मध्य प्रदेश सरकार के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद पटेल की पीआरओ और जनसंपर्क विभाग में असिस्टेंट डायरेक्टर पूजा थापक की आत्महत्या के बाद उनके 17 महीने के बेटे से मिलने के लिए पूजा के पिता द्वारा हाईकोर्ट में दायर याचिका की सुनवाई के बाद हाइकोर्ट ने बच्चे को कोर्ट में ही उसके नाना से मिलवाया।
पूजा थापक के पिता ने लगाई थी हाईकोर्ट में याचिका
इस मामले में पूजा थापक की मां माया थापक की ओर से पिता जगत नारायण थापक और भाई प्रखर थापक ने जबलपुर हाईकोर्ट में हेबियस कार्पस याचिका दायर की थी। इस मामले में याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि इस बच्चे के जन्म के बाद से ही बच्चा ज्यादातर अपने ननिहाल में ही रहा है और इस बच्चे से नाना नानी और मामा प्रखर का अत्यधिक लगाव है। बीते दिनों यह बच्चा अपने मामा के साथ विदेश भी गया था इसके सबूत के तौर पर कोर्ट में वीजा भी प्रस्तुत किया गया।
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फरार आरोपियों के साथ बच्चे के होने पर थी चिंता
मंगलवार 10 सितंबर को इस मामले की एक्टिंग चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट को यह बताया गया की पूजा थापक की दहेज के लिए प्रताड़ना के बाद आत्महत्या मामले में आरोपी पति निखिल दुबे जेल में है और उसकी सास आशा दुबे फरार है। वहीं निखिल के पिता भी अंडरग्राउंड हैं। ऐसे में यह 17 माह का बच्चा किस हालात में होगा इसकी उन्हें चिंता है।
बच्चे की देखभाल के लिए निखिल के परिवार में भी हैं परिजन
अनावेदको की ओर से कोर्ट को यह बताया गया कि इस मामले में निखिल दुबे और उसके परिवार को आवेदकों के द्वारा ही झूठ फंसाया गया है। वहीं आरोप यह भी हैं कि पूजा थापक की आत्महत्या की वजह प्रताड़ना नहीं बल्कि, उसकी दूसरी शादी थी। हालांकि, कोर्ट ने यह कहा कि यह मामला अन्य कोर्ट में विचाराधीन है। इसलिए इस पर कोई भी टिप्पणी नहीं की जा सकती। कोर्ट को यह भी बताया गया कि बच्चे के पिता निखिल दुबे के परिवार में बच्चे की देखभाल करने के लिए उसके ताया-ताई जैसे सभी परिजन हैं।
हाईकोर्ट में ही बच्चे से मिले उसके नाना
कोर्ट ने इसके बाद यह सलाह दी कि बच्चे की कस्टडी का मामला फैमिली कोर्ट के जरिए हल होगा इसलिए इसके लिए नियम अनुसार आवेदन दायर किया जाए। पर इस प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने बच्चे को अपने नाना से मिलवाने के लिए आदेशित किया इसके बाद निखिल के परिजन बच्चों को लेकर चीफ जस्टिस की कोर्ट में पहुंचे और वहां पर बच्चे से याचिकाकर्ता को मिलवाया गया।
बच्चे को नाना-नानी से मिलने देने पर बनी सहमति
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता महेंद्र पटेरिया ने बताया कि प्रत्यक्षीकरण के लिए जो याचिका लगाई गई थी उसमें कार्पस को कोर्ट में पेश किया गया है और इस मामले की सुनवाई इसके साथ ही खत्म हो गई है। अधिवक्ता महेंद्र पटेरिया ने यह भी बताया कि कोर्ट में इस बात पर भी सहमति बनी है कि नाना-नानी और मामा को बच्चे से मिलने दिया जाएगा। हालांकि, बच्चे की कस्टडी के मामले में फैमिली कोर्ट में फैसला होगा।