मुश्ताक मंसूरी @ खंडवा
MP News: खंडवा के किशोर कुमार ऑडिटोरियम में सोमवार को आयोजित पंचायत सम्मेलन उस वक्त चर्चा का केंद्र बन गया जब मध्यप्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद पटेल ने मंच से पंच-सरपंचों को स्पष्ट लहजे में हिदायत दे डाली। कार्यक्रम के दौरान पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद पटेल ने सख्त लहजे में नसीहत दी। उन्होंने कहा मेरे पास नाली, सड़क या डैम बनवाने के लिए फंड मांगने मत आना। अगर ईमानदारी से काम होता तो एक भी नदी - नाला सूखा नहीं मिलता।
मेरे पास पैसा मांगने मत आना
मंत्री पटेल ने कहा कि मेरे पास नाली, सीसी रोड, बाउंड्रीवॉल या स्टाप डैम के लिए पैसा मांगने की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि अब तक राज्य में जितने स्टाप डैम बने हैं, अगर ईमानदारी से कार्य हुआ होता, तो प्रदेश की हर नदी-नाले के 50 मीटर पर एक स्टाप डैम होता। लेकिन ऐसा नहीं हुआ, और यही कारण है कि मनरेगा जैसे कामों पर रोक लगानी पड़ी।
मनरेगा पर प्रतिबंध को लेकर मंत्री की सफाई
सभा में जब मनरेगा योजना के नए कामों पर लगे प्रतिबंध को लेकर सवाल उठा, तो मंत्री ने स्पष्ट किया कि वह पीछे लौटकर पुराने मुद्दे नहीं उठाना चाहते, लेकिन सरपंचों को आत्मनिरीक्षण की जरूरत है। आपको अपने कर्तव्यों के प्रति सजग होना पड़ेगा। अगर सचमुच ईमानदारी से काम किया गया होता, तो आज हमारे नदी-नाले सूखते नहीं।
भ्रष्टाचार पर साधा निशान
प्रहलाद पटेल ने सरपंचों को चेतावनी देते हुए कहा कि जिन ग्राम पंचायतों में जल स्रोत सूख चुके हैं, वहां की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए। उन्होंने ग्रामीणों के अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि आजकल बुजुर्गों से सुनने को मिलता है कि पहले नालों में दिसंबर तक पानी बहता था, लेकिन अब साल के अंत तक वे सूख जाते हैं।
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पैसे की कोई कमी नहीं है: प्रहलाद पटेल
पंचायत मंत्री प्रहलाद पटेल ने यह भी स्पष्ट किया कि वित्तीय संसाधनों की कोई कमी नहीं है। उन्होंने बताया कि इस साल पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग का बजट 6,000 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है, जबकि पिछली बार यह महज 1,400 करोड़ था। चार गुना से ज्यादा बजट मिलने के बाद भी अगर विकास रुक रहा है, तो यह गंभीर सवाल है। पैसे की कमी नहीं, नियत की जरूरत है।
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