हम सभी ने कभी ना कभी तो दोस्तों के साथ मूवी देखने या घूमने-फिरने के लिए स्कूल बंक ( school bunk ) किया ही होगा। बढ़ती उम्र के बच्चों में यह बहुत आम बात है, लेकिन कटनी के निजी स्कूल के एक छात्र को स्कूल बंक करना ऐसी मुसीबत बन गया है कि उसका भविष्य ही खतरे में पड़ गया है।
क्या है पूरा मामला
जबलपुर के हाईकोर्ट में एक्टिंग चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा ( Acting Chief Justice Sanjeev Sachdeva ) और जस्टिस विनय सराफ ( Justice Vinay Saraf ) की युगल पीठ में एक ऐसा मामला सामने आया है जहां एक छात्र के अपने स्कूली दोस्तों के साथ बिना किसी सूचना के घूमने चले जाने के बाद स्कूल द्वारा छात्र पर अलग-अलग आरोप लगाते उसे स्कूल से निलंबित कर दिया गया है।
एक छात्र-छात्रा को किया निलंबित
साल 2023 में कटनी के सेंट पॉल स्कूल ( St. Paul School ) के 11 छात्र छात्राएं स्कूल बंक कर कटनी के ही पास स्थित वाटर फॉल ( water fall ) घूमने चले गए थे। जब इस बारे में स्कूल प्रबंधन को जानकारी मिली तो स्कूल प्रबंधन ने बाकी सभी छात्र-छात्राओं को तो वार्निंग देकर छोड़ दिया,पर एक छात्र और छात्रा को स्कूल से निलंबित कर दिया। छात्र के पिता ने इस मामले की शिकायत चाइल्ड वैलफेयर कमेटी ( Child Welfare Committee ) और जिला शिक्षा अधिकारी कटनी से की। कटनी जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा जब इस मामले की जांच की गई, तो यह सामने आया कि छात्र और छात्रा पर लगाए सभी आरोप बेबुनियाद है और स्कूल के पास इनसे जुड़े कोई सबूत तो दूर, कोई शिकायती पत्र भी नहीं है। जिला शिक्षा अधिकारी ( District Education Officer ) ने स्कूल के द्वारा की गई कार्रवाई को गलत ठहराते हुए छात्र और छात्र को वापस स्कूल में दाखिला देने का आदेश दिया था। इसके बाद स्कूल प्रबंधन ने छात्रा को तो वापस दाखिल दे दिया लेकिन छात्र को वापस लेने से इंकार कर दिया और जिला शिक्षा अधिकारी के फैसले के विरुद्ध हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी।
हाईकोर्ट से मिली थी फटकार
जबलपुर हाईकोर्ट में जब इस मामले की सुनवाई हुई तो कोर्ट ने भी यह पाया कि जिला शिक्षा अधिकारी के द्वारा की गई जांच बिलकुल सही है और स्कूल के द्वारा छात्र पर आधारहीन बेबुनियाद आरोप लगाए गए है। जांच के दौरान कोर्ट ने यह भी पाया था कि इस छात्र के साथ स्कूल के द्वारा द्वेषपूर्ण कार्रवाई की जा रही है । क्योकि जहां अन्य सभी स्कूली छात्रों को सिर्फ चेतावनी दी गई, वहीं एक छात्र से द्वेष निकालने के लिए स्कूल ने इसे निलंबित किया है। इसके बाद हाईकोर्ट ने भी स्कूल को यही आदेशित किया था कि इस छात्र को वापस स्कूल में दाखिला दिया जाए ।
छात्र के ऊपर लगाए गए बेबुनियाद आरोप
स्कूल प्रबंधन की ओर से छात्र के ऊपर कई आरोप लगाए गए थे। स्कूल प्रबंध ने आरोप लगाए की छात्र स्कूल परिसर में सिगरेट पीता है केमिस्ट्री लैब ( chemistry lab ) में अल्कोहल का सेवन करता है और छात्रा के साथ गलत अवस्था में भी पाया गया है, लेकिन इन आरोपों से जुड़ा कोई भी साक्ष्य या शिकायत स्कूल जिला शिक्षा अधिकारी या हाईकोर्ट के सामने पेश नहीं कर पाया ।
स्कूल ने दोबारा हाईकोर्ट में लगाई अपील
निजी स्कूल ने इस छात्र के दाखिले को जैसे अपना प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया है। हाईकोर्ट के फैसले के विरुद्ध निजी स्कूलों ने अब रिट अपील दायर की है। 30 सितंबर को एक्टिंग चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की कोर्ट में हुई सुनवाई के बाद हाईकोर्ट के द्वारा दोबारा स्कूल प्रबंधन को फटकार लगाई गई । पिछले वर्ष स्कूल से निलंबित किए जाने के बाद छात्र ने अब दूसरे स्कूल में दाखिला ले लिया है पर दूसरे स्कूल में छात्र को उसे विषय में एडमिशन नहीं मिल पाया है जिसमे वह पहले पढ़ाई कर रहा था। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह भी पाया कि एकाएक विषय बदलने से छात्र की पढ़ाई और भविष्य पर बुरा असर पड़ सकता है। सत्र 2024-25 के लगभग 3 माह बीत चुके है और बीच सत्र में छात्र को वापस स्कूल में दाखिला दिलाए जाने के आदेश जारी करने के पहले कोर्ट को यह सुनिश्चित करना था कि क्या सीबीएसई के नियमों के अनुसार बीच सत्र में छात्र को दाखिला दिया जा सकता है। इसलिए कोर्ट ने सीबीएसई (cbse ) को नोटिस जारी कर उनसे जवाब मांगा है । इस मामले की अगली सुनवाई के पहले सीबीएसई के द्वारा अपने नियम कोर्ट के समक्ष पेश किए जाएंगे। मामले की अगली 3 सितंबर को होगी।
स्कूल प्रबंधन के खिलाफ आ सकता है फैसला
अब तक मामले में हुई सुनवाई को देखते हुए यह तो साफ है कि स्कूल प्रबंधन को छात्र को वापस दाखिला देना पड़ेगा। अब आने वाला फैसला सीबीएसई के नियमों ( cbse rules ) के आधार पर ही होगा कि स्कूल को वापस छात्र को दाखिला देने के लिए आदेशित किया जाता है या हाईकोर्ट के द्वारा कोई कड़ा कदम स्कूल के विरुद्ध उठाया जाएगा।
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