश डामोर (Rakesh Damor, DFO) ने कहा कि यहां कोई विस्थापन (Displacement) नहीं होगा, क्योंकि यहां कोई राजस्व गांव या वन ग्राम नहीं है।

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