पिनेकल डी ग्रैंड में मिलते-जुलते नाम की 6 फर्म, कंपनी बनाकर हुए 500 करोड़ के घोटाले की कहानी

इंदौर में पिनेकल डी ग्रैंड नामक परियोजना से जुड़ा एक बड़ा घोटाला सामने आया है, जिसमें 500 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का आरोप है। इस मामले में आशीष दास...

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Sanjay Gupta
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MP News : आशीष दास और पुष्पेंद्र वढेरा। इनके साथ एक और नाम जोड़ दीजिए पिनेकल ब्रांड का। इस ब्रांड के तले इंदौर में जमीन का सबसे बड़ा घोटाला हुआ है। इसके एक नहीं कुल तीन प्रोजेक्ट थे, जिसमें से एक पिनेकल ड्रीम्स (मल्टी स्टोरी प्रोजेक्ट, लग्जरी फ्लैट) का एनसीएलटी से फैसला हो चुका है। वहीं पिनेकल डिजायर (बायपास) का प्रोजेक्ट अभी ठंडे बस्ते में है और यह भी एनसीएलटी चला गया है। वहीं पिनेकल डी ग्रैंड निपानिया को लेकर विवाद जारी है। आयकर छापे में भी इस प्रोजेक्ट की पोल खुल चुकी है और खरीदारों और बेचवाल को इनकम टैक्स नोटिस गए हुए हैं।

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अब क्या मुद्दा उठा  

अब मुद्दा निपानिया के पिनेकल डी ग्रैंड को लेकर उठा है। इसमें भूखंडधारक और संघर्ष समिति के सदस्यों ने अपर कलेक्टर आईएएस गौरव बैनल की कोर्ट में भूखंड पाने के लिए केस लगाया। यहां पर सुनवाई हुई और 30 पेज का लंबा-चौड़ा आदेश हुआ। इसमें इस प्रोजेक्ट को लेकर 500 करोड़ का जो घोटाला हुआ है, उसकी पूरी कहानी है। जिसका घोटालेबाजों ने अद्भुत तरीका निकाला। शिकायत रमेश रिझवानी, पंकज रिझवानी, राजेश रामरखिया, विशाल मित्तल, सुमित राजपाल, मुकेश मेहता, संजय माहेश्वरी, अभय झंवर, रोहित सूद, जितेंद्र भूखंडधारक पिनेकल ग्रैंड कॉलोनी ने लगाई थी।

 इसमें इन्हें बनाया गया आरोपी

 इस केस में पीड़ित धारकों विरुद्ध आशीष दास, नीना पति संजय अग्रवाल, रितू पति मनोज अग्रवाल, संजय अग्रवाल, पुष्पेंद्र बढ़ेरा, गुरनाम सिंह धालीवाल, गिरीश वाधवानी, रविंद्र कुमार माटा, नवीन माटा, दीपक माटा को आरोपी बनाया गया।  

इस घोटाले में यह सामने आया

इस घोटाले में सामने आया कि जमीन नीना, रितु, संजय अग्रवाल की थी और फिर इन्होंने विकास मंजूरी ली। इसके बाद इसमें जमीन का सौदा दास, बढ़ेरा के साथ किया। इसमें भी सौदा दूसरी फर्म के साथ हुआ और जमीन क्रय अन्य मिलती-जुलती कंपनी के नाम पर हुई। फिर प्लॉट बुकिंग एक अन्य मिलती-जुलती कंपनी के नाम पर की, तो राशि अलग-अलग कंपनियों के खाते में ली गई। बाद में राशि पूरी नहीं होने और दास, बढ़ेरा के दूसरे प्रोजेक्ट फ्लॉप होने पर संजय अग्रवाल ने पूरी जमीन का सौदा नहीं किया और उनका कहना है कि बाकी प्रोजेक्ट वह कर रहे थे लेकिन दास ने बिना करार के बाद भी उनकी दूसरी जमीन पर भी सौदे कर दिए। वहीं इस प्रोजेक्ट को उलझते देख धीरे-धीरे कई भूमाफिया और जादूगर घुस गए।

