झूठे हलफनामे पर सुप्रीम कोर्ट की विजयपुर विधायक को फटकार, पूर्व मंत्री रामनिवास रावत को राहत

सर्वोच्च न्यायालय ने रामनिवास रावत की याचिका पर कांग्रेस विधायक मुकेश मल्होत्रा को झूठे हलफनामे के लिए कड़ी फटकार लगाई। इससे भाजपा में खुशी की लहर है, जबकि कांग्रेस खेमे में मायूसी है।

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Sanjay Dhiman
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Photograph: (the sootr)

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विजयपुर विधानसभा सीट से लगातार छह बार विधायक रहे पूर्व मंत्री रामनिवास रावत को उपचुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार के सामने हार का सामना करना पड़ा था। इस उपचुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार मुकेश मल्होत्रा ने जीत दर्ज की थी। हालांकि हार के बाद, रावत ने आरोप लगाया था कि मल्होत्रा ने चुनावी हलफनामे में गलत जानकारी दी थी, जिससे चुनाव परिणाम प्रभावित हो सकते थे।

रामनिवास रावत ने इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने मल्होत्रा पर झूठा हलफनामा देने का आरोप लगाया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सुनवाई करते हुए, कांग्रेस विधायक मुकेश मल्होत्रा को कड़ी फटकार लगाई है। 

यह है सुप्रीम कोर्ट का आदेश

सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ, जिसमें न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और संदीप मेहता शामिल थे, ने मुकेश मल्होत्रा को उपचुनाव के दौरान गलत हलफनामा देने के लिए फटकार लगाई। अदालत ने यह माना कि हलफनामे में दी गई जानकारी से जनता को गुमराह किया गया और यह चुनावी प्रक्रिया के प्रति गंभीर चिंता का विषय है।

रामनिवास रावत की याचिका को कोर्ट ने स्वीकार करते हुए कांग्रेस विधायक के खिलाफ उचित कार्रवाई का आदेश दिया। इस फैसले के बाद भाजपा खेमे में खुशी की लहर है, जबकि कांग्रेस में मायूसी छाई हुई है। 

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हार के बाद गवाना पड़ा था रावत को मंत्रीपद

विजयपुर विधानसभा उपचुनाव के दौरान, रामनिवास रावत को हार का सामना करना पड़ा था। कांग्रेस के उम्मीदवार मुकेश मल्होत्रा ने विजय प्राप्त की, जबकि रावत को अपनी उम्मीदवारी से संबंधित कई आरोपों का सामना करना पड़ा। इस हार के कारण रावत को मंत्री पद से इस्तीफा देने पर मजबूर होना पड़ा था। 

रावत ने की थी चुनाव परिणाम रदद करने की मांग 

रामनिवास रावत ने अपनी याचिका में कहा कि मुकेश मल्होत्रा ने उपचुनाव के दौरान चुनाव आयोग को गलत जानकारी दी। उनका आरोप था कि कांग्रेस विधायक ने छह गंभीर आपराधिक मामलों को छुपाने के लिए जानबूझकर झूठा हलफनामा दिया।

रावत ने देश की सबसे बड़ी अदालत से मांग की थी कि इस मामले में मुकदमा चलाया जाए और चुनाव परिणाम को रद्द किया जाए। जिसमें उन्हें आंशिक सफलता मिलती दिख रही है।

सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा उच्च न्यायालय का निर्णय

विवाद बढ़ने पर कांग्रेस विधायक मुकेश मल्होत्रा ने ग्वालियर उच्च न्यायालय का रुख किया था और पूर्व मंत्री व भाजपा प्रत्याशी रहे रावत की याचिका को खारिज करने की अपील की थी। हालांकि, उच्च न्यायालय ने उनकी याचिका को निरस्त कर दिया। इसके बाद मल्होत्रा ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, जहां उन्हें निराशा का सामना करना पड़ा।

सुप्रीम कोर्ट ने ग्वालियर उच्च न्यायालय के फैसले को सही ठहराया और कांग्रेस विधायक की याचिका को खारिज कर दिया।  

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विवेक तन्खा थे कांग्रेस प्रत्याशी के वकील

इस मामले में कांग्रेस विधायक की ओर से वकील विवेक तन्खा और रावत की ओर से नीरज किशन कॉल और निपुण सक्सेना ने सुप्रीम कोर्ट में पैरवी की। वरिष्ठ वकीलों के सफल प्रयास से यह साबित हो सका कि मुकेश मल्होत्रा ने उपचुनाव में गलत हलफनामा दिया था। 

भाजपा में खुशी, कांग्रेस में निराशा

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भाजपा खेमे में खुशी की लहर है, क्योंकि इस फैसले ने उनके नेता को न्याय दिलाया है। वहीं, कांग्रेस खेमे में इस फैसले के बाद मायूसी का माहौल है। कांग्रेस पार्टी की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन अंदरखाने कई सवाल उठाए जा रहे हैं। 

अभी विधायकी पर नहीं है खतरा 

सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुसार, कांग्रेस विधायक मुकेश मल्होत्रा को विजयपुर उपचुनाव में झूठा हलफनामा देने के लिए कड़ी फटकार लगाई गई है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उनकी विधायकी तत्काल प्रभाव से समाप्त हो जाएगी।

भारत में विधायिका की समाप्ति के लिए कुछ विशेष कानूनी प्रक्रियाएं होती हैं। यदि किसी विधायक द्वारा चुनावी हलफनामे में झूठी जानकारी दी जाती है, तो इसके लिए एक अलग कानूनी प्रक्रिया की आवश्यकता होती है।

अब ग्वालियर उच्च न्यायालय के पाले में गेंद

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केवल यह कहा कि मुकेश मल्होत्रा ने गलत हलफनामा दिया और इस पर गहरी चिंता व्यक्त की, लेकिन इस निर्णय से उनकी विधायकी पर सीधा असर नहीं पड़ा।

यह मामला अभी ग्वालियर उच्च न्यायालय बेंच में लंबित है, जहां याचिका पर सुनवाई जारी है। यदि ग्वालियर उच्च न्यायालय इस मामले में फैसला सुनाता है और पाया जाता है कि हलफनामे में दी गई जानकारी जानबूझकर झूठी थी और चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित किया था, तो उस स्थिति में कांग्रेस विधायक की विधायिकी पर असर पड़ सकता है। 

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