बीस बरस पहले गलती से पाकिस्तान पहुंच गई गीता ( Geeta ) एक बार फिर चर्चाओं में हैं। इस पर वह अपने सपनों को उड़ान देने के लिए आगे आई है। मूक- बधिर गीता पढ़ाई करके आर्थिक रूप से सशक्त बनना चाहती है। लिहाजा, अब वह आठवीं की परीक्षाएं दे रही है। यदि वह परीक्षा पास कर लेती है तो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के लिए सरकारी कोटे के तहत भर्ती के लिए पात्र हो जाएगी।
20 साल पहले मूक-बधिर गीता गलती से सरहद पार करके पाकिस्तान ( Pakistan Geeta ) पहुंच गई थी। वह पाकिस्तान में रही। फिर 2015 में सरकार के तमाम प्रयासों के बाद वापस भारत लौटी। वह करीब पांच साल इंदौर में रही। इस बीच गीता ने 2020 में पांचवीं पास कर ली थी, लेकिन फिर कोरोना और दूसरे कारणों से उसकी पढ़ाई आगे नहीं हो सकी। अब गीता एक बार फिर अपने सपनों को पूरा करने की ओर बढ़ रही हैं। ( Pakistan Geeta returned india )
गलती से पहुंच गई थी लाहौर
चलिए, अब थोड़े पीछे चलते हैं। 20 साल पहले गीता महाराष्ट्र के औरंगाबाद में रहती थी। तब उम्र काफी कम थी। वह औरंगाबाद से सीधी भोपाल आने वाली ट्रेन से गलती से परभणी स्टेशन से अमृतसर और फिर दूसरी ट्रेन से लाहौर पहुंच गई थी। अब गीता उसी ट्रेन से सोमवार यानी 20 मई को वापस औरंगाबाद से भोपाल पहुंची हैं, जिससे वे 20 साल पहले परभणी पहुंच गई थीं। यहां गीता ओपन स्कूल की 8वीं की परीक्षा देंगी। मंगलवार (21 मई) को वह पेपर संस्कृत का होगा। 33 वर्षीय गीता ने इंदौर के विशेष स्कूल में शिक्षा ली है। ( geeta 8th exam Bhopal )
यात्रा से ज्यादा अहम परीक्षा
गीता के लिए यह यात्रा परीक्षा से कहीं अधिक है। वह पहचान और परिवार पाने के बाद आत्मनिर्भर बनना चाहती है। एमपी स्टेट ओपन स्कूल के निदेशक प्रभात राज तिवारी ने बताया, गीता का आवेदन मिला था। विशेष मामले के रूप में स्वीकार किया गया।
कई साल परिजनों से दूर रही गीता
गीता इंदौर के एक एनजीओ में कई साल रही। आनंद सर्विस सोसाइटी के ज्ञानेंद्र- मोनिका पुरोहित उसके माता-पिता को ढूंढ़ते रहे। कोरोनाकाल में पता चला कि वह महाराष्ट्र की रहने वाली है। उन्होंने फिर गीता को अभिभावक से मिलवाया था। गीता अभी महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजी नगर जिले में रहती हैं।
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