रुबीना और कपिल ने भी तो मेडल जीते हैं सीएम मोहन यादव, इन्हें कब मिलेंगे 1-1 करोड़ रुपए

पैरालंपिक में मध्य प्रदेश के दो खिलाड़ियों ने ब्रॉन्ज मेडल जीतकर इतिहास रचा है। रुबीना फ्रांसिस और कपिल परमार ने अपने अद्भुत खेल कौशल से देश को गौरवान्वित किया है।

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Ravi Kant Dixit
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पैरालंपिक में मध्य प्रदेश की जीत
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पेरिस में हुए पैरालंपिक खेलों में भारत ने सुनहरा अध्याय लिखा है। इस बार पैरालंपिक में भारत ने अपना अभियान 29 मेडल के साथ खत्म किया है। इसमें दो तमगे यानी दो पदक मध्यप्रदेश के खिलाड़ियों ने दिलाए हैं। जबलपुर की बेटी रुबीना फ्रांसिस और सीहोर के 'लाल' कपिल परमार ने पैरालंपिक में मेडल जीतकर मध्यप्रदेश का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया है। 

रुबीना ने 10 मीटर एयर पिस्टल की एसएच-1 कैटेगरी में ब्रॉन्ज मेडल जीता है। वहीं, सीहोर के कपिल परमार ने जूडो की मेंस जे-1 कैटेगरी में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर इतिहास रचा है।

अब हर कोई इनकी तारीफों के पुल बांध रहा है... हो भी क्यों न...इन्होंने दुनियाभर में मध्यप्रदेश का नाम रोशन किया है। पैरालंपिक में इन दोनों खिलाड़ियों ने अपने अदम्य साहस, अथक मेहनत और दृढ़ संकल्प से विजय पाई है। इसी के साथ दोनों के सिर मध्यप्रदेश को इतिहास में क्रमश: पहली और दूसरी बार पैरालंपिक में पदक दिलाने का ताज भी सज गया है।

पीएम, सीएम, मंत्री सब दे चुके बधाई 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव और तमाम मंत्री और नेता दोनों खिलाड़ियों के अद्भुत खेल कौशल की तारीफ कर चुके हैं। इन्हें बधाई दे चुके हैं... उज्ज्वल भविष्य की कामना कर चुके हैं...। कितनी गर्व की बात है, पर यहां सवाल यह है कि क्या इससे रुबीना और कपिल के जीवन में कुछ बदलेगा? इसका जवाब ना ही है। क्योंकि हमारा समाज जल्द ही सब कुछ भुला देता है। थोड़े दिन बातें होंगी। फिर इनके जीवन में सब कुछ पहले की तरह ही हो जाएगा। 

अद्भुत खेल कौशल के धनी हैं दोनों 

भूमिका बहुत हो गई। अब आते हैं मुद्दे पर। क्या है कि जब इन दोनों खिलाड़ियों ने 140 करोड़ देशवासियों को खुशी के पल दिए हैं, तो क्या इन्हें सरकार को ईनाम नहीं देना चाहिए। प्रोत्साहन नहीं देना चाहिए। इनका संघर्ष...जीत...संकल्प और जिजीविषा तो ओलंपिक में खेलने वाले खिलाड़ियों से कहीं ज्यादा और दमदार है। इनका हौसला बुलंद है। साहस बेजोड़ है। अब इन्हें शुभकामनाओं के साथ आर्थिक संबल की भी दरकार है। जब ये आर्थिक रूप से सशक्त होंगे तो इनके खेल में और निखार आएगा। हमें फिर गौरवान्वित होने के अवसर मिलेंगे। 

विवेक को एक करोड़ दे रही सरकार 

मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने पेरिस ओलंपिक में कांस्य पदक विजेता भारतीय हॉकी टीम के खिलाड़ी विवेक सागर प्रसाद को एक करोड़ रुपए देने का ऐलान किया है। शानदार पहल है यह सरकार की। वाकई विवेक भी कमाल के खिलाड़ी हैं। अपने खेल के लिए वे बधाई के पात्र हैं। विवेक देश को पदक दिलाने वाली टीम का अहम हिस्सा हैं। वतन वापसी पर उनका जगह-जगह स्वागत हुआ। सीएम डॉ.यादव और खेल मंत्री विश्वास सारंग ने खुद उनका स्वागत किया। आपको बता दें कि विवेक खेल कोटे से मध्यप्रदेश पुलिस में डीएसपी भी हैं।  

शूटिंग और जूडो में दिलाए हैं पदक 

अब सवाल यह है कि जब प्रतिभावान विवेक को मोहन सरकार एक करोड़ रुपए की राशि बतौर प्रोत्साहन देती है तो पेरिस पैरालंपिक में पदक जीतने वाली जबलपुर की रुबीना और सीहोर के कपिल को आर्थिक प्रोत्साहन क्यों नहीं मिलना चाहिए। उनकी जीत तो और भी बड़ी है। दोनों को 'द सूत्र' की ओर से भी ढेर सारी बधाई...। आपको भी सरकार प्रोत्साहन राशि दे... सभी खेल प्रेमी यह चाहते हैं। जब तक यह नहीं होता, हम लगातार आपकी आवाज उठाते रहेंगे। सरकार को जगाते रहेंगे।

कैसा रहा प्रदर्शन...

पेरिस पैरालंपिक में भारतीय खिलाड़ियों ने 7 गोल्ड, 9 सिल्वर और 13 ब्रॉन्ज मेडल सहित कुल 29 पदक अपने नाम किए हैं। पैरालंपिक के इतिहास में यह भारत का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। देश को पिछली बार से 10 मेडल ज्यादा मिले हैं। पिछले टोक्यो पैरालंपिक में भारत को 19 पदक मिले थे। इस बार पैरालंपिक में हमारे 84 एथलीट 29 पदक लाए, जबकि ओलंपिक में 117 एथलीट ने महज 6 मेडल जीते थे, जिसमें एक भी गोल्ड नहीं था।

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