प्रदेश के बड़े ठेकेदारों में से एक पीडी अग्रवाल ग्रुप के अवैध तालाब खनन की जांच चल ही रही है और इसमें देरी के कारण को लेकर 'द सूत्र' ने बुधवार को महिंद्रा कंपनी की स्कार्पियो कार नंबर MPO9WC2956 के रहस्य से पर्दा उठाया था। यह कार खनिज अधिकारी संजय लुणावत की मल्टी की नीचे ही खड़ी रहती थी और वह इसका उपयोग कर रहे थे। ''द सूत्र'' के खुलासे के बाद अब यह कार गायब हो गई है। उधर इसी दौरान पीडी अग्रवाल ग्रुप की दो खदानों का नवीनीकरण इंदौर के बाद भोपाल से भी हो गया है, जिसके लिए लुणावत द्वारा तेजी से फाइल चलाई गई थी।
खबर लगने के बाद अगले ही दिन गायब हुई
'द सूत्र' द्वारा बुधवार को जैसे ही यह खबर प्रकाशित की गई कि लुणावत, पीडी और कार में क्या संबंध है, रात होते-होते कार उनके सपना-संगीता रोड स्थित निवासरत मल्टी के बाहर से गायब हो गई। ''द सूत्र'' ने गुरुवार से लेकर शनिवार (14 से 16 नवंबर) तक हर दिन जाकर उस कार को सर्च किया लेकिन वह मौके पर नहीं मिली, उसे हटा दिया गया है। जबकि इसके पहले सात दिन तक लगातार 'द सूत्र' ने मौके पर जाकर देखा था तब हर दिन महिंद्रा कंपनी की स्कार्पियो कार नंबर MPO9WC2956 वहीं खड़ी रहती थी। यह कार पीडी अग्रवाल इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड महेंद्र अग्रवाल जाय बिल्डिंग कॉलोनी के नाम पर है। महेंद्र अग्रवाल पीडी अग्रवाल के पुत्र हैं और अब इस ग्रुप की बागडोर उन्हीं के हाथ में है।
क्या दूसरी कार इनोवा दे दी?
'द सूत्र' द्वारा 14 से 16 नवंबर तक मल्टी पर जाकर रोज जांच करने पर सामने आया कि जिस दिन से स्कार्पियो कार हटी है, उसी दिन से एक नई इनोवा कार मौके पर आ गई है और वहीं खड़ी रहती है, जहां पर यह स्कार्पियो खड़ी रहती थी। अब क्या स्कार्पियों के बदले यह इनोवा कार दी गई है, इसकी पुष्टि अभी नहीं हुई है। हालांकि यह इनोवा कार में भी गड़बड़ी है और इसका मूल रंग सफेद है जिसे बिना आरटीओ मंजूरी के ग्रे कराकर रंग बदला गया है।
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महेंद्र अग्रवाल ने क्या कहा था?
'द सूत्र' ने इस मामले में महेंद्र अग्रवाल और संजय लुणावत दोनों से बात की थी, जिसमें महेंद्र अग्रवाल ने कहा था कि तालाब के निरीक्षण का काम हो रहा है, जांच हो रही है, इसी में आने-जाने के लिए उन्हें कार दी है। लुणावत जी को आए एक महीना ही हुआ है, पहले से कार नहीं दी गई थी। हालांकि 'द सूत्र' को मिली जानकारी के अनुसार लुणावत के पास यह कार लंबे समय से थी लेकिन लुणावत ने इस कार से कोई संबंध होने से इनकार किया था।
उधर अग्रवाल की दो खदान के पट्टे हुए रिन्यू
उधर, एक और चौंकाने वाली बात सामने आई है। 'द सूत्र' को दस्तावेज मिले हैं, खनिज अधिकारी संजय लुणावत द्वारा पीडी अग्रवाल की दो खदानों के पट्टा नवीनीकरण की दो फाइल तेजी से चलाई गई और यह इंदौर के बाद अब भोपाल से भी मंजूर हो गई है। इसमें एक खदान रंगवासा देपालपुर के सर्वे नंबर 47/1, 47/1/2, 47/1/1/2 की 2.870 हेक्टेयर की है, जो युवराज इस्टेट प्रालि पार्टनर महेंद्र अग्रवाल के नाम पर है। वहीं दूसरी खदान रंगवासा देपालपुर के इसी सर्वे 47/1, 47/1/2, 47/1/1/2 की 3.270 हेक्टेयर की पीडी अग्रवाल इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के नाम की है। इनकी सैंद्धांतिक मंजूरी कलेक्टर कार्यालय से सितंबर में हुई और भोपाल संचालनालय से 6 नवंबर 2024 को दोनों खदानों को एक साथ मंजूरी मिली और इनका पट्टा दस-दस साल के लिए आगे बढ़ा दिया गया है।
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उधर तालाबों की जांच फाइल में ही
उधर तालाबों से अवैध खनन हुआ या नहीं, इसकी जांच के लिए आईएएस अपर कलेक्टर ज्योति शर्मा ने खनिज विभाग को निर्देश दिए हैं। हालांकि जानकारी के अनुसार अभी इसमें पांच सदस्यीय कमेटी बनी है और जांच रिपोर्ट अभी नहीं बनी है। इस मामले में अप्रैल 2024 से ही शिकायतों का दौर जारी है। उधर पर्यावरण हितैषी फाउंडेशन ने इस मामले में देरी को लेकर संभागायुक्त दीपक सिंह को भी पत्र लिखा है। संस्था के मुकेश अमोलिया ने पत्र में लिखा है कि आईएएस जिला पंचायत सीईओ सिदार्थ जैन द्वारा कार्रवाई के लिए पत्र लिखने के बाद भी इसमें कुछ नहीं हुआ है। पर्यावरण संरक्षण एक्ट, जल प्रदूशण एक्ट व अन्य धाराओं में कार्रवाई के प्रावधान है।
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