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उज्जैन में सिंहस्थ-2028 के अवसर पर देश की पहली स्थायी कुंभ नगरी का निर्माण किया जाएगा, जिससे कुंभ मेला क्षेत्र का स्थायी रूप से विकास होगा। यह परियोजना उज्जैन विकास प्राधिकरण द्वारा लैंड पूलिंग के जरिए 2378 हेक्टेयर जमीन पर बनाई जाएगी। इस प्रोजेक्ट पर करीब 2000 करोड़ रुपए का खर्च आने का अनुमान है। यह योजना मध्यप्रदेश में पहली बार लागू की जा रही है और इसे लेकर राज्य सरकार ने सिंहस्थ मेला क्षेत्र को स्थायी रूप से विकसित करने का बड़ा कदम उठाया है।
स्थायी निर्माण से करोड़ों रुपए की बचत
सिंहस्थ मेला हर 12 साल में आयोजित होता है, और हर बार मेला आयोजन के लिए अस्थायी निर्माण किए जाते हैं। इस स्थायी कुंभ नगरी की योजना से भविष्य में इन अस्थायी निर्माणों पर होने वाले खर्चों में बचत होगी। कुंभ के बाद भी इन संरचनाओं का उपयोग किया जा सकेगा। इससे न केवल प्रशासन को व्यवस्था बनाए रखने में मदद मिलेगी, बल्कि श्रद्धालुओं के लिए भी सुविधाएं हमेशा उपलब्ध रहेंगी।
सिंहस्थ 2028 के लिए तैयारियां तेज
उज्जैन में सिंहस्थ-2028 की तैयारियां भी शुरू हो गई हैं। इस बार मुख्य मार्गों पर पार्किंग और ट्रांजिट क्षेत्र बनाए जाएंगे, जिससे वाहनों की आवाजाही बेहतर हो सके। उज्जैन कलेक्टर ने मुख्यमंत्री और सिंहस्थ मंत्रिमंडलीय कमेटी के सामने एक प्रजेंटेशन प्रस्तुत किया, जिसमें मेला के दौरान वाहनों की व्यवस्था को लेकर योजना तैयार की गई है।
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बनेंगे पार्क, वॉकिंग पाथ-वे, ओपन जिम
नए कुंभ नगरी में बच्चों के लिए पार्क, वॉकिंग पाथ-वे, ओपन जिम, झूले, स्लाइड्स, लॉन और प्लांटेशन जैसी सुविधाएं बनाई जाएंगी। इसके अलावा, पार्किंग, जनसुविधा केंद्र, थाना, सीवरेज सिस्टम, वाटर ट्रीटमेंट प्लांट, विद्युत सब स्टेशन और फुटपाथ डिवाइडर का भी विकास किया जाएगा। ये सुविधाएं सिंहस्थ मेला खत्म होने के बाद अगले 12 वर्षों तक क्षेत्र के विकास में सहायक साबित होंगी।
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बनेगी नई सड़कें
नई सड़कें और चौड़ी गलियां भीड़ के प्रबंधन में मदद करेंगी। खासकर अमृत स्नान के दिन जब बड़ी संख्या में श्रद्धालु एकत्रित होते हैं, तो इन सड़कों पर क्राउड डायवर्ट करना आसान होगा। सड़कों की चौड़ाई 200 फीट तक होगी, जिससे ट्रैफिक की समस्या कम होगी और श्रद्धालु आराम से मेला क्षेत्र में आ-जा सकेंगे।
लैंड पूलिंग से किसानों को मिलेगा लाभ
इस परियोजना में उज्जैन विकास प्राधिकरण द्वारा 1806 किसानों की लगभग 5000 सर्वे वाली जमीन का लैंड पूलिंग किया जाएगा। इस प्रक्रिया के तहत स्थायी सड़कें, बिजली के पोल, सीवर लाइन, और अन्य आधारभूत संरचनाएं बनाई जाएंगी। यह पहली बार होगा जब सिंहस्थ भूमि पर स्थायी निर्माण किए जाएंगे। 60 से 200 फीट तक की चौड़ी सड़कों का निर्माण होगा, जो एक-दूसरे से इंटर कनेक्ट रहेंगी। इस कदम से किसानों को अपनी जमीन पर निजी निर्माण की अनुमति मिलने की संभावना भी बन सकती है।
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