एक देश एक पंचांग : उज्जैन में तय होगा देशभर में एक कैलेंडर का रास्ता

उज्जैन में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय ज्योतिष सम्मेलन होने जा रहा है। इस सम्मेलन की सफलता भारतीय संस्कृति और धर्म की पंचांग गणना को नई दिशा दे सकती है और यह सुनिश्चित करेगी कि पूरे देश में त्यौहार और तिथियां एक समान रहें।

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Ravi Singh
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पंचांग पर मंथन
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one country one calendar : भारत में काल गणना की नगरी उज्जैन में 29 मार्च से दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय ज्योतिष सम्मेलन का आयोजन होने जा रहा है, जहां समय और तिथियों का अद्भुत महत्व है। यह सम्मेलन विशेष रूप से एक देश-एक कैलेंडर के विचार पर केंद्रित होगा, जो भारतीय सनातन धर्म में तिथियों और त्योहारों की सटीक गणना के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इस सम्मेलन में देश-विदेश के ज्योतिषी, अंकगणित विशेषज्ञ, वेदाचार्य और कैलेंडर निर्माता एक मंच पर जुटेंगे और इस मुद्दे पर गहन मंथन करेंगे। क्या इस बार यह कठिन कार्य सफल हो पाएगा, आइए जानते हैं....

एक देश-एक पंचांग की आवश्यकता

तिथियों और त्योहारों की गणना में अंतर के कारण भारत में त्योहारों के दिन अक्सर अलग-अलग होते हैं। इस स्थिति से निपटने के लिए एक देश-एक कैलेंडर की आवश्यकता महसूस की जा रही है। इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य एक समान कैलेंडर प्रणाली लागू करना है, ताकि पूरे देश में तिथियों का निर्धारण सटीक और एक समान हो सके।

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पंचांग के पांच प्रमुख अंग

पंचांग में मुख्य रूप से पांच भाग होते हैं - वार, तिथि, नक्षत्र, योग और करण, जो आपस में जुड़े होते हैं और प्रत्येक दिन की विशेषताओं को निर्धारित करते हैं। इस सम्मेलन में इन पाच भागों पर विस्तार से चर्चा की जाएगी ताकि एक सटीक पंचांग प्रणाली बनाई जा सके, जो पूरे देश में मान्य होगी।

विक्रम संवत की राष्ट्रीय मान्यता

सम्मेलन में विक्रम संवत को राष्ट्रीय संवत के रूप में मान्यता दिलाने का मुद्दा भी प्रमुखता से उठेगा। विक्रम संवत भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग है और इसे राष्ट्रीय संवत के रूप में अपनाना देश की सांस्कृतिक विरासत का सम्मान करने जैसा होगा। यह पहल न केवल धर्म और संस्कृति से जुड़ी है, बल्कि इससे राष्ट्रीय एकता को भी बढ़ावा मिलेगा।

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अंतरराष्ट्रीय ज्योतिष सम्मेलन 

इस सम्मेलन में भारत के साथ-साथ पाकिस्तान और नेपाल के ज्योतिषी भी भाग लेंगे। इन देशों के विद्वानों से विचार-विमर्श के बाद यह तय किया जाएगा कि पंचांग की गणना का एक सर्वमान्य तरीका क्या हो सकता है। इससे न केवल भारत में बल्कि अन्य देशों में भी एक सामंजस्यपूर्ण और मान्यता प्राप्त पंचांग प्रणाली स्थापित करने में मदद मिलेगी।

पहले भी हो चुका है मंथन

इससे पहले भी इस मुद्दे पर चर्चा हो चुकी है, जैसे 2019, 2021 और 2023 में उज्जैन में ज्योतिष सम्मेलन आयोजित किए गए, लेकिन हर बार विद्वान एकमत नहीं हो पाए। इस बार उम्मीद है कि इसे उज्जैन में ठोस रूप में लागू किया जाएगा और इस बार सभी विद्वान एक ही पंचांग प्रणाली पर सहमत होंगे।

विक्रम उत्सव के दौरान यह सम्मेलन आयोजित

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में विक्रम उत्सव के दौरान यह सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है। उनका मानना ​​है कि विक्रम संवत को राष्ट्रीय संवत घोषित किया जाना चाहिए और इसके आधार पर पूरे देश में एक साथ सभी त्यौहार मनाए जाने चाहिए। इस दृष्टि से यह सम्मेलन न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी एक महत्वपूर्ण कदम होगा।

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