BHOAPL. बढ़ते क्राइम आज आम नागरिक और प्रोफेशनल्स की चिंता का कारण बन गए हैं। सूने मकानों में चोरी, लूट और हत्या जैसी वारदातें तेजी से हो रही हैं, लेकिन वारदातों के बाद अक्सर पुलिस को आरोपी की पहचान करने में ही कई दिन लग जाते हैं। प्रदेश के शहरों में बड़ी संख्या में बाहरी लोग किरायेदार के रूप में रहते हैं। जिनकी जानकारी आमतौर पर स्थानीय थानों में नहीं होती। जब कभी किसी क्राइम में ऐसा बाहरी व्यक्ति लिप्त होता है तो उसकी पहचान करना मुश्किल हो जाता है। इसकी जिम्मेदारी निगरानी व्यवस्था की खामी की भी है जिसे टेक्नोलॉजी पर निर्भर पुलिस भूलती जा रही है। हाउस ओनर्स को अपने किरायेदार की जानकारी थानों में देना जरूरी है। किरायेदारों का Police verification पुलिस की ड्यूटी है, लेकिन काम के दबाव के बहाने इसे टाल दिया जाता है। यदि लोग अपने किरायेदार की जानकारी दें और पुलिस उनका वेरिफिकेशन करे तो कई अपराध रोके जा सकते हैं।
बदमाश भी सोसाइटी में रहने के लिए किरायेदार बन जाते हैं
जानकारी के अनुसार मेट्रो सिटी इंदौर, भोपाल, ग्वालियर और जबलपुर सहित प्रमुख बड़े शहरों में एक करोड़ से ज्यादा लोग किराए से रहते हैं। इनमें सबसे बड़ी संख्या स्टूडेंट और जॉब प्रोफेशनल्स और मजदूर वर्ग की है। वहीं आपराधिक-असामाजिक गतिविधियों में लिप्त बदमाश भी सोसाइटी में इन्हीं लोगों के बीच किरायेदार बन जाते हैं। अक्सर किरायेदार रखने से पहले लोग बातचीत और सामान्य परिचय तक ही सीमित रहते हैं। इसकी परवाह ही नहीं करते कि किरायेदार की जानकारी सही है भी या नहीं। जब कभी आपराधिक वारदात के बाद पुलिस जांच करती है तब इसका खुलासा होता है। बदमाश इसका फायदा उठाकर बच निकलते हैं।
मालिक मकान को किरायेदार की ये जानकारी लेना चाहिए
प्रदेश में किरायेदार रखने के समय हाउस ओनर्स को क्या सावधानी बरतनी चाहिए, हम आपको इसकी विस्तृत जानकारी दे रहे हैं। आम नागरिक का दायित्व है की जब कोई उनके मकान या दुकान को किराए पर ले रहा हो तो उसकी जानकारी लें। यही नहीं किरायेदार कैसा है इसका पता लगाने बैकग्राउंड के बारे में भी सवाल जरूर करें और इसकी सूचना अपने पुलिस स्टेशन को जरूर दें। ताकि इसके आधार पर पुलिस वेरिफिकेशन कर सके। प्रदेश में किरायेदारों के वेरिफिकेशन के लिए पुलिस ने गाइड लाइन बनाई है। इसके तहत मकान मालिक तय फॉर्मेट में किरायेदार की जानकारी निर्धारित बिंदुओं के आधार पर थाने में दे सकता है। यही नहीं एमपी पुलिस के पोर्टल पर भी यह जानकारी ऑनलाइन फॉर्म भरकर सबमिट की जा सकती है।
इस लिंक पर जाकर भरें ऑनलाइन फार्म citizen.mppolice.gov.in/Custom_CitizenTips.aspx
किरायेदारों की सूचना का फॉर्म ऑनलाइन भर सकते हैं। इसके लिए क्या-क्या जानकारी जरूरी होती है। वारदातों में बाहरी लोगों के लिप्त होने के केसों के चलते कुछ साल पहले पुलिस ने सिटीजन पोर्टल शुरू किया है। https://citizen.mppolice.gov.in लिंक की मदद से सीधे एमपी पुलिस के इस पोर्टल पर पहुंच सकते हैं। पेज पर आने के बाद नजर आने वाले सभी फीचर्स पुलिस की विभिन्न सेवाएं देने वाले हैं। इन्हीं में से एक फीचर किरायेदार/पीजी सूचना का है। इस पर क्लिक करते ही रजिस्ट्रेशन का मैसेज दिखेगा। यहां अपने नाम और मोबाइल नंबर से ओटीपी की मदद से रजिस्ट्रेशन करना होता है। इतना करने पर आपके सामने किरायेदार सूचना का फॉर्म ओपन हो जाएगा। इसको भरकर सबमिट करते ही सूचना पुलिस तक पहुंच जाती है। किरायेदार की सूचना न देना आईपीसी की धारा 188 के तहत अपराध भी है और इसके लिए सजा और जुर्माना भी लग सकता है।
मध्यप्रदेश किरायेदार अधिनियम की खास बातें...
