जल जीवन मिशन के फंड से फोटोकॉपी-टाइपिंग पर एक करोड़ खर्च

जल जीवन मिशन के घोटालों की परतें खुल रही हैं। रीवा में योजना के दस्तावेज टाइपिंग और फोटोकॉपी पर एक करोड़ रुपए फूंक दिए। इसकी जांच रिपोर्ट मंत्रालय में दबी हुई है। 

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Sanjay Sharma
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jjm Photograph: (The Sootr)

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BHOPAL. जल जीवन मिशन के घोटालों की परतें हर दिन खुल रही हैं। बालाघाट, मंडला, बैतूल, सिवनी जिलों में अधिकारियों की हेराफेरी उजागर होने के बाद अब विंध्य अंचल से भी खुलासे हो रहे हैं। रीवा जिले में अधिकारियों ने पानी की टंकी बनाने, हैंडपंपों की मरम्मत और दूसरे कामों की आड़ में आंखें मूंदकर ठेकेदारों को भुगतान कर अपनी जेब भर लीं।

ठेकेदारों को 130 करोड़ रुपए के भुगतान से पहले योजना के तहत हुए कामों का भौतिक सत्यापन तक नहीं किया गया। यही नहीं योजना की दस्तावेजी कार्रवाई, टाइपिंग और फोटोकॉपी पर एक करोड़ रुपए फूंक दिए गए। पीएचई के अधिकारियों की हेराफेरी की पुष्टि करने वाली जांच रिपोर्ट साल भर से मंत्रालय की फाइलों में दबी हुई है। 

कमिश्नर ने मंत्रालय भेजी थी रिपोर्ट 

दरअसल रीवा जिले में जल जीवन मिशन घोटाला पर शिकायतों के जरिए कलेक्टर ने संज्ञान लिया था। साल 2023 में तत्कालीन सहायक कलेक्टर सोनाली देव के साथ पांच सदस्यीय कमेटी द्वारा योजना के कामों का भौतिक सत्यापन कराया गया।

अधिकारियों की टीम ने पीएचई के कार्यपालन यंत्री कार्यालय से हुए भुगतान और अन्य खर्चों की पड़ताल की थी। इस दौरान बिल व्हाऊचर, कैश बुक, स्टॉक रजिस्टर, टेंडर दस्तावेजों की जांच में कई अनियमितताएं सामने आई थी।

इसकी रिपोर्ट जांच कमेटी द्वारा रीवा कलेक्टर के माध्यम से कार्रवाई की अनुशंसा के साथ कमिश्नर कार्यालय भेजी गई थी। वहां से इसे मई 2024 में मंत्रालय भेज दिया गया जहां यह रिपोर्ट अब तक फाइलों में ही दबी हुई है। 

टाइपिंग-फोटोकॉपी पर एक करोड़ खर्च

पीएचई के रीवा स्थित कार्यपालन यंत्री कार्यालय ने केवल दस्तावेजी कार्रवाई पर ही एक करोड़ से ज्यादा का खर्च दिखाया था। यानी स्टेशनरी, टाइपिंग और फोटोकॉपी के नाम पर दुकानों को एक करोड़ रुपए का भुगतान जल जीवन मिशन के फंड से कर दिया गया।

कार्यपालन यंत्री को विभाग से वाहन भत्ता मिलता है इसके बावजूद योजना की राशि से इस पर भी खर्च किया गया। इसके अलावा अंचल में पुराने हैंडपंपों की मरम्मत पर तीन करोड़ से ज्यादा का खर्च दिखाकर एजेंसी को भुगतान कर दिया गया।

वहीं, मौके पर केवल गिने-चुने हैंडपंप ही सुधारे गए। अधूरी पाइपलाइन और पानी की टंकियों को नजरअंदाज कर ठेकेदारों को भुगतान किया गया।   

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गड़बड़ी के जिम्मेदारों पर नहीं कार्रवाई

रीवा कलेक्टर के आदेश पर हुई जांच में जल जीवन मिशन में करोड़ों की धांधली में पीएचई के अधिकारियों की भूमिका का भी उल्लेख किया गया था। इस रिपोर्ट में मनमाने तरीके से 136 करोड़ की बंदरबाट के लिए कार्यपालन यंत्री शरद कुमार सिंह, संजय पांडे, उपयंत्री एसके श्रीवास्तव, सहायक यंत्री आरके सिंह, प्रभारी ऑडिटर सैय्यद नकवी, जयशंकर त्रिपाठी, ऑडिटर राजीव श्रीवास्तव, मानचित्रकार विकास कुमार, लिपिक आरपी पाठक, रहीम खान, अर्चना दुबे, राजीव श्रीवास्तव की ठेकेदार फर्म और एजेंसियों से मिलीभगत उजागर की  गई थी। इसके बावजूद यह रिपोर्ट पीएचई मुख्यालय में दबकर रह गई है। 

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योजना के फंड से भुगतान की स्थिति 

- जल जीवन मिशन                            1,30,47,08,870
- हैंडपंप मॅटिनेंस                                    3,17,72,325
- टीपीआई                                               74,64,762
- आईएसए                                              85,70,124
- टाइपिंग (फोटोकॉपी, स्टेशनरी, वाहन)  1,02,94,344 
- कुल                                              1,36,28,10,425

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