राजश्री पान मसाला कंपनी का टैक्स घोटाला, सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद भी नहीं हुई रिकवरी

राजश्री गुटखा कंपनी पर करीब 21 करोड़ की टैक्स रिकवरी अभी तक नहीं हो पाई है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद कंपनी ने अब तक केवल ब्याज राशि जमा की है, प्रिंसिपल अमाउंट अब भी लंबित है।

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Rohit Sahu
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देश की चर्चित पान मसाला कंपनी से रिकवरी का मामला फिर चर्चा में है। राजश्री गुटखा बनाने वाली कायपान पान मसाला कंपनी से करीब 21 करोड़ रुपए की रिकवरी डेढ़ साल बाद भी पूरी नहीं हो पाई है। मामला च्यूइंग टोबैको के नाम पर खूशबूदार जर्दा बेचने से जुड़ा हुआ है। कंपनी ने गलत क्लासिफिकेशन से एक्साइज ड्यूटी का टैक्स बचाया था। 

राजश्री कंपनी से रिकवरी का पूरा मामला

साल 2015 में CGST भोपाल रेंज‑3 की टीम ने कंपनी की गोविंदपुरा फैक्टरी पर छापा मारा था। कंपनी कायपान (KAIPAN) पान प्रोडक्ट लिमिटेड नाम से संचालित होती है। जांच में सामने आया कि कंपनी Chewing Tobacco की जगह सेंटेंड जर्दा बेचकर कम ड्यूटी चार्ज चुका रही थी। च्यूइंग टोबैको और सेंटेंड जर्दा में एक्साइज ड्यूटी में चार गुना अंतर था। 

कोर्ट के आदेश बाद भी नहीं चुकाया पैसा

कंपनी ने मामले को सुप्रीम कोर्ट तक लेकर गई। कोर्ट में कंपनी की और फजीहत हुई और कोर्ट में भी टैक्स चोरी की बात साबित हो गई। कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए कि 7.5 करोड़ टैक्स, 7.5 करोड़ पेनाल्टी और उस पर लगने वाला ब्याज सरकार के खजाने में जमा किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर 2023 में यह निर्देश जारी किए थे लेकिन अब तक इसकी रिकवरी नहीं हो पाई। 

ब्याज चुकाया, टैक्स नहीं

सीजीएसटी के अधिकारियों के अनुसार, कंपनी ने केवल ब्याज की राशि चुकाई है। प्रिंसिपल अमाउंट यानी मूल टैक्स और penalty अब भी लंबित पड़े हैं। इस वजह से सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन पूरी तरह नहीं हो पा रहा। 

कुल 21 करोड़ की होनी है रिकवरी

कंपनी पर कुल रिकवरी 21 करोड़ रुपए बनती है। रिकवरी अमाउंट में टैक्स चोरी की राशि: 7.5 करोड़ रुपए, पेनाल्टी: 7.5 करोड़ रुपए, ब्याज: करीब 6 करोड़ रुपए हुआ।

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सीजीएसटी डिपार्टमेंट ने कह

CGST विभाग ने साफ कहा है कि समय पर भुगतान न होने पर संपत्ति अटैच और बैंक खाते जब्त किए जा सकते हैं। लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। विभाग की सुस्ती और कंपनी की टालमटोल नीति रिकवरी को रोक रही है।

यह पूरा मामला तकनीकी फ्रॉड का उदाहरण है, जिसमें गलत टैक्स क्लासिफिकेशन से कम ड्यूटी पर मोटा मुनाफा कमाया गया। सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट आदेशों के बावजूद रिकवरी अटकी रहना सरकारी कामकाज की धीमी रफ्तार को उजागर करता है।

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