इंदौर में लोक सेवा केंद्र के ऑपरेटर ने बनाए फर्जी जाति प्रमाणपत्र

इंदौर में बड़ा जाति प्रमाण पत्र घोटाला सामने आया है। यहां लोक सेवा केंद्र संचालकों ने मिलीभगत कर माझी जाति के फर्जी एसटी प्रमाण पत्र बना दिए। इसके लिए 20-25 हजार रुपए वसूले गए।

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Sanjay gupta
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INDORE : इंदौर में बड़ा जाति प्रमाण पत्र घोटाला सामने आया है। यहां लोक सेवा केंद्र के ऑपरेटर ने आपस में सांठगांठ करते हुए माझी जाति के फर्जी एसटी (अनुसूचित जनजाति) प्रमाणपत्र बनाकर दे मारे। इसके लिए 20-25 हजार रुपए लिए जाते थे। अब इस मामले में दो तहसीलों से जारी प्रमाणपत्र की जांच हो रही है लेकिन मामला पूरे जिले भर में बनने की आशंका है क्योंकि इसमें इंदौर लोक सेवा केंद्र के ऑपरेटर ही मिले हुए हैं।

इस तरह से बन रहे प्रमाणपत्र

मामला मल्हारगंज तहसील से खुला। भीकनगांव टीआई ने एसडीएम निधि वर्मा से फोन करके पूछा कि क्या माझी जनजाति के प्रमाणपत्र बनाए गए हैं, इस पर अधिकारी ने मना किया यह इंदौर जिले में नहीं पाई जाती है, इसलिए यहां से नहीं बनते हैं। इस पर टीआई ने उन्हें उनके हस्ताक्षर से बना प्रमाणपत्र भेजा। इसकी जांच कराई गई तो खुलासा हुआ कि लोक सेवा केंद्र के ऑपरेटर ने अधिकारी के डोंगल का उपयोग कर डिजिटल सिग्नेचर कर यह प्रमाणपत्र जारी कर दिया।

जांच की तो और भी तहसील के पाए गए

जब एसडीएम ने इसकी जांच कराई तो उनके पूर्व एसडीएम ओमनारायण बड़कुल के समय के छह-सात प्रमाणपत्र फर्जी पाए गए और उनके कार्यकाल के भी करीब 6 प्रमाणपत्र फर्जी मिले। वहीं दो-तीन प्रमाणपत्र राउ तहसील से भी जारी होना पाए गए। ऐसे में आशंका है कि यह जिले की अन्य तहसील से एसडीएम के नाम से जारी हो सकते हैं और इनकी संख्या काफी हो सकती है।

यह लोग इसमें शामिल

मल्हारगंज में लोक सेवा केंद्र से पदस्थ ऑपरेटर हर्षित राशिनकर, हार्दिक, सरगम रावत इसमें सीधे तौर पर पकड़े गए हैं। इसमें एसडीएम द्वारा की गई जांच में सामने आया कि इनका सरगना कोई सुमित जैन है, जो कलेक्टोरेट में ही नोटरी वाले वकीलों के पास आया-जाया करता था। उसे जब बाकी ऑपरेटर के पक़ड़े जाने की खबर मिली तो उसने अपना फोन बंद कर लिया और फरार है। उधर नोटरी के वकीलों से बात की गई तो पता चला कि वह ऐसे ही घूमते रहता है और पहले भी इस तरह के कांड कर चुका है।

लोक सेवा केंद्र के ऑपरेटर सीधे बना रहे

यह भी सामने आया है कि लोक सेवा केंद्र पर सीधे ऑपरेटर भी किसी ग्राहक, आवेदक के आने पर उनसे राशि लेकर एसडीएम के डिजिटल सिग्नेचर का उपयोग कर इन्हें जारी कर रहे हैं। इसके लिए प्रति जाति प्रमाणपत्र 20 से 25 हजार रुपए लेने की बात अभी तक सामने आई है।

पहले भी बना चुके 94 प्रमाणपत्र

यह भी जांच में सामने आया कि तत्कालीन एसडीएम मुनीष सिकरवार के समय भी 94 प्रमाणपत्र फर्जी मिले थे, लकिन इस दौरान केवल इन प्रमाणपत्र को रदद् करने का काम कर मामले को दबा दिया गया। आरोपियों पर कोई कार्रवाई नहीं की। इसके बाद इनकी हिम्मत और बढ़ गई और एसडीएम का ट्रांसफर होने के बाद यह खेल फिर शुरू हो गया।

कई और लोग शामिल होने की आशंका

इस मामले में अभी एक सरगना सुमित जैन व तीन ऑपरेटर के ही नाम सामने आए हैं लेकिन माना जा रहा है कि इस घोटाले में कई और लोग शामिल है। इस घटना से पूरा लोक सेवा केंद्र निशाने पर आ गया है और यहां के कुछ और ऑपरेटर के इसमें शामिल होने की आशंका जताई जा रही है।

5000 से ज्यादा की जांच

वहीं जारी हुए प्रमाणपत्रों की संख्या का हिसाब भी लगाना अभी मुश्किल है कि इन्होंने कितने फर्जी जारी कर दिए हैं। बीते पांच माह में जारी पांच हजार से ज्यादा प्रमाणपत्र की जांच तो केवल मल्हारगंज तहसील में ही हो रही है। इसके साथ ही राउ तहसील के भी प्रमाणपत्र घेरे में आ रहे हैं और ऑपरेटर ने किस तहसील के जारी कर दिए इसका तो अभी रिकार्ड निकलवाना ही बाकी है। ऐसे में हजारों प्रमाणपत्र शंका के दायरे में आ गए हैं।

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