रामराजा ओरछा : सुरक्षा के कारण बताकर बदल दी 500 साल पुरानी परंपरा

मध्य प्रदेश के निवाड़ी जिले के ओरछा स्थित रामराजा सरकार मंदिर में 500 वर्षों से भगवान की राजा के तौर पर एक परंपरा आज भी जारी है। अब 500 साल बाद सुरक्षा का हवाला देते हुए प्रशासन ने इस परंपरा में बदलाव किया है। आपको बताते हैं क्या है वो बदलाव... 

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Jitendra Shrivastava
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रामराजा ओरछा : मध्यप्रदेश के ओरछा में भगवान रामराजा  को चारों पहर मध्य प्रदेश पुलिस के जवान सशस्त्र सलामी देते रहे हैं। ये परंपरा 500 सालों से चली आ रही है। अब इस परंपरा को लेकर प्रशासन ने बदलाव कर दिया है। एक आदेश के बाद 500 साल पुरानी सलामी की परंपरा में पुलिस ने कुछ बदलाव किए हैं। पहले रामराजा सरकार को जिन बंदूकों से सलामी दी जाती थी उन पर आगे बेनेट लगा होता था, लेकिन सुरक्षा कारणों के चलते इन बेनेट यानी चाकू को बंदूक से हटा दिया गया है। 

सलामी देने की यह परंपरा 500 साल पुरानी

ओरछा के तहसीलदार और मंदिर व्यवस्थापक सुमित गुर्जर ने इस बदलाव को लेकर बताया कि मंदिर में राम राजा सरकार को सलामी देने की परंपरा 500 साल पुरानी है। यहां संत्री द्वारा भगवान को सलामी दी जाती है। जो दिनभर मंदिर में मौजूद रहता है। तहसीलदार ने ने ऐसा करने के पीछे मुख्य कारण सुरक्षा बताया है। मंदिर में बढ़ती भीड़ और कहीं संत्री किसी वजह से अपना आपा खोकर इसका गलत उपयोग न कर लें, इसलिए एहतियातन निवाड़ी पुलिस अधीक्षक ने इस व्यवस्था में बदलाव करते हुए बंदूक के आगे से बेनेट हटवाया है।

ये निर्णय गलत, परंपरा के खिलाफ

विभाग के कर्मचारियों का कहना है कि कुछ दिन पहले वरिष्ठ अफसर आए थे उन्होंने बेनेट के साथ सलामी को देखकर व्यवस्था में सुधार के लिए कहा था। ताकि परंपरा भी बनी रहे और किसी प्रकार की सुरक्षा में चूक भी न हो। इधर स्थानीय निवासी अखिलेश नारायण समेले का कहना है कि भगवान को बंदूक में बेनेट लगाकर सलामी देने की परंपरा 500 वर्ष पुरानी है। आजतक इतने वर्षों में किसी भी दर्शनार्थी को बेनेट से चोट नहीं आई और न ही कोई घटना हुई है। उन्होंने कहा कि ये निर्णय गलत है। परंपरा के खिलाफ है इसको वापस लेना चाहिए। कुछ दिन पहले कलेक्टर अरुण विश्वकर्मा ने परंपरा को बड़ा रूप देने के लिए 1-4 की गार्ड से सलानी शुरू करवाई। इसमें बीच में खड़े एक गार्ड की बंदूक में बेनेट रहती थी और बाकी बिना बेनेट के सलामी देते थे और दिन भर पहरे के लिए एक गार्ड तैनात रहता था।

राजा मधुकर शाह प्रथम ने शुरू की थी सलामी की परंपरा

रानी कुंवर गणेश संवत 1631 में भगवान श्रीराम को ओरछा लाई थी। उसके बाद राजा मधुकर शाह प्रथम ने भगवान श्रीराम को ओरछा का राजा घोषित कर दिया था। वे स्वयं कार्यकारी नरेश के तौर पर ओरछा के शासक रहे। राजा मधुकर शाह ने सबसे पहले भगवान श्रीराम को सशस्त्र सलामी देने की परंपरा शुरू की थी। यहां दिन में चार बार आरती भी होती है। इनमें सुबह आठ बजे, दोपहर में साढ़े 12 बजे राजभोग आरती, रात 8 बजे शाम की आरती और रात साढ़े दस बजे शयन आरती होती है। इसी समय भगवान को सशस्त्र सलामी दी जाती है। राम राजा सरकार को सलामी देने का इतिहास कुछ इस तरह है कि, बुंदेली शासकों की नगरी रही ओरछा का रामराजा सरकार मंदिर देश का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां पर रामराजा को दिन में चार बार सशस्त्र सलामी दी जाती है। यह परंपरा सैकड़ों साल पुरानी है और इसे राजा मधुकर शाह प्रथम ने शुरू की थी।

विशेष आयोजन पर तोप से भी देते थे सलामी

राजा मधुकर शाह के कार्यकाल के बाद से आजादी तक राज परिवार की ओर से यहां तलवारों से गार्ड ऑफ ऑनर देने की परंपरा रही। विशेष आयोजन जैसे रामनवमी, सावन तीज, जल झूलनी एकादशी डोल ग्यारस, होली और विवाह पंचमी पर यहां तोप भी चलती थी। आजादी के बाद 1947 में ओरछा रियासत के अंतिम शासक राजा वीर सिंह जूदेव द्वितीय ने रियासत का उत्तरदायित्व सरकार को सौंपा। तब से लेकर अब तक बंदूक के जरिए जवान इस परंपरा का निर्वहन कर रहे हैं।

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