भुगतान रोका तो ठेकेदारों ने भी अटका दिए बांध-नहर और नल-जल योजना के काम

मध्यप्रदेश में निर्माण कार्यों का सबसे ज्यादा भुगतान पीडब्ल्यूडी, एनवीडीए, जल संसाधन, पीएचई और नगरीय विकास एवं आवास विभागों में अटका हुआ है। इसके पीछे वजह है कि इन्हीं विभागों ने सबसे ज्यादा काम भी कराए हैं...

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Sanjay Sharma
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BHOPAL. वैसे तो प्रदेश विकास की पटरी पर दौड़ता नजर आ रहा है। एक के बाद एक योजनाओं को हरी झंडी दिखाई जा रही है लेकिन कई विभागों से ठेकेदार नाराज है। विभाग से भुगतान रोकने के कारण इन ठेकेदारों ने काम बंद कर दिया है। काम पूरा कर विभाग को सौंप देने के बाद भी ठेकेदार महीनों से विभागों के चक्कर काट रहे हैं। उन्हें ठेके का भुगतान तो किया नहीं जा रहा और अमानत राशि भी रोक ली गई है। इस वजह से कुछ ठेकेदारों के दूसरे काम भी ठप्प हो गए हैं। 

अफसर छोटे ठेकेदारों को टालते रहे हैं

निर्माण कार्यों का सबसे ज्यादा भुगतान पीडब्ल्यूडी, एनवीडीए, जल संसाधन, पीएचई और नगरीय विकास एवं आवास विभागों में अटका हुआ है। इसके पीछे वजह है कि इन्हीं विभागों ने सबसे ज्यादा काम भी कराए हैं। बड़ी कंपनियों के प्रभाव के चलते विभाग से उनका भुगतान तो नियमित होता रहा है। जबकि बजट की कमी का हवाला देकर अफसर छोटे ठेकेदारों को टालते रहे हैं। इस वजह से इन छोटे ठेकेदारों के भुगतान की राशि काफी ज्यादा हो गई है। ठेकेदार अपने मजदूरों और निर्माण सामग्री का भुगतान करने की स्थिति में नहीं है। विभागों से भुगतान नहीं होने के कारण कई ठेकेदारों के निर्माण कार्य छह-छह महीने से बंद पड़े हैं।

यहां अटके निर्माण के काम

जल संसाधन विभाग द्वारा छोटे भुगतान रोकने की वजह से सबसे ज्यादा ठेकेदार परेशान हैं। बीते पांच सालों में जल संसाधन विभाग के लिए 78 फर्मों ने नहरों की मरम्मत सहित सिंचाई योजनाओं के दूसरे काम के ठेके लिए हैं। ये ठेके रीवा, भोपाल, नर्मदापुरम, भिंड, सतना, राजगढ़, रायसेन, अलीराजपुर, गुना, शिवपुरी, कटनी, डिंडोरी, दतिया, अशोकनगर, सिंगरौली और सागर के अलावा नर्मदांचल के खरगोन, खंडवा, बड़वानी, नरसिंहपुर जिलों में काम के लिए दिए गए थे। सबसे ज्यादा काम साल 2019 से 2023 के बीच हुए। साल 2019 में 18, साल 2020 में 49, साल 2021 में 40, साल 2022 में 44 और साल 2023 में 20 निर्माण कार्य फर्मों को दिए गए। भुगतान में लेटलतीफी से परेशान इन फर्मों से किसी तरह काम पूरा किया और अब अमानत राशि के लिए चक्कर लगा रही हैं।

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इन कामों की गति धीमी

सरकारी सिस्टम से निर्माण कार्यों के भुगतान में देरी से छोटी फर्मों ने काम की गति धीमी कर दी है। कम लागत के ठेके लेने वाली इन फर्मों के जरिए ही बड़ी कंपनियों के अधिकांश काम होते हैं। इन फर्मों में सुस्ती के कारण गांवों में जल जीवन मिशन के काम, कस्बों-शहरों में नल-जल योजनाएं और अंचल में छोटे बांध-नहरों के अलावा तालाबों के निर्माण की रफ्तार धीमी पड़ गई है। कई काम साल 2023 में पूरे होने थे वे अभी आधे ही हुए हैं।  

कर्ज चुकाने मांगी अमानत राश

सरकार के विभागों से निर्माण कार्य का भुगतान रोके जाने से परेशान कुछ ठेकेदारों ने विभागों से अमानत राशि वापस मांगी  है। ठेकेदारों ने निर्माण कार्य का अनुबंध करते समय यह अमानत राशि विभाग में जमा कराई थी। ठेकेदारों का कहना है इस राशि कम से कम मजदूरों का कुछ कर्ज चुकाया जा सकता है। वहीं निर्माण सामग्री उपलब्ध कराने वाली फर्मों का कुछ भुगतान वे कर पाएंगे। ठेकेदारों का कहना है छोटे ठेकेदारों के बिल महीनों तक रोककर रखे जाते हैं। जबकि उनके साथ या बाद में शुरू होने वाले करोड़ों के बड़े कामों का नियमित भुगतान जारी है। सबसे ज्यादा परेशानी 20 लाख से कम लागत वाले काम करने वाले ठेकेदारों को हो रही है। 

चेहरा देख कर रहे भुगतान

करीब साल भर से कभी निर्माण कार्य के भुगतान और कभी अमानत राशि के लिए ठेकेदार फर्में चक्कर लगा रही हैं। बीते महीने विभागों के शीर्षस्थ अधिकारी और मंत्रियों के सामने भी इसकी शिकायत पहुंची थी। जिसके बाद अमानत राशि लौटाई जा रही है। हांलाकि इसमें भी दफ्तरों में बैठे अधिकारी काफी देर लगा रहे हैं और ठेकेदारों के चेहरे और पहचान देखकर प्राथमिकता तय कर राशि लौटा रहे हैं। जबकि जरूरतमंदों को इंतजार कराया जा रहा है।

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