इंदौर हाईकोर्ट में विधानसभा की कार्यवाही के लाइव प्रसारण को लेकर लगाई याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता का कहना था कि देश के 10 विधानसभाएं डिजिटल हो चुकी हैं, लेकिन मध्यप्रदेश सरकार द्वारा अभी तक इसको लेकर कोई कदम नहीं उठाया गया है। इस पर कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है और जवाब मांगा है।
यह है मामला
मध्यप्रदेश विधानसभा की कार्रवाई का लाइव प्रसारण किए जाने के संबंध में कसरावद विधायक व पूर्व मंत्री सचिन यादव और सरदारपुर विधायक प्रताप ग्रेवाल द्वारा अधिवक्ता विभोर खंडेलवाल व जयेश गुरनानी के माध्यम से माननीय मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय खंडपीठ इंदौर के समक्ष जनहित याचिका दायर की थी। उक्त याचिका की सुनवाई माननीय न्यायालय द्वारा की गई और राज्य शासन को नोटिस तलब कर जवाब मांगा है।
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2020 में ई–विधानसभा एप्लीकेशन किया था लॉन्च
अधिवक्ता जयेश गुरनानी ने बताया कि याचिकाकर्ता द्वारा मुख्य रूप से यह मुद्दा उठाया गया है कि केंद्र सरकार द्वारा 16 मार्च 2020 को नेशनल ई-विधानसभा एप्लीकेशन लांच की गई थी। जिसके तहत भारत के सभी राज्यों की विधानसभा व विधान परिषद को डिजिटलाइज किया जाना था। इसके तहत 10 राज्यों द्वारा डिजिटाइजेशन की प्रक्रिया पूर्ण की जा चुकी है। इसमें बिहार, नागालैंड, हरियाणा, मेघालय, तमिलनाडु, सिक्किम, गुजरात, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र व झारखंड शामिल हैं। लेकिन मध्यप्रदेश द्वारा अभी तक विधानसभा की कार्रवाई का लाइव प्रसारण किए जाने को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
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केंद्र सरकार दे चुकी है 21 करोड़ रुपए
अधिवक्ता गुरनानी ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा मध्य प्रदेश विधानसभा को डिजिटल हाउस बनाने के लिए लगभग 21 करोड़ की राशि भी प्रदान की जा चुकी है। लेकिन उसके बावजूद मध्यप्रदेश विधानसभा की कार्रवाई का लाइव प्रसारण नहीं हो रहा है। जिससे मध्यप्रदेश के मतदाता उनके द्वारा चुने गए जनप्रतिनिधि द्वारा उठाए गए मुद्दे, पूछे गए सवाल, दिए गए भाषण आदि नहीं देख पाते हैं।
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प्रदेश की जनता लाइव देख सकेगी कार्रवाई
याचिका में कहा गया है कि यदि मध्यप्रदेश विधानसभा की कार्रवाई का लाइव प्रसारण किया जाता है तो मध्यप्रदेश के मतदाता उनके द्वारा चुने गए जनप्रतिनिधियों का विधानसभा में प्रदर्शन देख पाएंगे। साथ ही मतदान के अपने मौलिक अधिकार का सुचारू रूप से उपयोग भी कर पाएंगे।
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