पीएम मोदी की मलखंबा पगड़ी में छुपा था ये संदेश, जाने देशभर में है किन पगड़ियों का चलन

पीएम मोदी भोपाल में देवी अहिल्याबाई की जयंती पर पहुंचे। उन्होंने मलखंबा पगड़ी पहनकर मराठी संस्कृति का सम्मान किया। यह पगड़ी मराठा राजाओं और योद्धाओं की पहचान रही है।

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Rohit Sahu
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को भोपाल दौरे पर पहुंचे। इस दौरान उन्होंने देवी अहिल्याबाई होलकर की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लिया। कार्यक्रम में सबसे ज्यादा चर्चा पीएम की वेशभूषा की रही। खासकर उनके सिर पर बंधी मलखंबा पगड़ी ने सबका ध्यान खींचा। आइए जानते हैं मलखंबा पगड़ी क्या है। साथ ही ये भी जानेंगे कि देश में अलग अलग संस्कृतियों कैसी पगड़ी पहनी जाती हैं।

मलखंबा पगड़ी में मराठी संस्कृति की झलक 

प्रधानमंत्री ने जो मलखंबा पगड़ी पहनी थी, वह पारंपरिक मराठी संस्कृति से जुड़ी मानी जाती है। देवी अहिल्याबाई मराठी मूल की थीं। ऐसे में उनकी जयंती पर पीएम की वेशभूषा ने मराठी गौरव और सांस्कृतिक पहचान को खास अंदाज में पेश किया। बता दें देवी अहिल्याबाई का ताल्लुक भी मराठी राज परिवार से था।  

मराठा राजाओं की पगड़ी थी मलखंबा की पहचान

यह पगड़ी इतिहास में मराठा राजाओं और योद्धाओं के बीच बेहद प्रसिद्ध रही है। इसे ‘मलखंबा पगड़ी’ कहा जाता है। स्थानीय भाषा में इसे मोपला भी कहा जाता है। यह पारंपरिक शैली में सिर पर कई बार लपेटी जाती है और इसका रंग आमतौर पर लाल, पीला या सफेद होता है।

वीरता और गौरव की प्रतीक रही है यह पगड़ी

मराठा राजाओं के लिए यह पगड़ी सिर्फ वस्त्र नहीं बल्कि एक गौरवशाली प्रतीक थी। यह न केवल उनकी वीरता का परिचायक थी, बल्कि उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा और राज्यीय परंपराओं को भी दर्शाती थी।

देशभर में पहनी जाती हैं इन शैलियों की पगड़ी

भारत में क्षेत्र और समुदाय के आधार पर लोग अलग अलग पगड़ियों पहनते हैं। इनकी शैलियां भी अलग होती हैं। 

राजस्थानी पगड़ियां-

  1. साफा पग जो चमकीले और बहुत सारे रंगों से बनी होती है। इन्हें विवाह, त्योहार में पहना जाता है। इसके अलावा राजपूत समुदाय के लोग भी पारंपरिक रूप से पहनते हैं।
  2. .पेंचदार पगड़ी: इसकी शैली:* सर्पिल आकार में बांधी जाती हैं। इन्हें जोधपुर के राजाओं द्वारा पहना जाता था।  

पंजाब

  1. दस्तार पंजाब के साथ देशभर में रहने वाले सिख लोग दस्तार पहनते हैं। यह उनकी धार्मिक पहचान से संबंधित होती है।
  2. पटका: छोटी, रोजमर्रा की में सरदार लोग पहनते हैं। 
  3. दुमाला: लंबी और योद्धाओं द्वारा पहनी जाने वाली पगड़ी
  4. गोल दस्तार: गुरुद्वारों में पहनी जाती है।  इसमें नीला (निहंग सिख) और सफेद पग (शांति का प्रतीक) के रूप में पहनी जाती है।

दक्षिण भारतीय पगड़ियां

मैसूर पेटा दक्षिण भारत की एक पारंपरिक पगड़ी है, जिसे खासतौर पर राजघरानों और सांस्कृतिक आयोजनों में पहना जाता है। यह रेशमी कपड़े से बनाई जाती है और उस पर बारीक जड़ाऊ कढ़ाई होती है, जो इसकी भव्यता को दर्शाती है।

महाराष्ट्र/मराठा पगड़ी

मराठा संस्कृति में 'फेटा' एक प्रमुख पगड़ी है, जो आमतौर पर केसरिया या सफेद रंग की होती है। यह शैली छत्रपति शिवाजी महाराज से जुड़ी हुई है और मराठा गौरव की प्रतीक मानी जाती है।

धार्मिक पगड़ियां

सिख समुदाय में 'दस्तार' को गुरुग्रंथ साहिब के सम्मान और अपने केशों की रक्षा के लिए पहना जाता है।

मुस्लिम पुरुषों द्वारा पहनी जाने वाली 'अमामा' पगड़ी आमतौर पर सफेद या काले रंग की होती है और इसे नमाज़ या धार्मिक अवसरों पर धारण किया जाता है।

हिन्दू परंपरा में राजस्थान और हरियाणा की पगड़ियां भगवान कृष्ण तथा राजपूत संस्कृति से प्रेरित मानी जाती हैं।

अंतर्राष्ट्रीय पगड़ियां

अरब देशों में 'गुत्रा' या शेमाग नामक पगड़ी प्रचलित है, जो आमतौर पर सफेद या लाल-सफेद चेक डिज़ाइन में होती है और रेगिस्तानी धूल से बचाव के लिए पहनी जाती है। अफगानिस्तान में 'लुंगी' नामक गहरे रंगों की पगड़ी प्रचलित है, जिसे पठान नेता अक्सर पहनते हैं।

विशेष मौके वाली पगड़ियां

राजस्थान में शोक के समय पहनी जाने वाली पगड़ी सफेद रंग की होती है।

वहीं, सेना और पुलिस बलों में अलग-अलग रंगों की पगड़ियां होती हैं- जैसे राजपूत रेजिमेंट में केसरिया रंग की, जबकि सिख सैनिक नीली या हरी दस्तार पहनते हैं।

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फैशन वाली पगड़ियां

आधुनिक दौर में फैशन की दुनिया में 'डिज़ाइनर टर्बन' का चलन है, जिन्हें रेशम या जॉर्जेट जैसे फैब्रिक से तैयार किया जाता है और खासतौर पर शादियों या फैशन शो में पहना जाता है।

 इसके अलावा, 'प्री-टाइड टर्बन' यानी रेडीमेड और स्टाइलिश पगड़ियां भी युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय हो रही हैं।

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पगड़ी पहनने का अंदाज ही बताता है पहचान

पगड़ी को जिस शैली में बांधा जाता है, वह पहनने वाले की पहचान और भावनात्मक जुड़ाव को दर्शाता है। चाहे वह राजपूतों की पेंचदार पगड़ी हो या सिखों की दस्तार, हर पगड़ी से उस व्यक्ति की पहचान की जा सकती है।

पीएम मोदी ने सांस्कृतिक सम्मान को दी नई पहचान

प्रधानमंत्री मोदी की पगड़ी पहनने की शैली ने ना केवल परंपरा को सम्मान दिया, बल्कि भारत की सांस्कृतिक विविधता का संदेश भी दिया। यह मराठा गौरव और देश के सांस्कृतिक समरसता को जोड़ने वाला प्रतीक बन गया।

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