MP News: मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले के हिनौती ग्राम पंचायत में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। यहां पदस्थ पंचायत सचिव कैलाशचंद्र वर्मा की मौत के दो-तीन माह बाद भी उनके आईडी और फर्जी हस्ताक्षरों से लाखों रुपए का भुगतान किया गया। यह भुगतान सरकारी योजनाओं के तहत किया गया, जबकि सचिव का निधन मार्च 2024 में हो चुका था। यह मामला अब प्रशासनिक जांच के दायरे में आ चुका है, और शिकायत विभागीय प्रमुख सचिव और मुख्यमंत्री मोहन यादव तक पहुंच चुकी है।
फर्जी हस्ताक्षर से हुआ भुगतान
ग्राम पंचायत के वर्तमान सचिव लालसिंह तंवर ने आरोप लगाया कि सचिव कैलाशचंद्र वर्मा की मौत के बाद भी उनकी आईडी से सरकारी पोर्टल पर भुगतान होते रहे। सचिव के फर्जी हस्ताक्षर से कई बिल पास किए गए, जिनमें मजदूरों के लिए निकाले गए मस्टर भी शामिल हैं। यह पूरी गड़बड़ी तब सामने आई जब ग्रामीणों ने नए सचिव से संपर्क किया और सरपंच ने उन्हें पुराने सचिव से ही काम करवाने की बात कही।
फर्जी भुगतान
वर्ष 2024 में मृतक सचिव के नाम पर भूमि समतलीकरण योजना में 16 लाख से अधिक की राशि निकाली गई। इसके अलावा, इसी मृतक सचिव के नाम पर 2023-24 में खरीदी गई सामग्री का भुगतान 2024-25 में किया गया। इसमें सरपंच के रिश्तेदार राजाराम तंवर का नाम सामने आया है। वह अक्सर हिनौती पंचायत के कामों में हस्तक्षेप करता था, जबकि वह अन्य पंचायत में रोजगार सहायक के पद पर कार्यरत है। पोर्टल से जानकारी निकालने पर पता चला है कि ऐसे बहुत से पेमेंट किए गए हैं जिनके लिए अभी तक कार्य प्रगति पर दिखाया जा रहा है।
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कड़ी कार्रवाई की मांग
यह पूरा मामला सरकारी कामकाजी व्यवस्था की भ्रष्टाचार को उजागर करता है। सचिव की मौत के बाद भी उनकी आईडी का इस्तेमाल कर सरकारी पैसे का दुरुपयोग किया गया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि पंचायत स्तर पर भ्रष्टाचार की स्थिति गंभीर है। इस मामले को लेकर अब प्रशासनिक जांच शुरू हो गई है, और कार्रवाई की बात की जा रही है।
शिकायतकर्ता ने इस पूरे मामले में प्रशासन से की है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि मामले की जांच की जा रही है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। राज्य सरकार ने यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए हैं कि इस प्रकार के फर्जी भुगतान की पुनरावृत्ति न हो।
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