वेंकटेश कोरी, JABALPUR. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट (mp highcourt) ने पीएससी के एक अभ्यर्थी के आवेदन को निरस्त करते हुए उस पर 20 हजार का जुर्माना लगाया है। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में ये याचिका भानु प्रताप सिंह तोमर नाम के एक अभ्यर्थी ने लगाई है। भानु प्रताप सिंह तोमर ने आरक्षित वर्ग के प्रतिभावान अभ्यर्थियों को पीएससी के प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा में अनारक्षित वर्ग में शामिल नहीं किए जाने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी और राज्य सेवा परीक्षा नियमों में मध्यप्रदेश शासन द्वारा कमलनाथ सरकार के दौरान 17 फरवरी 2020 को किए गए संशोधन को निरस्त कर 20 दिसंबर 2021 को हुए संशोधन की संवैधानिकता को चुनौती दी है।
पहले भी खारिज हो चुकी थी याचिका
राज्य सेवा परीक्षा के नियमों में 20 दिसंबर 2021 को हुए संशोधन के मुताबिक चयन प्रक्रिया के प्रत्येक चरण में अनारक्षित पदों को सभी वर्ग के प्रतिभावान अभ्यर्थियों से भरे जाने की व्यवस्था की गई है जिसके अनुसार पीएससी 2019 से 2023 तक समस्त भर्ती परीक्षाओं में लागू किए जा चुके हैं। इसी व्यवस्था के खिलाफ अभ्यर्थी ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की जिसमें हाईकोर्ट ने 27 अप्रैल 2023 को नोटिस जारी कर अनावेदक मध्यप्रदेश शासन विधि एवं विधायी कार्य विभाग, सामान्य प्रशासन विभाग, गृह मंत्रालय और मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग से जवाब तलब किया था जिस पर अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर द्वारा ओबीसी/एससी/एसटी एकता मंच और दीपक पटेल की ओर से हस्तक्षेप याचिका दाखिल की गई। याचिकर्ता की ओर से पीएससी भर्तियों में ओबीसी, एससी और एसटी के प्रतिभावान अभ्यर्थियों को अनारक्षित वर्ग में शामिल किए जाने से रोकने की मांग की गई। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने इस आवेदन को दिनांक 23 सितंबर 2023 को खारिज कर दिया गया था। इसके बाद अभ्यर्थी ने एक बार फिर 26 दिसंबर 2023 को दूसरा आवेदन दाखिल कर खारिज आवेदन के समरूप राहत चाही गई जिसे आज मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की खंडपीठ ने निरस्त कर दिया।
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HC- न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग बर्दाश्त नहीं
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में आज 8 फरवरी 2024 को हुई सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता के इस कृत्य को काफी गंभीरता से लिया है। साथ ही हाईकोर्ट ने कहा है कि न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग बर्दाश्त नहीं किया जा जाएगा। तल्ख टिप्पणी के साथ हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता पर 20 हजार का जुर्माना लगाकर आवेदन निरस्त कर दिया और जुर्माने की राशि की वसूली के लिए प्रकरण की सुनवाई की अगली तारीख 16 फरवरी 2024 निर्धारित की है।