जबलपुर में बिना लाइसेंस वाले 127 अस्पताल-क्लीनिक के रजिस्ट्रेशन कैंसिल

जबलपुर में बिना लाइसेंस के धड़ल्ले से चल रहे क्लीनिक और अस्पतालों पर चला स्वास्थ्य विभाग ने कार्रवाई की है। अब तक 127 रजिस्ट्रेशन कैंसिल किए गए हैं।

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Rahul Garhwal
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Jabalpur Health Department Action

नील तिवारी, JABALPUR. जबलपुर में 2022 में हुए न्यू लाइफ मेडिसिटी अग्निकांड के बाद से ही अस्पताल-क्लीनिकों के सुरक्षा मानकों पर सवाल उठते रहे हैं। जमीनी हकीकत ये है कि शहर में कुकुरमुत्तों की तरह खुले क्लीनिक और पैथोलॉजी सेंटर सहित अस्पतालों में फायर सेफ्टी से लेकर मरीजों को भर्ती करने के लिए न्यूनतम जगह तक नहीं है। इसके बाद भी इनका धंधा फलफूल रहा है। स्वास्थ्य विभाग ने एक्शन लेते हुए  122 क्लीनिक-पैथोलॉजी सेंटर और 5 अस्पतालों का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया।

देर रात जारी किया आदेश

स्वास्थ्य विभाग के बुधवार देर रात जारी किए गए आदेश के अनुसार आदित्य सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल एंड ट्रामा सेंटर, आकांक्षा हॉस्पिटल,  ग्रोवर मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल एंड ट्रामा यूनिट, श्री रावतपुरा सरकार मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल और स्मार्ट सिटी हॉस्पिटल का लाइसेंस निरस्त किया गया था। वहीं मंगलवार को 122 क्लीनिक और पैथोलॉजी सेंटर्स का लाइसेंस निरस्त कर दिया गया। ये क्लीनिक किसी मरीज की जांच और इलाज नहीं कर सकेंगे।

2022 के अग्निकांड के बाद हुआ था एक्शन

अगस्त 2022 में जबलपुर के न्यू लाइफ मेडिसिटी अस्पताल में हुए अग्निकांड के बाद प्रदेशभर के लगभग 92 अस्पतालों पर कार्रवाई की गई थी, जिसमें सबसे ज्यादा 33 अस्पताल जबलपुर के थे। इस कार्रवाई में भी उनके मात्र लाइसेंस ही निरस्त किए गए थे। इस मामले में भी मेडिसिटी अस्पताल के संचालकों के अलावा किसी भी अस्पताल पर कोई कठोर कार्रवाई नहीं हो सकी थी और वक्त बीतते-बीतते लगभग सभी अस्पतालों और क्लीनिकों ने अपना रजिस्ट्रेशन दोबारा करा लिया।

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वॉर्निंग के बाद भी नहीं मानते संचालक

कुछ अस्पताल ऐसे भी हैं जिनका लाइसेंस निरस्त होने के बाद और कोर्ट में केस होने के बाद भी वे लगातार संचालित होते रहे। हाल ही में जबलपुर में एक तहसीलदार और स्वास्थ्य विभाग की टीम ने संस्कारधानी अस्पताल में लाइसेंस निरस्त होने के बाद भी मरीजों का इलाज होते हुए पाया था। इस मामले में भी कार्रवाई के नाम पर उन्हें सिर्फ चेतावनी देकर छोड़ दिया गया। स्वास्थ्य विभाग के जानकारों के अनुसार बिना लाइसेंस के अस्पताल संचालित करने पर कोई आपराधिक प्रकरण नहीं बनता, जिस कारण से इन अस्पताल संचालकों को मनमानी का लाइसेंस जरूर मिल जाता है। तभी तो ये अस्पताल संचालक लगातार वॉर्निंग मिलने के बाद भी अपनी हरकतों से बाज नहीं आते।

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