/sootr/media/media_files/2025/05/01/VTPhNVde2mNrupBJXLP1.jpg)
MP News: लोक निर्माण विभाग (PWD) के चीफ इंजीनियर इंचार्ज केपीएस राणा के खिलाफ एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। राणा पर आरोप है कि उन्होंने साल 2022 में एनएचएआई के प्रभारी मुख्य अभियंता (चीफ इंजीनियर इंचार्ज) रहते हुए जिस ठेकेदार को ब्लैक लिस्टेड किया था, उसी को मात्र 13 दिन बाद 38.39 करोड़ रुपये का ठेका दे दिया। इस मामले में EOW ने जांच शुरू कर दी है।
पहले ब्लैकलिस्ट किया, फिर उसी को दिया टेंडर
बताया गया है कि बीना टोल प्लाजा निर्माण में काम नहीं करने के कारण राणा ने ठेकेदार राजेंद्र सिंह किलेदार कंस्ट्रक्शन प्रा. लि. को एक साल के लिए ब्लैक लिस्ट किया था। लेकिन इसके मात्र 13 दिन बाद ही उन्होंने उसी कंपनी को 7.50 किलोमीटर लंबे आष्टा बायपास का टेंडर दे दिया। इस टेंडर की कुल लागत 39 करोड़ रुपये बताई गई है।
आपत्ति के बाद भी खोली गई फाइनेंशियल बिड
इस पूरे मामले पर तत्कालीन रिटायर्ड ईएनसी नरेंद्र कुमार ने गंभीर आपत्ति जताई थी। उन्होंने पत्र लिखकर सवाल उठाया कि जब ठेकेदार का पंजीयन 13 दिसंबर 2022 को निलंबित किया गया था, तो 17 दिसंबर को उसकी दूसरी फाइनेंशियल बिड कैसे खोली गई?
आचार संहिता में हुआ टेंडर स्वीकृत
चौंकाने वाली बात यह है कि जब मामला सामने आया, उस वक्त लोकसभा चुनाव की आचार संहिता प्रभावी थी। उसी दौरान ब्लैक लिस्टेड ठेकेदार को दोबारा टेंडर स्वीकृत कर दिया गया। यह सीधा-सीधा नियमों का उल्लंघन माना जा रहा है।
ईपीसी नियमों की भी खुली अनदेखी
ईपीसी अनुबंध नियमों के अनुसार, यदि कोई ठेकेदार ब्लैक लिस्टेड होता है तो न तो उसकी निविदा खोली जा सकती है और न ही उसे कार्य आवंटित किया जा सकता है। इसके बावजूद न केवल बिड खोली गई, बल्कि कार्य भी उसे दे दिया गया। ईओडब्ल्यू अब इस पूरे मामले की जांच कर रही है।
दूसरी ओर शालिगराम बघेल पर भी गिरी गाज
वहीं, पीआईयू में प्रभारी प्रमुख अभियंता शालिगराम बघेल पर भी गंभीर आरोप लगे हैं। बघेल ने ग्वालियर जोन-8 के अंतर्गत कई कार्यों की संयुक्त निविदाएं आमंत्रित कर 2.38 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया।
संयुक्त निविदाएं आमंत्रित कर दिए भुगतान
बघेल पर आरोप है कि उन्होंने डोंगरी मेन रोड से लेकर रचिड नगर रोड तक के कार्यों की निविदाएं एक साथ आमंत्रित कर दीं। इसके तहत सात से अधिक सड़कों और पुलियों के निर्माण कार्य शामिल थे। इन सभी कार्यों के लिए 2.38 करोड़ रुपये का एक्सलेशन भुगतान बिना वैधता के जारी कर दिया गया।
आदेश के बिना जारी किया गया एक्सलेशन
यह भी सामने आया है कि जिन कार्यों के लिए भुगतान हुआ, उन पर एक्सलेशन भुगतान देय नहीं था। फिर भी आदेश जारी कर दिए गए। यह मामला भी अब ईओडब्ल्यू के रडार पर है।
यह भी पढ़ें...मंत्री पुराण बनाम बजट चर्चा में उलझा सदन, कांग्रेस ने लगाए भ्रष्टाचार के आरोप
दर्ज हो चुका है केस, जल्द आएगा आरोप पत्र
ईओडब्ल्यू (EOW) ने दोनों मामलों में अलग-अलग प्रकरण दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। केपीएस राणा के मामले में ठेका घोटाले की जांच चल रही है, वहीं शालिगराम बघेल के मामले में संयुक्त निविदाओं की अनियमितता और भुगतान प्रक्रिया की जांच हो रही है। दोनों ही मामलों में राज्य सरकार द्वारा आरोप पत्र जारी किए जाने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है।
-
छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
पीडब्ल्यूडी | PWD के अधिकारियों ने किया भ्रष्टाचार