भगवान शिव को बेलपत्र अति प्रिय है और महादेव के भक्त भी उनको बेलपत्र चढ़ाते हैं। लेकिन आपको बेलपत्र कब चढ़ाना चाहिए इसका भी एक नियम होता है। कुबेरेश्वर धाम के पंडित प्रदीप मिश्रा अपनी कथा में कहते हैं कि आप भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाओं ये अच्छी बात है लेकिन इसका भी एक नियम होता है। बिना किसी नियम के आप बेलपत्र का पेड़ भी चढ़ा दोगे तो उसका फल नहीं मिलता है।
भक्त बेलपत्र कैसे चढ़ाते हैं
पंडित प्रदीप मिश्रा के अनुसार भगवान शिव बेलपत्र चढ़ते हैं ये तो सबको पता है लेकिन इसका नियम नहीं जानते हैं। भक्त बेलपत्र चढ़ाने के लिए कहीं से भी बेलपत्र तोड़ लाते हैं, किसी के घर से भी बेलपत्र तोड़कर चढ़ा देते हैं, जो भगवान शिव को नहीं लगते हैं।
बेलपत्र चढ़ाने का नियम
पंडित प्रदीप मिश्रा का कहना है कि जो भी भक्त महाकाल को बेलपत्र चढ़ाना चाहते है तो बेलपत्र का पेड़ लगाएं। तभी भक्त को बेलपत्र चढ़ाने का फल मिलेगा। किसी और के यहां से बेलपत्र चढ़ाने से फल नहीं मिलता।
राधा रानी पर दिया विवादित बयान
पंडित प्रदीप मिश्रा ने बीते दिनों छत्तीसगढ़ में एक कथा के दौरान राधा रानी पर एक विवादित बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि राधा रानी श्री कृष्ण की पत्नी नहीं हैं, उनका छाता निवासी अनय घोष के साथ विवाह हुआ था। राधा जी बरसाना की नहीं, रावल की रहने वाली थी। उनके पिता वर्ष में एक बार कचहरी लगाने आते थे, इसलिए उस स्थान का नाम बरसाना पड़ गया।
बरसाना जाकर माफी मांगी
पंडित प्रदीप मिश्रा शनिवार 29 जून बरसाना पहुंचे। यहां उन्होंने राधा-रानी को दंडवत प्रणाम किया और नाक रगड़कर माफी मांगी। जिसके बाद उन्होंने बोला मेरी वाणी से किसी को ठेस पहुंची हो, तो उसके लिए माफी मांगता हूं। मैं ब्रजवासियों के चरणों में दंडवत प्रणाम कर माफी मांगता हूं। मैंने लाडली जी और बरसाना सरकार से क्षमा चाहता हूं। सभी से निवेदन है कि किसी के लिए कोई अपशब्द न कहें। राधे-राधे कहें, महादेव कहें। मैं सभी महंत, धर्माचार्य और आचार्य से माफी मांगता हूं।
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