भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अद्वितीय नायकों, राजा शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह, के अदम्य साहस और वीरता को सम्मानित करने के उद्देश्य से जबलपुर में एक भव्य संग्रहालय का निर्माण किया गया है। मध्य प्रदेश सरकार और भारत सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय के सहयोग से 2021 में इस संग्रहालय की नींव रखी गई। 14.26 करोड़ रुपए की लागत से 1 एकड़ क्षेत्र में फैले इस संग्रहालय को भारतीय सांस्कृतिक निधि (INTACH) द्वारा पारंपरिक संरक्षण विधियों का प्रयोग करते हुए मूल स्वरूप में पुनर्निमित किया गया है, जो इसकी ऐतिहासिक महत्ता को बनाए रखता है।
बलिदान के पहले इसी जगह पर कैद किए गए थे राजा और कुंवर
यह संग्रहालय उस भवन में स्थापित है जहां राजा शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह को उनके बलिदान से चार दिन पूर्व कैद किया गया था। उनकी गिरफ्तारी और बलिदान की स्मृतियां संग्रहालय के कोने-कोने में जीवंत हैं। यह भवन न केवल स्थापत्य का एक उत्तम उदाहरण है, बल्कि यहाँ का हर हिस्सा जनजातीय समुदाय के लिए पवित्र स्थल माना जाता है। जनजातीय समुदाय के लोग यहां आकर इन स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
संग्रहालय की पांच गैलरियों में दिखेगी इतिहास की झलक
संग्रहालय की प्रथम दीर्घा में गोंड जनजातीय संस्कृति को बखूबी प्रदर्शित किया गया है, जिससे आगंतुकों को गोंड समाज की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर से परिचित होने का अवसर मिलता है। दूसरी गैलरी 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान देने वाले जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान को समर्पित है। यहाँ मध्य प्रदेश के आदिवासी नायकों की गौरवगाथा को चित्रों,दस्तावेजों, और कलाकृतियों के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है।
तीसरी गैलरी को राजा शंकर शाह के दरबार हाल के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जहाँ उनके और कुंवर रघुनाथ शाह के बलिदान की कहानी एक लघु फिल्म के माध्यम से दिखाई जाती है। चौथी गैलरी में रानियों और 52वीं रेजीमेंट के विद्रोह का चित्रण किया गया है, जिसमें उनके साहसपूर्ण योगदान को विस्तृत रूप से दर्शाया गया है। अंतिम गैलरी में थ्री-डी होलोग्राम के माध्यम से राजा और कुंवर को श्रद्धांजलि दी जाती है, जो एक अनूठा अनुभव प्रदान करती है और संग्रहालय का प्रमुख आकर्षण बन चुकी है।
जनजातीय गौरव दिवस पर प्रधानमंत्री मोदी करेंगे लोकार्पण
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा 15 नवंबर 2024 को जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर इस संग्रहालय का औपचारिक उद्घाटन किया जाएगा। यह संग्रहालय न केवल स्वतंत्रता संग्राम के एक महत्वपूर्ण अध्याय को जीवंत करेगा बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बनेगा। जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों के इस इतिहास को संरक्षित कर यह संग्रहालय उनकी अमर गाथाओं को जन-जन तक पहुंचाने का कार्य करेगा।
संग्रहालय का है सांस्कृतिक और प्रेरणादायी महत्व
राजा शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह के बलिदान की कहानी आज भी समाज को प्रेरणा देती है। यह संग्रहालय उनके संघर्षों और उनके द्वारा दिखाए गए अदम्य साहस का प्रमाण है, जिसे आने वाली पीढ़ियाँ गौरव से देख सकेंगी। जनजातीय समुदाय के लिए यह संग्रहालय एक पवित्र स्थल के रूप में उभर रहा है, जहाँ आकर वे अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। यह संग्रहालय भारतीय जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम के उन अज्ञात नायकों को भी एक पहचान दिलाने का प्रयास है, जिनके योगदान को अक्सर इतिहास की पुस्तकों में वह स्थान नहीं मिला, जिसके वे हकदार थे।
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