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मध्य प्रदेश सरकार ने प्रदेश के सभी जिला अस्पतालों में पीपीपी (पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप) मॉडल के तहत कार्डियक कैथ लैब स्थापित करने की योजना बनाई है। इस पहल से दिल के मरीजों को अब एंजियोग्राफी, एंजियोप्लास्टी, हार्ट वाल्व रिप्लेसमेंट और पेसमेकर जैसे उपचार की सुविधा सस्ते में प्राप्त होगी। इस योजना से आयुष्मान भारत योजना के तहत गरीब मरीजों को नि:शुल्क उपचार मिलने का भी लाभ होगा, जिससे इलाज और भी सुलभ और सस्ता हो जाएगा।
कैथ लैब की जरूरत
प्रदेश में हृदय रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है, और ऐसे में जिला अस्पतालों में पीपीपी मॉडल पर कार्डियक कैथ लैब स्थापित करने की योजना एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है। इन लैब्स में एंजियोग्राफी और एंजियोप्लास्टी जैसे महत्वपूर्ण इलाज किए जा सकेंगे, जो पहले केवल बड़े सरकारी मेडिकल कॉलेजों से जुड़े अस्पतालों में उपलब्ध थे। अब इस सुविधा को जिला अस्पतालों तक लाया जाएगा, जिससे लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिलेंगी।
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भोपाल में जेपी अस्पताल में कैथ लैब की स्थापना
भोपाल के जेपी अस्पताल में पहले से ही सरकार ने अपनी ओर से कैथ लैब स्थापित की है। जबकि अन्य जिलों में इस सुविधा को पीपीपी मॉडल पर स्थापित करने का प्रस्ताव है। इस योजना से दिल के मरीजों को बेहतर इलाज मिल सकेगा और उनकी इलाज की लागत भी घटेगी। सरकारी और निजी क्षेत्र के सहयोग से यह योजना जिले स्तर तक स्वास्थ्य सेवाओं को विस्तार देने में मदद करेगी।
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लैब की स्थापना और लागत
एक कैथ लैब स्थापित करने में लगभग दो करोड़ रुपए का खर्च आता है। मध्य प्रदेश के सभी जिला अस्पतालों में यह सुविधा स्थापित करने में सौ करोड़ रुपए से अधिक का खर्च हो सकता है। इसके अलावा, कार्डियोलाजिस्ट और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों की व्यवस्था भी करनी होगी, ताकि यह सुविधाएं सही से संचालित हो सकें। सीटी स्कैन और एमआरआई जैसी सेवाओं के लिए पहले से पीपीपी मॉडल का प्रयोग सफल रहा है, जो इस योजना की सफलता का संकेत देता है।
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क्या है कैथ लैब
कैथ लैब या कैथीटेराइज़ेशन प्रयोगशाला, हृदय रोगों के निदान और इलाज के लिए की जाने वाली प्रक्रियाओं के लिए एक अस्पताल कक्ष है। इसमें, हृदय और रक्त वाहिकाओं तक पहुंचने के लिए एक छोटी, लचीली ट्यूब (कैथेटर) का इस्तेमाल किया जाता है।
40 प्रतिशत सस्ता इलाज
पीपीपी मॉडल के तहत स्थापित होने वाली कैथ लैब्स से दिल के मरीजों को इलाज की लागत में लगभग 40 प्रतिशत की कमी देखने को मिल सकती है। बाजार में जहां एंजियोग्राफी का खर्च 15 हजार रुपए से शुरू होता है, वहीं एंजियोप्लास्टी के लिए डेढ़ लाख से दो लाख रुपए तक खर्च होता है। जबकि सरकारी कैथ लैब्स में यह उपचार सस्ते दरों पर मिलेगा। इसके अलावा, आयुष्मान भारत योजना के तहत गरीब मरीजों को निश्शुल्क उपचार की सुविधा मिलेगी, जिससे बड़ी संख्या में लोग लाभान्वित हो सकेंगे।
पीपीपी मॉडल से स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार
सरकार का उद्देश्य पीपीपी मॉडल से स्वास्थ्य सेवाओं को जिले स्तर तक बढ़ाना है। इसके तहत पहले सीटी स्कैन और अब एमआरआइ जैसी सुविधाएं भी शुरू की जा चुकी हैं। इन दोनों सेवाओं की सफलता को देखते हुए सरकार ने अब कैथ लैब की योजना को भी पीपीपी मॉडल पर लाने का निर्णय लिया है। यह सरकारी और निजी क्षेत्र के बीच बेहतर तालमेल और सहकार्य का उदाहरण बनेगा और प्रदेश के स्वास्थ्य क्षेत्र में एक नई दिशा प्रदान करेगा।