प्रमोशन में आरक्षण पर मोहन सरकार उठाने जा रही बड़ा कदम, जानें तैयारी

मध्य प्रदेश में प्रमोशन में आरक्षण के मुद्दे को लेकर विवाद बढ़ गया है। 2016 से इस मामले में हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव सरकार ने अब इस मामले को सुलझाने के लिए पहल की है।

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Raj Singh
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मध्य प्रदेश में हजारों कर्मचारी और अधिकारी साल 2016 से प्रमोशन का इंतजार कर रहे हैं। मध्य प्रदेश लोक सेवा पदोन्नति नियम 2002 को हाई कोर्ट द्वारा रद्द किए जाने के बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में विचाराधीन है। इसी वजह से पदोन्नति में आरक्षण (Promotion Reservation) का मामला अटक गया है। इसके परिणामस्वरूप, हर साल हजारों अधिकारी और कर्मचारी बिना प्रमोशन के ही रिटायर हो रहे हैं। अब मध्य प्रदेश में पदोन्नति में आरक्षण का विवाद डॉ. मोहन यादव (Dr. Mohan Yadav) सरकार सुलझाने जा रही है।

सुप्रीम कोर्ट में आवेदन देंगे अधिकारी

मुख्यमंत्री की मंशा के बाद, अधिकारियों द्वारा सुप्रीम कोर्ट में इस मामले के शीघ्र निराकरण के लिए आवेदन दिया जा रहा है। नई सरकार में जो नए नियम तैयार करवाए जा रहे हैं, उसमें तत्कालीन गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा (Dr. Narottam Mishra) की अध्यक्षता में बनी समिति की रिपोर्ट का परीक्षण भी करवाया जाएगा। बता दें कि पिछली सरकार में डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने सभी प्रभावित पक्षों से चर्चा करने के बाद एक रिपोर्ट तैयार की थी।

खटखटाया था हाईकोर्ट का दरवाजा

गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में आरक्षित और अनारक्षित वर्ग को दिए जाने वाले प्रमोशन को लेकर अनारक्षित (सामान्य) वर्ग के अधिकारियों और कर्मचारियों ने एक याचिका हाई कोर्ट (High Court) में दायर की थी। कोर्ट में सुनवाई के बाद प्रमोशन नियम को निरस्त कर दिया गया था। तब प्रदेश सरकार ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन उस समय यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए गए थे। इसके कारण प्रदेश में प्रमोशन पर रोक लगी है। जबकि कोर्ट के आदेश पर ही मई, 2016 के पहले हुई विभागीय पदोन्नति समिति (Departmental Promotion Committee) की अनुशंसा पर पदोन्नतियां दी गई हैं।

नाराज कर्मचारियों को साध रही सरकार

हालांकि, पदोन्नति न मिलने से नाराज कर्मचारियों को भी सरकार साध रही है। इसके लिए सरकार ने उच्च पद का प्रभार देने का रास्ता निकाला, लेकिन यह प्रक्रिया भी सभी विभागों में लागू नहीं हो पाई। पहले भी सरकार ने इसका हल निकालने की कोशिश की थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) ने तत्कालीन गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा की अध्यक्षता में समिति बनाई थी। इस समिति ने अनुसूचित जाति-जनजाति अधिकारी-कर्मचारी संघ और सामान्य, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कर्मचारी संगठन के पदाधिकारियों से चर्चा की थी और फिर रिपोर्ट तैयार की थी।

चुनाव के चलते लंबित रहा मामला

विधानसभा चुनाव को देखते हुए इस मामले को लंबित रखा गया था। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता मनोज गोरकेल (Manoj Gorkel) से नए नियम का प्रारूप भी तैयार कराया गया था, लेकिन बात आगे नहीं बढ़ सकी। अब डॉ. मोहन यादव सरकार कर्मचारियों से जुड़े अन्य विषयों के साथ-साथ पदोन्नति में आरक्षण (Reservation in Promotion) के मुद्दे को सुलझाने की पहल कर रही है। सुप्रीम कोर्ट में यह आवेदन दिया जा रहा है कि मामले की शीघ्र सुनवाई करके निराकरण किया जाए। यदि नया नियम बनाया जाना है, तो उसके संबंध में दिशा-निर्देश दे दिए जाएं ताकि सभी प्रभावित पक्षों से चर्चा करके पदोन्नति का समाधानकारी रास्ता निकाला जा सके।

FAQ

प्रमोशन में आरक्षण का मामला क्यों अटका हुआ है?
यह मामला हाई कोर्ट द्वारा 2002 में रद्द किए गए मध्य प्रदेश लोक सेवा पदोन्नति नियमों के कारण अटका हुआ है, और अब यह सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है।
किसकी अध्यक्षता में समिति बनाई गई थी?
समिति की अध्यक्षता तत्कालीन गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने की थी।
सरकार ने कर्मचारियों को साधने के लिए क्या उपाय किए हैं?
सरकार ने उच्च पद का प्रभार देने का रास्ता निकाला, लेकिन यह सभी विभागों में लागू नहीं हो सका।
इस मामले में आगे क्या कदम उठाए जाने वाले हैं?
सुप्रीम कोर्ट में अधिकारियों द्वारा आवेदन दिया गया है ताकि मामले की शीघ्र सुनवाई हो और इस पर दिशा-निर्देश दिए जा सकें।
कर्मचारी पदोन्नति के लिए कब से इंतजार कर रहे हैं?
कर्मचारी 2016 से प्रमोशन का इंतजार कर रहे हैं।

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