 यह थी इतनी मिलती-जुलती नाम वाली कंपनियां

1- जेएसएम देवकान प्रालि- आशीष दास, पुष्पेंद्र बढ़ेरा- अभी भी यही डायरेक्टर  
2- जेएसएम इंडिया देवकान प्रालि- वीरेंद्र शर्मा, कपिल अग्रवाल, दास, बढ़ेरा- अभी भी यही  
3- मेसर्स श्री जेएसएम देवकान- संदीप अग्रवाल, संदीप गुप्ता, राजेश मोटलानी- अभी हरप्रीत सिंह टूटेजा, गुरनाम सिंह धालीवाल  
4- मेसर्स श्री जेएसएम देवकान पूर्व नाम सिमन कंसट्रक्शन- अग्रवाल, गुप्ता, मोटलानी अभी टूटेजा व धालीवाल  
5- मेसर्स जेएसएम देवकान- दास व गिरीश वाधवानी, अभी भी यही  
6- मेसर्स जेएसएम देवकान इंडिया- दास व वाधवानी, भी भी यही  

अपर कलेक्टर कोर्ट में यह आए तीन सवाल और यह पाया-  

1- इस भूमि के विकासकर्ता कौन है?

जवाब- दिसंबर 2015 में निगम के रिकॉर्ड से नीना, ऋतु व संजय अग्रवाल ने ग्राम निपानिया में इस सर्वे नंबर 260/1, 261/1, 261/2, 264/1 की कुल 8.331 हेक्टेयर पर विकास मंजूरी ली थी। यह वाद वाल जमीन भूमि ग्रैंड पिनेकल के विकासकर्ता नीना, ऋतु व संजय अग्रवाल की है  

2- क्या इन्होंने शिकायतकर्ताओं से प्लॉट बिक्री की राशि ली थी?

जवाब- शिकायतकर्ताओं द्वारा मेसर्स जेएसएम देवकान, जेएसएम देवकान प्रालि, मेसर्स श्री जेएसएम देवकान पूर्व नाम सिमन कंसट्रक्शन, जेएसएम देवकान प्रालि के भागीदारों को यह राशि दी थी।  

3- जिनके खिलाफ शिकायत है उनकी क्या भूमिका रही?

जवाब- नीना, ऋतु, संजय अग्रवाल ने निगम से मंजूरी ली। संजय अग्रवाल द्वारा आशीष दास व अन्य को बेची गई चार एकड़ और 5.3 एकड़ (श्री जेएसएम देवकान व श्री जेएसएम देवकान इंडिया) का भी विकासकर्ता होना पाया गया। संजय अग्रवाल टीएंडसीपी से मिली मंजूरी के अनुसार वह कुल विकास के लिए वचनबद्ध था। लेकिन कंपनियों के साथ हुए व्यवहारों से साफ है कि नीना, ऋतु, संजय द्वारा अन्य आशीष दास आदि के साथ मिलकर कॉलोनी पिनेकल डी ग्रैंड का विकास काम करने व लोगों से इस कॉलोनी में प्लॉट बिक्री के लिए राशि ली गई। लेकिन ऐसे कोई दस्तावेज नहीं आए जिससे यह हो कि इन सभी के बीच वित्तीय जिम्मेदारियां किस तरह से बंटी थी।

इन्होंने इस तरह किया खेल

मुख्य भूमिका विकासकर्ता संजय अग्रवाल व जेएसएम देवकान व मिलती-जुलती कंपनी, फर्म के प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से मालिक आशीष दास व पुष्पेंद्र वढ़ेरा द्वारा निभाई गई। आशीष दास के हिस्से की 9.30 एकड़ जमीन के सभी भूखंडों पर सहमति कर्ता के रूप में संजय अग्रवाल के हस्ताक्षर है। इससे साफ है कि अग्रवाल और दास द्वारा प्लॉट बुकिंग आपस में मिलकर की गई। लेकिन वित्तीय अनुशासन नहीं रखते हुए अलग-अलग कंपनी, फर्म में राशि प्राप्त की गई। साथ ही इस तरह धोखाधड़ी की गई। साफ है कि राशि ली थी। ना प्लॉट दिया और ना ही राशि लौटाई।  

लेकिन पुलिस और कोर्ट ही रास्ता  

लेकिन अपर कलेक्टर कोर्ट ने माना कि इस धोखाधड़ी के संबंध में शिकायतकर्ताओं को सक्षम पुलिस अधिकारी के पास जाकर आवेदन करना चाहिए। वहीं यह साक्ष्य पर्याप्त नहीं है कि प्लॉट बुकिंग की राशि में से किसके हिस्से में कितनी गई है और किस शिकायतकर्ता द्वारा अभी कितनी और राशि देना शेष थी। इसके चलते शिकायतकर्ताओं को प्लॉट उपलब्ध कराया जाना चाहिए या बाजार भाव से राशि लौटाई जाना चाहिए।

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