- मकान मालिक बिना अनुबंध के किरायेदार नहीं रख पाएंगे।
- अनुबंध की जानकारी किराया प्राधिकारी को दो माह के भीतर देनी होगी।
- कोई भी किरायेदार मकान पर कब्जा नहीं कर सकेगा।
- निर्धारित अवधि के बाद उसे मकान खाली करना होगा।
- यदि वह नहीं करता तो बेदखली की कार्रवाई की जाएगी।
- मकान मालिक किरायेदार को तंग नहीं कर सकेगा।
- आवश्यक सेवाओं को बाधित करने पर मालिक के विरुद्ध कार्रवाई होगी।
- अनुबंध के अनुसार किराया बढ़ाया जाएगा और मना करने पर शिकायत किराया अधिकरण में होगी।
- भूस्वामी आवासीय मकान के लिए दो माह और कमर्शियल भूखंड के लिए छह माह का अग्रिम ले सकेगा।
- अनुबंध समाप्ति के समय या तो समायोजित किया जाएगा या फिर इसे वापस किया जाएगा।
- युद्ध, बाढ़, सूखा, तूफान, भूकंप या प्राकृतिक आपदा की स्थिति में किरायेदार को हटाया नहीं जा सकेगा।
- अनुबंध करने वाले व्यक्ति की मृत्यु होने पर उसके परिजन किरायेदार रह सकते हैं।
- किराए की संपत्ति किसी दूसरे व्यक्ति को किराए पर नहीं दे सकते।
- मकान मालिक बिना अनुमति किरायेदार के आधिपत्य वाले क्षेत्र में प्रवेश नहीं कर सकता।
- मरम्मत अथवा निरीक्षण के लिए 24 घंटे पहले सूचना देनी होगी।
- किरायेदार को तंग करने बिजली-पानी जैसी जरूरी सुविधाएं नहीं रोकी जा सकेंगी।
इन वारदातों की हकीकत खोल देगी आपकी आंखें...
1. फरवरी 2021 में सतना के कोतवाली थाना अंतर्गत एक महिला जनक दुलारी की लाश घर में पड़ी मिली थी। पुलिस को पड़ताल में 14 महीने लग गए तब उसे मौत के घाट उतारने वाले का पता चल पाया था। यह हत्या उसके मकान में रहने वाले एक किरायेदार ने की थी। लोग पुलिस को भी किरायेदार के बारे में कुछ नहीं बता पाए थे। पुलिस को आरोपी तक पहुंचने में एक साल से ज्यादा लग गया क्योंकि उसकी जानकारी और पता- ठिकाना बेटों को भी पता नहीं था।
2. 8 अगस्त 2022 को जबलपुर के कालीमठ मंदिर के पास रहने वाली केशर बाई चौकसे की खून से लथपथ लाश कमरे में मिली थी। महिला की नृशंस हत्या की जांच के दौरान पुराने किरायेदार पर शंका हुई। वह कुछ दिन पहले ही कमरा खाली करके गया था। उसकी तलाश में कई दिन तक मशक्क्त करनी पड़ी थी। घर के लोगों के पास भी उसकी जानकारी नहीं थी। काफी मुश्किल के बाद आरोपी पकड़ा गया तो उसने लूट के उद्देश्य से हत्या करना कबूल किया था।
3. इंदौर के रावजी बाजार थाना क्षेत्र में दिसंबर 2023 में किराए के मकान में युवती की हत्या के बाद उसका लिव इन पार्टनर फरार हो गया था। कमरे से बदबू आने पर मकान मालिक ने खबर थाने को दी जिसके बाद पुलिस ने शव बरामद किया। इस मामले में भी मकान मालिक ने किराए से रहे आए युवक-युवती के बारे में पता नहीं किया था और उनकी सूचना भी पुलिस को नहीं दी थी। यदि किरायेदार का वेरिफिकेशन कराया होता तो ये घटना रोकी जा सकती थी।