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मध्यप्रदेश रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) के चेयरमैन एपी श्रीवास्तव ने अपने खिलाफ चल रही जांच को लेकर राज्य सरकार के मुख्य सचिव अनुराग जैन को पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने आरोप लगाया है कि उन्हें शिकायत की कॉपी या आरोप पत्र उपलब्ध नहीं कराया गया है। श्रीवास्तव का कहना है कि यह रेरा अधिनियम का उल्लंघन है और वैधानिक प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है।
वैधानिक प्रक्रिया के उल्लंघन का दावा
श्रीवास्तव ने अपने पत्र में लिखा है कि किसी भी वैधानिक पद पर नियुक्ति और उसके हटाने की प्रक्रिया संबंधित कानून के प्रावधानों के तहत ही होनी चाहिए। यदि ऐसा नहीं किया गया तो यह कार्रवाई कानूनी रूप से टिक नहीं पाएगी। उन्होंने रेरा अधिनियम की धारा 36 और नियम 35 का हवाला देकर कहा कि इनका पालन न करना गैर-कानूनी है।
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हाई कोर्ट के जज को सौंपी गई जांच
राज्य सरकार ने इस विवाद की जांच अब हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति मनिंदर सिंह भट्टी को सौंप दी है। इससे यह मामला और अधिक गंभीर हो गया है। श्रीवास्तव ने अपने पत्र में यह भी कहा कि इस तरह की प्रक्रिया में ट्रांसपेरेंसी और न्यायिक प्रक्रिया का ध्यान रखा जाना चाहिए।
रेरा अधिनियम के प्रावधानों की चर्चा
श्रीवास्तव ने दो पेज के पत्र में रेरा अधिनियम और उसके नियमों का उल्लेख करते हुए बताया कि किसी पदाधिकारी के खिलाफ शिकायत और आरोप पत्र देने की प्रक्रिया स्पष्ट रूप से तय की गई है। उनका कहना है कि सरकार को इन प्रावधानों का पालन करना चाहिए ताकि न्याय सुनिश्चित हो सके।
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न्यायिक प्रक्रिया पर उठ रहे सवाल
इस मामले में राज्य सरकार की कार्रवाई पर सवाल उठाए जा रहे हैं कि क्या रेरा अधिनियम का सही तरीके से पालन किया जा रहा है। श्रीवास्तव का यह पत्र न केवल वैधानिक प्रक्रियाओं की कमी की ओर इशारा करता है, बल्कि यह भी बताता है कि कैसे इस मामले में न्यायिक प्रक्रिया की अनदेखी की जा रही है।
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