नील तिवारी, JABALPUR. सागर जिले में हुए नाबालिग से रेप मामले में डीएनए रिपोर्ट के आधार पर इस बात का खुलासा हुआ है की नाबालिग का पिता ने ही किया था रेप और कपिल लोधी को आरोपी बनाकर उस पर झूठी एफआईआर दर्ज कराई गई थी।
ये था पूरा मामला
23 अक्टूबर 2023 को एक नाबालिग रेप पीड़िता ने 21 वर्षीय छात्र कपिल लोधी के खिलाफ सागर जिले के कैंट थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई थी। जिसके बाद पुलिस ने पॉक्सो, बलात्कार सहित अन्य धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज किया था। इसके बाद रेप पीड़िता ने न्यायालय में गर्भपात के लिए याचिका लगाई थी। इस मामले में गठित मेडिकल बोर्ड ने गर्भ में लगभग 9 सप्ताह का भ्रूण होने की पुष्टि की थी। एकलपीठ ने नाबालिग पीड़िता को सशर्त गर्भपात की अनुमति देते हुए अपने आदेश में कहा था कि याचिकाकर्ता और उसके माता-पिता एक हलफनामा पेश करें कि वह ट्रायल के दौरान अपने आरोपों से नहीं मुकरेंगे।
हलफनामे से मुकर गई थी पीड़िता
रेप मामले में कथित आरोपी ने हाईकोर्ट में जमानत याचिका लगाई थी। उसने याचिका में बताया कि रेप पीड़िता अपने बयान से मुकर चुकी है। इस आधार पर हलफनामे से मुकरने पर न्यायालय ने पीड़िता सहित उसके परिजनों पर कोर्ट की अवमानना का मुकदमा चलाने शोकॉज नोटिस जारी करने के आदेश दिए थे।
असली बलात्कारी को ढूंढने में पुलिस असंवेदनहीन
मामले में हुई पिछली सुनवाई के दौरान पेश की गई डीएनए रिपोर्ट से या साफ हो चुका था कि भूर्ण का बायोलॉजिकल पिता कपिल नहीं है। इसके बाद न्यायालय ने पुलिस की ओर से भ्रूण के बायोलॉजिकल पिता का पता लगाने एफिडेविट देने को कहा था। इस पर विवेचना अधिकारी ने न्यायालय को यह हलफनामा दिया था कि वह भ्रूण के पिता का पता लगाने में असक्षम है। इसके बाद कोर्ट ने सागर पुलिस अधीक्षक को भी जवाब देने नोटिस जारी किया था और सागर के कैंट पुलिस थाने के SHO को इस जांच के लिए उपयुक्त न बताते हुए आईजी सागर को निर्देशित किया गया था कि इस जांच से SHO पुलिस थाना कैंट को अलग कर किसी वरिष्ठ अधिकारी को जांच सौंपी जाए।
बलात्कार पीड़िता के गर्भ में था पिता का बच्चा
इस मामले में अगली सुनवाई में शासन की ओर से अधिवक्ता स्वाति असीम जॉर्ज ने बताया कि इस मामले में नया जांच अधिकारी नियुक्त कर दिया गया है और डीएनए रिपोर्ट के आधार पर यह पाया गया है कि बलात्कार पीड़िता के गर्भ का डीएनए उसके ही पिता से मैच हो रहा है। जिसके बाद नाबालिग के पिता के ऊपर एक अलग FIR रजिस्टर कर उसे गिरफ्तार कर लिया गया है।
पुलिस की जांच पर सवाल
पूर्व जांच अधिकारी ने गर्भ के बायोलॉजिकल पिता का पता लगाने में असमर्थता जताई। इसे कोर्ट ने गंभीरता से लिया और सागर पुलिस अधीक्षक को आदेश दिया कि इस मामले के सभी साक्ष्यों के साथ हलफनामा पेश करने को कहा। साथ ही ये भी बताने को कहा कि जब गर्भ का DNA आरोपी कपिल से नहीं मिल रहा था तो असली आरोपी को पकड़ने के लिए पुलिस विभाग ने ट्रायल कोर्ट से अनुमति क्यों नहीं ली। पुलिस विभाग ने क्यों इस मामले में इतनी असंवेदनहीनता दिखाई।
पुलिस विभाग ने मानी अपनी गलती
इसके बाद शुक्रवार, 24 मई को हुई सुनवाई में सागर पुलिस अधीक्षक अभिषेक तिवारी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जस्टिस जीएस अहलूवालिया के समक्ष पेश हुए। उन्होंने पुलिस विभाग की गलती मानते हुए यह कहा कि विवेचना अधिकारी के द्वारा गलती की गई है और आरोपी को बचाने का कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है। विवेचना अधिकारी को निलंबित कर दिया गया है जिस पर नियम अनुसार जांच की जाएगी।
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