BHOPAL : स्कूली शिक्षा पर लोक शिक्षण संचालनालय का रवैया सौतेला हो चला है। शिक्षकों की कमी से प्राथमिक से लेकर हायर सेकेण्डरी स्कूलों में हाय-तौबा मची है। स्कूलों के परीक्षा परिणाम इतने खराब आ रहे हैं जितने पहले कभी नहीं आए। बीते माह बीएड डिग्रीधारी प्राथमिक शिक्षकों की सेवा समाप्ति में जल्दबाजी से साफ हो गया है कि डीपीआई सरकारी स्कूलों को शिक्षकविहीन करना चाहता है। बेदखली से परेशान प्राथमिक शिक्षकों की याचिका पर सुनवाई के बाद फिलहाल हाईकोर्ट ने उन्हें राहत दे दी है। वहीं डीपीआई कमिश्नर ने भी नया आदेश जारी कर प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति निरस्त करने संबंधी डीपीआई संचालक के आदेश पर रोक लगा दी है।
दरअसल डीपीआई संचालक की ओर से 28 अगस्त को एक आदेश प्रदेश के जिला शिक्षा अधिकारियों को जारी किया गया था। आदेश में प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेश का उल्लेख था। जिसके अनुसार सुप्रीम कोर्ट द्वारा 11 अगस्त 2023 को आदेश जारी कर प्राथमिक शिक्षक के लिए बीएड की डिग्री को अमान्य किया गया है। इस संबंध में एनसीटीई की अधिसूचना भी 28 जून 2018 को निरस्त की जा चुकी है। इसके बाद भी प्रदेश में प्राथमिक शिक्षक भर्ती के दौरान लोक शिक्षण संचालनालय ने बीएड डिग्रीधारी आवेदकों को स्वीकृति दी। ऐसे डिग्रीधारी भर्ती परीक्षा को पास हुए और उन्हें नियुक्ति पत्र भी जारी कर दिया गया था।
इस पूरे मामले में डिग्रीधारियों की गलती नहीं थी क्योंकि डीपीआई भर्ती प्रक्रिया में कोर्ट के आदेश को स्पष्ट करना ही भूल गया था। डीएलएड धारी आवेदकों की अपील पर हाईकोर्ट जबलपुर ने 11 अगस्त 2023 के बाद बीएड डिग्री लेने वाले प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति को अमान्य किया गया था। हाईकोर्ट के इस आदेश के तुरंत बाद डीपीआई ने आदेश जारी कर दिया। इसमें प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति रद्द कर एक सप्ताह में प्रतिवेदन भी तलब किया गया था। यानी इस आदेश के बाद ऐसे प्राथमिक शिक्षकों की नौकरी जाना तय हो गया था जिनके द्वारा 11 अगस्त 2023 के बाद बीएड की डिग्री हासिल की गई थी।
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ये है डीपीआई कमिश्नर का आदेश
प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति रद्द करने से प्रदेश भर में कार्यरत सैंकड़ों युवा बेरोजगार होने की स्थिति में आ गए थे। लंबे संघर्ष के बाद करीब 8 माह पहले ही इन युवाओं को स्कूल शिक्षा विभाग की यह नौकरी मिली थी। डीपीआई संचालक के आदेश से प्रदेश भर में हड़कंप मच गया था। जिसके बाद मामला न केवल लोक शिक्षण संचालनालय बल्कि सरकार के स्तर पर भी गरमा गया था। जानकार लोगों ने हाईकोर्ट के निर्णय के आधार पर जारी डीपीआई संचालक के आदेश को भी अधिकारियों के सामने रखा था। इसके बाद डीपीआई कमिश्नर ने मामले को अपने हाथ में लिया। उनके द्वारा 6 सितम्बर को जिला शिक्षा अधिकारियों को डीपीआई द्वारा जारी आदेश और 4 सितम्बर को हाईकोर्ट के निर्णय का उल्लेख कर नया आदेश जारी किया गया। इसमें हाईकोर्ट के निर्णय के एक पैराग्राफ का हवाला देते हुए प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति को तत्काल प्रभाव से निरस्त करने पर रोक लगा दी है।
हाईकोर्ट के निर्णय के जिस पैराग्राफ ने फिलहाल प्राथमिक शिक्षकों की नौकरी बचा ली है उसके बारे में भी आपको जानना चाहिए। दरअसल डीपीआई कमिश्नर ने अपने आदेश में इसे अंकित किया है। जिसका सीधा मतलब है कि सुनवाई की अगली तारीख तक याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी। उन्हें अपने संबंधित स्थान पर प्राथमिक शिक्षक के रूप में सेवा जारी रखने की अनुमति दी जा सकेगी।
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