/sootr/media/media_files/2025/08/09/kaba-masjid-nawaz-controversy-2025-08-09-13-51-34.jpg)
रायसेन जिले के बेबी कॉन्वेंट स्कूल में नर्सरी कक्षा के छात्रों को हिंदी पाठ्यपुस्तक में उर्दू शब्द पढ़ाए जा रहे थे। यह मामला तब सामने आया जब एक छात्रा के चाचा ने पाठ्यपुस्तक पर ध्यान दिया। किताब में "न से नवाज", "म से मस्जिद", "क से काबा" जैसे शब्द थे। इस पर विरोध उठने लगा।
क्या है विवाद का कारण?
विवाद तब उठ खड़ा हुआ जब एक छात्रा के परिजन ने पाठ्यपुस्तक में उर्दू शब्द "औ से औरत हिजाब में थी" देखा। इसके बाद उन्होंने अन्य शब्दों की जांच की। उन्हें "न से नल" की जगह "न से नमाज", "म से मछली" की जगह "म से मस्जिद" और "क से कबूतर" की जगह "क से काबा" लिखा मिला। यह शब्द चयन विवाद का कारण बन गया।
ये भी पढ़ें...सीएम मोहन यादव का ऐलान: रायसेन में होगा रेलवे कोच का निर्माण, 2 हजार से ज्यादा को मिलेगा रोजगार
विद्यार्थी परिषद का विरोध
विवाद तब उठ खड़ा हुआ जब एक छात्रा के परिजन ने पाठ्यपुस्तक में उर्दू शब्द "औ से औरत हिजाब में थी" देखा। इसके बाद उन्होंने अन्य शब्दों की जांच की। उन्हें "न से नल" की जगह "न से नमाज", "म से मछली" की जगह "म से मस्जिद" और "क से कबूतर" की जगह "क से काबा" लिखा मिला। यह शब्द चयन विवाद का कारण बन गया।
ये भी पढ़ें...एमपी में अब घर बैठे मरीजों को मिलेगा ई-संजीवनी सेवा के जरिए ऑनलाइन इलाज, जानिए कैसे
5 पॉइंट्स में समझें पूरी स्टोरी👉 रायसेन के निजी स्कूल स्कूल में नर्सरी कक्षा को उर्दू शब्द पढ़ाए जा रहे थे। इनमें "न से नमाज", "म से मस्जिद", "क से काबा" और "औ से औरत हिजाब में थी" शामिल थे। यह विवाद तब उठा जब एक छात्रा के परिजन ने इन शब्दों पर आपत्ति जताई। 👉अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और स्थानीय नागरिकों ने इन शब्दों को आपत्तिजनक मानते हुए विरोध किया। उन्हें चिंता थी कि छोटे बच्चों को धार्मिक संदर्भ से जुड़े शब्द पढ़ाए जा रहे हैं, जिससे समाज में विवाद उत्पन्न हो सकता है। 👉 स्कूल की प्रिंसिपल, ईए कुरैशी ने सफाई दी और इसे गलती माना। उन्होंने बताया कि पाठ्यपुस्तक भोपाल से मंगाई गई थी और बिना जांचे दी गई थी। प्रिंसिपल ने यह भी कहा कि वे 30 वर्षों से स्कूल से जुड़े हैं और बच्चों को सही शिक्षा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। 👉 पाठ्यपुस्तक में उर्दू शब्दों का चयन विवादास्पद था। "न से नल" की जगह "न से नमाज", "म से मछली" की जगह "म से मस्जिद" और "क से कबूतर" की जगह "क से काबा" जैसे शब्दों पर सवाल उठे। इससे कई लोग असहमत हो गए। 👉 यह मामला न केवल रायसेन, बल्कि पूरे देश में शिक्षा प्रणाली पर सवाल खड़ा करता है। यह बहस उठती है कि क्या बच्चों को छोटे उम्र में धार्मिक संदर्भ से जुड़े शब्द सिखाना उचित है और बच्चों के मानसिक विकास के लिए कौन से शब्द और प्रतीक अधिक उपयुक्त हैं। |
स्कूल का जवाब
स्कूल की प्रिंसिपल, ईए कुरैशी ने इस मामले पर सफाई दी और इसे एक गलती माना। उन्होंने बताया कि पाठ्यपुस्तक भोपाल से मंगवाई गई थी और बिना जांचे बच्चों को दी गई थी। प्रिंसिपल ने यह भी कहा कि वे पिछले 30 वर्षों से इस स्कूल से जुड़े हैं और बच्चों को सही शिक्षा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
ये भी पढ़ें...उज्जैन के राजा महाकाल को बांधी गई राखी, भक्तों में बंटेगा सवा लाख लड्डुओं का प्रसाद
नर्सरी कक्षा में उर्दू शब्दों की शिक्षा
यह मामला न केवल रायसेन, बल्कि पूरे देश में शिक्षा प्रणाली पर सवाल खड़ा करता है। क्या छोटे बच्चों को धार्मिक संदर्भ से जुड़े शब्द सिखाना उचित है? बच्चों के मानसिक विकास के लिए शिक्षा में कौन से शब्द और प्रतीक शामिल किए जाएं, इस पर बहस जारी है।
thesootr links
- मध्यप्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- राजस्थान की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- रोचक वेब स्टोरीज देखने के लिए करें क्लिक
- जॉब्स और एजुकेशन की खबरें पढ़ने के लिए क्लिक करें
- निशुल्क वैवाहिक विज्ञापन और क्लासिफाइड देखने के लिए क्लिक करें
अगर आपको ये खबर अच्छी लगी हो तो 👉 दूसरे ग्रुप्स, 🤝दोस्तों, परिवारजनों के साथ शेयर करें📢🔃 🤝💬👩👦👨👩👧👧👩