न टोल पर ई कलेक्शन, न ई-पेमेंट, एमपी के इन टोल प्लाजा पर चल रही कैश की मनमानी वसूली

रायसेन के खरगांवली और गैरतगंज टोल नाकों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कैशलेस इंडिया अभियान की खुलकर धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। वाहन चालकों से जबरन कैश वसूला जा रहा है।

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Rohit Sahu
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पवन सिलावट @ रायसेन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कैशलेस इंडिया ड्रीम प्लान को को रायसेन के टोल नाके ठेंगा दिखा रहे हैं। खरगांवली और गैरतगंज टोल नाकों पर अब भी नगद वसूली हो रही है, जिससे वाहन चालक परेशान हो रहे हैं। रायसेन के इन दोनों टोल नाकों को शुरू हुए दो साल से ज्यादा बीत चुके हैं। बावजूद इसके आज तक वहां कैशलेस सिस्टम लागू नहीं किया गया है। इस वजह से वाहन चालकों से जबरन कैश पेमेंट के लिए मजबूर किया जा रहा है।

नगद ना हो तो हो जाओ खड़े

वाहन चालकों का कहना है कि यदि उनके पास कैश नहीं होता है, तो उन्हें रोक दिया जाता है। टोल कर्मी पैसे लिए बिना जाने नहीं देते फिर पास के एटीएम से पैसे निकालकर लाने पड़ते हैं। जब कैश पेमेंट कर दिया जाता है तभी उन्हें आगे जाने दिया जाता है।

मनमानी की वसूली से परेशान हैं लोग

टोल नाकों पर सिर्फ कैश लेने की बात यहीं समिते नहीं है। बल्कि टोल कर्मी मनमर्जी से रकम भी वसूलते हैं। कोई तयशुदा रसीद या रेट नहीं दिया जाता, जिससे लोगों को लूट जैसा महसूस होता है। कई ड्राइवरों का कहना है कि डिजिटल पेमेंट की मांग करने पर बहस या अपमान का सामना करना पड़ता है।

प्रशासन ने दिया कैशलेस कराने का आश्वासन

जब इस संबंध में रायसेन कलेक्टर अरुण कुमार विश्वकर्मा से बात की गई तो उन्होंने कहा कि एमपीआरडीसी के अधिकारियों से बात की। इसके बाद कलेक्टर ने कहा कि जल्द ही इन टोल नाकों को कैशलेस किया जाएगा।

ड्राइवरों और यात्रियों की शिकायत है कि जब पूरे देश में कैशलेस सिस्टम लागू किया जा रहा है, तो रायसेन के टोल पर अब तक क्यों नहीं? नगद वसूली से ट्रांसपेरेंसी खत्म होती है और भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है।

टोल टैक्स या जबरन वसूली?

अक्सर टोलकर्मी रसीद नहीं देते, और जबरदस्ती पैसे वसूलते हैं। कोई डिजिटल स्क्रीन या क्यूआर कोड नहीं लगाया गया है। इस मामले में ऐसा प्रतीत हो रहा है कि कैशलेस सिस्टम से जानबूझकर दूरी बनाई जा रही है ताकि निजी स्तर पर अवैध कमाई की जा सके।

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सस्ती तकनीक के दौर में क्यों नहीं कैशलेस टोल?

आज जब मोबाइल से पेमेंट, UPI और QR कोड स्कैनिंग आम हो गई है, तो दो साल पुराने टोल नाकों पर डिजिटल भुगतान ना होना सवाल खड़े करता है। इसके अलावा फाशटैग जैसे विकल्प भी मौजूद हैं। प्रशासन की नींद अब तक क्यों नहीं टूटी, यह सवाल हर चालक के मन में है। हर रोज हजारों गाड़ियों से होने वाली नगद वसूली आखिर किन जेबों में जा रही है?

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फाशटैग क्या है?

नेशनल इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन (NETC) FASTag एक आधुनिक और सुविधाजनक तरीका है जिससे वाहन चालक राष्ट्रीय राजमार्गों पर बिना रुके टोल पे कर सकते हैं। यह सिस्टम पूरी तरह कैशलेस है और FASTag को वाहन मालिक अपने बैंक खाते से जोड़ सकते हैं। जैसे ही वाहन टोल प्लाजा से गुजरता है, पेमेंट ऑटोमैटिक हो जाता है।

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