प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण ( पीएम पोषण ) योजना के तहत मध्य प्रदेश के 24 पिछड़े जनजातीय जिलों में बौनापन और कुपोषण को समाप्त करने के लिए 181 करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं। इस योजना के अंतर्गत, विशेष रूप से बच्चों के लिए बनाए गए भोजन की तैयारियों में जुटे रसोइयों के मानदेय और अन्य आवश्यक खर्च शामिल हैं।
11 करोड़ का बजट मुरैना को आवंटित
इस उद्देश्य के लिए मुरैना जिले को सबसे अधिक, लगभग 11.39 करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया गया है। इन बच्चों को पर्याप्त पोषण सुनिश्चित करने के लिए, 26494.66 मीट्रिक टन खाद्यान्न भी जारी किया गया है।
किसको मिलेगा योजना का लाभ
इस योजना का लाभ प्रदेश के विशेष पिछड़ी जनजातियों ( PVTG ) जैसे बैगा, भारिया और सहरिया जनजातियों के लोगों को मिलेगा, जो इन जिलों में बड़ी संख्या में निवास करते हैं। ये जिले अनूपपुर, अशोक नगर, बालाघाट, छिंदवाड़ा, दतिया, डिंडोरी, गुना, ग्वालियर, कटनी, मंडला, मुरैना, नरसिंहपुर, सतना, शहडोल, श्योपुर, शिवपुरी, सीधी, विदिशा, भिंड, जबलपुर, रायसेन, उमरिया, सिंगरौली और सिवनी हैं। इन जिलों में 30 सितंबर तक 13 हजार 552.89 मीट्रिक टन गेहूं और 12 हजार 941.77 मीट्रिक टन चावल वितरित किया जा चुका है।
गर्भवती की पोषण आवश्यकताएं भी पूरी
योजना के तहत, बच्चों के जीवन के पहले 1000 दिनों को अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। इस दौरान बच्चों में बौनेपन, कुपोषण, एनीमिया और जन्म के समय कम वजन जैसी समस्याओं को रोकने के लिए विशेष ध्यान दिया जाता है। इसके अतिरिक्त, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं की पोषण संबंधी आवश्यकताएं भी पूरी की जाती हैं, ताकि उनके नवजात शिशु को उचित पोषण प्राप्त हो सके।
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