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Jabalpur: राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (NHRC) के सदस्य प्रियंक कानूनगो हाल ही में मध्यप्रदेश के दौरे पर थे। जबलपुर जिले के शहपुरा थाने का निरीक्षण करने के दौरान उन्हें अप्रत्याशित रूप से अभद्रता का सामना करना पड़ा। प्रियंक कानूनगो थाने में बंदियों की गणना और रिकॉर्ड चेक करने पहुंचे थे, लेकिन थाने में कोई सीनियर अधिकारी मौजूद नहीं था, केवल दो कांस्टेबल थे। जब प्रियंक ने रिकॉर्ड चेक करने के लिए सब इंस्पेक्टर को बुलाया, तो उन्होंने निरीक्षण में सहयोग करने से इंकार कर दिया।
एएसआई ने निरीक्षण से इंकार किया
आरोप है कि सब इंस्पेक्टर ने प्रियंक कानूनगो से यह तक कह दिया कि "आप बिना पूर्व सूचना के थाने नहीं आ सकते"। इस असहयोग और अभद्रता की घटना पर प्रियंक ने अपने X (पूर्व Twitter) हैंडल पर मप्र पुलिस डिपार्टमेंट और डीजीपी से सवाल किया कि उन्हें अब निरीक्षण के लिए किससे अनुमति लेनी होगी। प्रियंक का यह पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिससे पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया।
NHRC की कार्रवाई
प्रियंक कानूनगो का दौरा सिर्फ निरीक्षण तक सीमित नहीं था, बल्कि उन्होंने शहपुरा थाने में कुछ समय पहले हुई एक गंभीर घटना का भी संज्ञान लिया। बताया जाता है कि कुछ महीने पहले एक व्यक्ति को शराब रखने के शक में गिरफ्तार किया गया था, लेकिन छापेमारी में कुछ नहीं मिलने पर पुलिस ने उसे बुरी तरह मारा था। उसकी पीठ, कमर और आंख में चोट आई थी, और एमएलसी के बाद यह मामला सामने आया था। प्रियंक ने इस घटना को भी आयोग के संज्ञान में लिया और पुलिस अधिकारियों से उचित कार्रवाई की मांग की।
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पुलिस विभाग का संज्ञान और कार्रवाई
प्रियंक कानूनगो के सोशल मीडिया पर डीजीपी से सवाल करने और पुलिस विभाग के खिलाफ आरोप लगाने के बाद जबलपुर पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया। जबलपुर एएसपी एसके शर्मा ने इस मामले की जांच के लिए एक प्रतिवेदन तैयार किया और एसपी को सौंपा। उन्होंने बताया कि इस मामले में प्रियंक कानूनगो से फोन पर बात हुई थी और उन्होंने कहा कि थाने में उनसे ठीक बर्ताव किया गया। हालांकि, विभागीय कार्रवाई की जाएगी और आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
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आयोग और पुलिस महकमे में टकराव की स्थिति
प्रियंक कानूनगो का इस मामले में उठाया गया सवाल न केवल मप्र पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि अधिकारियों के बीच सहमति और कामकाजी संबंधों की स्थिति कैसी है। इससे पहले भी मानवाधिकार आयोग ने कई मामलों में हस्तक्षेप किया है, लेकिन इस तरह का मामला सीधे सोशल मीडिया पर उठाने से पुलिस विभाग में एक नई चुनौती उत्पन्न हो गई है। अब देखना यह होगा कि पुलिस विभाग इस मामले में कितनी जल्दी कार्रवाई करता है और क्या प्रियंक कानूनगो को सही जवाब मिल पाता है।